क्यों कहा जाता है कि अक्षय तृतीया पर शादी करने से मिलता है सात जन्मों का साथ? जानें धार्मिक मान्यता
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को बेहद शुभ दिन माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन किए गए काम सफल होते हैं. इसलिए अक्षय तृतीया पर घर खरीदने से लेकर शादी तक की जाती हैं. खासतौर पर मान्यता है कि इस दिन की हुई शादी कभी नहीं टूटती है.

मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही त्रेता युग का आरंभ हुआ था. इस युग में भगवान विष्णु ने कई अवतार लिए थे. इनमें भगवान परशुराम शामिल हैं. इस दिन सभी ग्रह शुभ स्थिति में होते हैं और किसी मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है. इसलिए इसे ‘अभीजित मुहूर्त’ भी कहते हैं.
अक्षय तृतीया को विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन कई शादियां होती हैं. चलिए जानते हैं आखिर क्यों इस दिन विवाह के लिए क्यों है शुभ.
क्यों होती है शादियां?
अक्षय का अर्थ जो कभी खत्म न हो होता है. माना जाता है कि इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य, जैसे विवाह, दान, पूजन आदि, कभी निष्फल नहीं होता और इसका पुण्य सदैव बना रहता है. इसलिए विवाह जैसे जीवनभर के बंधन के लिए यह दिन श्रेष्ठ माना गया है.
विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा का दिन
यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है. इन दोनों की कृपा से जीवन में धन, सुख, समृद्धि और सौभाग्य आता है. विवाह को स्थिर और संपन्न बनाने के लिए इस दिन शादी करना अत्यंत शुभ माना गया है.
शुभ कर्मों की अक्षय प्राप्ति
शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन सात जन्मों तक पुण्य फल मिलता है. जो भी शुभ कार्य इस दिन किया जाता है, वह अक्षय फल देता है. यानी उसका लाभ कभी खत्म नहीं होता है. इसी कारण, जीवनभर का बंधन जैसे विवाह के लिए यह दिन खास होता है.
अन्य पौराणिक मान्यताएं
कुबेर को इसी दिन धन का अधिकारी बनाया गया था. इस दिन का संबंध महाभारत से भी है, क्योंकि द्रौपदी को अक्षय पात्र इसी दिन भगवान कृष्ण ने दिया था. इसके अलावा, सुदामा ने श्रीकृष्ण से भेंट भी अक्षय तृतीया के दिन की थी. इन सभी घटनाओं में भाग्य और समृद्धि का संयोग जुड़ा है, जो विवाह जैसे नए जीवन की शुरुआत के लिए मंगलदायक माना जाता है.