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Holi 2025 : होलिका दहन के शुभ मुहूर्त से लेकर जानें पूजा की विधि, क्या है इसका महत्व

होलिका दहन के दिन लोग बुरे कर्मों और पापों से मुक्ति की कामना करते हैं. यह माना जाता है कि इस दिन होलिका के अलाव में अपने बुरे कर्मों को जलाकर, व्यक्ति अपने जीवन में शुद्धता और पॉजिटिविटी ला सकता है.

Holi 2025 : होलिका दहन के शुभ मुहूर्त से लेकर जानें पूजा की विधि, क्या है इसका महत्व
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रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 13 March 2025 9:49 AM IST

Holi 2025 : होलिका दहन हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे होली के पहले दिन मनाया जाता है. यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत और श्रद्धा की प्रतीक है. होलिका दहन का आयोजन खासतौर से भारत और नेपाल में बड़े धूमधाम से किया जाता है, और यह होली के पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. होलिका दहन करने का धार्मिक कारण है कि राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद से भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को मारने की कोशिश की.

लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए, जबकि होलिका आग में जलकर मर गई. इस प्रकार, होलिका दहन का आयोजन बुराई (होलिका) के नाश और अच्छाई (प्रह्लाद) की विजय के रूप में किया जाता है. हालांकि अब लोग होलिका दहन में अपने घरों के लिए सुख समृद्धि और खुशाली मांगते हैं. जिससे घरों की नकारत्मक ऊर्जा बाहर होती है. आइये होलिका दहन का मुहूर्त और उसके नियम.

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दहन का शुभ मुहूर्त

द्रिक पंचांग के अनुसार, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च को रात 11:26 बजे से 14 मार्च को सुबह 12:48 बजे तक है. वहीं 13 मार्च से सुबह 10:35 से पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी. जो 14 मार्च 2025 को दोपहर 12:23 बजे समाप्त होगी. इसे मनाने के लिए लोग एकजुट होकर अपने घरों के बाहर लकड़ियों का अंबार लगाते हैं. जिसमें खासतौर से नीम, बेर, शमी और बबूल के पेड़ की लकड़ियां शामिल होती हैं. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि होलिका दहन के दौरान पीपल, बरगद, आम, तुलसी समेत कई पेड़ों की लकड़ियां नहीं जलानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ये पेड़ न केवल धार्मिक दृष्टि से पूजनीय हैं, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

पापों का नाश

होलिका दहन के दिन लोग बुरे कर्मों और पापों से मुक्ति की कामना करते हैं. यह माना जाता है कि इस दिन होलिका के अलाव में अपने बुरे कर्मों को जलाकर, व्यक्ति अपने जीवन में शुद्धता और पॉजिटिविटी ला सकता है. लोग इस दिन अपने पापों को नष्ट करने और एक नए शुद्ध जीवन की शुरुआत करने की प्रार्थना करते हैं.

पूजा सामग्री

गोबर से बनी होलिका और प्रहलाद की मूर्ति

गंगाजल

रोली, चावल

फूल, माला

नारियल

सूखे नारियल के टुकड़े

गुड़, कच्चा कपास

हल्दी, चंदन

गेहूं की बालियां और चना

कपूर और घी का दीपक

होलिका दहन पूजा विधि

सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध करें और वहां दीपक, अगरबत्तियां, धूप और पवित्र सामग्री रखें. होलिका दहन के लिए तैयार की गई लकड़ियों के ढेर पर कुमकुम, हल्दी, पुष्प (फूल), फल, और मिठाइयाँ जैसे पूजा की सामग्री रखें. पूजा की शुरुआत में दीपक और अगरबत्तियाँ जलाएं। इससे वातावरण में शुद्धता का संचार होता है और पूजा का माहौल पवित्र हो जाता है. फिर, अपने घर की सभी संतान और परिवार के सदस्य एक साथ मिलकर होलिका के पुतले की परिक्रमा करें और इस समय अच्छा स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की कामना करें. अब होलिका दहन की प्रक्रिया शुरू करें. इस समय सभी को होलिका दहन देखते समय अपने पुराने दुखों और बुरे अनुभवों को पीछे छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए.

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