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Somvar Vrat Udyapan: घर पर कैसे करें 16 सोमवार व्रत उद्यापन, जानें नियम, विधि और इससे जुड़ी खास बातें

हिंदू धर्म में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित माना गया है. इस दिन भोलेनाथ की पूजा और व्रत से हर मनोकामना पूरी होती है. खासतौर पर 16 सोमवार व्रत का महत्व बहुत अधिक है. यह व्रत मुख्य रूप से अच्छे जीवनसाथी की कामना, दांपत्य जीवन में सुख-शांति, और विशेष इच्छाओं की पूर्ति के लिए रखा जाता है. आइए जानते हैं 16 सोमवार व्रत के नियम और इसके उद्यापन की विधि.

Somvar Vrat Udyapan: घर पर कैसे करें 16 सोमवार व्रत उद्यापन, जानें नियम, विधि और इससे जुड़ी खास बातें
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 19 Nov 2024 8:21 AM

Somvar Vrat Udyapan: हिंदू धर्म में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित माना गया है. इस दिन भोलेनाथ की पूजा और व्रत से हर मनोकामना पूरी होती है. खासतौर पर 16 सोमवार व्रत का महत्व बहुत अधिक है. यह व्रत मुख्य रूप से अच्छे जीवनसाथी की कामना, दांपत्य जीवन में सुख-शांति, और विशेष इच्छाओं की पूर्ति के लिए रखा जाता है. आइए जानते हैं 16 सोमवार व्रत के नियम और इसके उद्यापन की विधि.

16 सोमवार व्रत के नियम

16 सोमवार व्रत का आरंभ किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार से किया जा सकता है. हालांकि, सावन महीने में इस व्रत को प्रारंभ करना अधिक शुभ माना जाता है. व्रत रखने वाले जातक को इन नियमों का पालन करना चाहिए

  • हर सोमवार भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करें.
  • दिन में केवल एक समय भोजन करें.
  • व्रत के दौरान नमक का सेवन न करें (यदि संभव हो).
  • पूजा के लिए बेलपत्र, सफेद चंदन, और गंगाजल का उपयोग करें.
  • शिवजी को दूध और शहद अर्पित करें.

कैसे करें 16 सोमवार व्रत का उद्यापन?

16 सोमवार व्रत पूरा करने के बाद 17वें सोमवार को उद्यापन करना जरूरी होता है. उद्यापन की प्रक्रिया इस प्रकार है:

  • सुबह स्नान करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें.
  • उन्हें नए वस्त्र और गहने अर्पित करें.
  • चूरमे के लड्डू का भोग लगाएं.
  • ब्राह्मणों को जोड़े में कपड़े (स्त्री-पुरुष के लिए) और दक्षिणा दें.
  • ब्राह्मणों को भोजन कराकर चूरमे का प्रसाद वितरित करें.
  • अंत में स्वयं चूरमे का प्रसाद ग्रहण करें.

क्या है 16 सोमवार व्रत का फल

इस व्रत के पूर्ण होने पर भगवान शिव की कृपा से दांपत्य जीवन में सुख, इच्छित जीवनसाथी की प्राप्ति और हर मनोकामना पूरी होती है. यह व्रत संकटों से मुक्ति दिलाकर जीवन में शांति और समृद्धि लाता है.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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