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क्या भारत के हर मुसलमान को मदरसा शिक्षा का विरोध करना चाहिए? जानें NCPCR ने SC में क्या दिया जवाब

NCPCR On Madarsa: मदरसा शिक्षा के खिलाफ NCPCR ने SC में जवाब दाखिल किया है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में मदरसे में मिलने वाली एजुकेशन का विरोध किया है.

क्या भारत के हर मुसलमान को मदरसा शिक्षा का विरोध करना चाहिए? जानें NCPCR ने SC में क्या दिया जवाब
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सागर द्विवेदी
by: सागर द्विवेदी

Updated on: 11 Sept 2024 12:29 PM IST

NCPCR ( राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग) ने उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन को कैसिल करने वाले इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ पीठ के 22 मार्च के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. इस पर एनसीपीसीआर का कहना है कि मदरसे में बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा व्यापक नहीं है और इसलिए यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों के खिलाफ है. मदरसे इन बुनियादी आवश्यकताओं को प्रदान करने में विफल होकर बच्चों की अच्छी शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं.हलफनामे में कहा गया है कि बच्चों को न केवल उपयुक्त शिक्षा बल्कि स्वस्थ माहौल और विकास के बेहतर अवसरों से भी वंचित किया जाता है.

एनसीपीसीआर का कहना है कि ऐसे संस्थान गैर-मुसलमानों को इस्लामी धार्मिक शिक्षा भी प्रदान कर रहे हैं जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 28 (3) का उल्लंघन है.इसमें कहा गया है कि ऐसे संस्थान में शिक्षा प्राप्त करने वाला बच्चा स्कूल पाठ्यक्रम के बुनियादी ज्ञान से वंचित होगा जो एक स्कूल में प्रदान किया जाता है.एनसीपीसीआर ने हलफनामे में आगे कहा है कि मदरसे न केवल शिक्षा के लिए एक असंतोषजनक और अपर्याप्त मॉडल प्रस्तुत करते हैं, बल्कि उनके पास काम करने का एक मनमाना तरीका भी है जो पूरी तरह से और शिक्षा के अधिकार की धारा 29 के तहत निर्धारित पाठ्यक्रम और मूल्यांकन प्रक्रिया के अभाव में है.


जानें पूरा मामला

इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 22 मार्च 2004 को यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन शिक्षा 2024 को असंवैधानिक करार दिया है. कोर्ट ने कहा था कि यह एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला यानी इसके खिलाफ है. जबकि धर्मनिरपेक्षता संविधान के मूल ढांचे का अंग है. कोर्ट ने राज्य सरकार से मदरसे में पढ़ने वाले छात्र को बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में तत्काल समायोजित करने का आदेश दिया था. साथ ही सरकार को यह भी कन्फर्म करने का आदेश दिया था कि 6 से 14 साल तक बच्चे मान्यता प्राप्त संस्थानों में दाखिले से न जाएं.

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