जानें महाराष्ट्र में कब शुरू हुई गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाने की परंपरा?
हिंदू धर्म में किसी भी काम को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. माना जाता है गणेश जी भक्तों के जीवन से दुखों को दूर करते हैं.

भारत विविधताओं का देश है. यहां तीज-त्योहार बेहद धूमधाम से मनाए जाते हैं. होली-दीवाली के अलावा, हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का खास महत्व है. यह बात हम सभी जानते हैं कि भारत के महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन क्या आप इसका कारण जानते हैं.
महाराष्ट्र में धूमधाम से गणेश चतुर्थी मनाने का कारण
गणेश चतुर्थी का उत्सव महाराष्ट्र में प्राचीन काल से मनाया जा रहा है, लेकिन यह त्यौहार खासकर छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल में अधिक प्रचलित हुआ। शिवाजी महाराज ने गणेशोत्सव को सार्वजनिक समारोह के रूप में अपनाया और इसे एक सांस्कृतिक और सामुदायिक आयोजन में बदला. हालांकि, छत्रपति शिवाजी महाराज के साम्राज्य में गणेश उत्सव के हर्षो उल्लास कम होने लगा.
इसके बाद यह परंपरा 19वीं सदी के अंत में शुरू हुई. स्वतंत्रता संग्राम के नेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इस उत्सव को आगे बढ़ाया. उनका उद्देश्य एकता और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना था। उन्होंने गणेशोत्सव को सार्वजनिक रूप से मनाने की अपील की, जिससे यह त्योहार एक बड़े सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम में बदल गया।
गणेश चतुर्थी का त्योहार 10 दिन तक ही क्यों मनाया जाता है?
गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिन तक मनाया जाता है. इस त्योहार के पहले दिन घर में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना होती है. इसके बाद 10वें दिन नदी में मूर्ति विसर्जित करने की परंपरा है. माना जाता है कि गणेश जी ने 10 दिन में बिना रूके महाभारत लिखी थी और आखिरी दिन उन्होंने सरस्वती नदी में स्नान किया. इस कारण से गणेश चतुर्थी का त्योहार 10 दिन तक मनाया जाता है.
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता, सांस्कृतिक संरक्षण, और आध्यात्मिक उन्नति का भी प्रतीक है। यह त्योहार लोगों को एकजुट करने, पारंपरिक सांस्कृतिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने और आध्यात्मिक वृद्धि के अवसर प्रदान करने का माध्यम है। गणेश चतुर्थी का मनाया जाना समाज में खुशी, सकारात्मकता और सहयोग का संदेश फैलाता है।