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इस दिन मनाई जाएगी अनंत चतुर्दशी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Anant Chaturdashi 2024 Date : अनंत चतुर्दशी का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जिसे अनंत चौदस भी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है.

इस दिन मनाई जाएगी अनंत चतुर्दशी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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( Image Source:  Meta AI )
संस्कृति जयपुरिया
संस्कृति जयपुरिया

Updated on: 20 Dec 2025 12:02 AM IST

Anant Chaturdashi 2024 Date : अनंत चतुर्दशी का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जिसे अनंत चौदस भी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है, और यह दिन मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है. इस दिन गणेश चतुर्थी का समापन भी होता है और गणेशजी का विसर्जन किया जाता है. चलिए जानते हैं कब है अनंत चतुर्दशी, इसका महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि.

अनंत चतुर्दशी 2024 कब है?

अनंत चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 16 सितंबर को दिन में 3 बजकर 11 मिनट पर होगी. यह तिथि 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 45 मिनट तक रहेगी. शास्त्रों के अनुसार, उदयकाल व्यापत तिथि को मानते हैं, इसलिए अनंत चतुर्दशी का व्रत 17 सितंबर को सुबह किया जाएगा और उसी दिन गणेशजी का विसर्जन भी किया जाएगा.

अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त

अनंत चतुर्दशी का समय सुबह 10 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 15 मिनट तक है. इस समय अवधि में आप पूजा कर सकते हैं.

अनंत चतुर्दशी पूजा विधि

स्नान और व्रत संकल्प: अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह सूरज उगने से पहले स्नान करें और व्रत का संकल्प लें.

पूजा स्थान: पूजा किसी पवित्र नदी या सरोवर के किनारे करना शुभ होता है. यदि ऐसा संभव न हो, तो आप अपने घर के मंदिर में भी पूजा कर सकते हैं.

प्रतिमा स्थापना: भगवान विष्णु की शेषनाग की शैय्या पर विराजित प्रतिमा की स्थापना करें.

डोरे की तैयारी: एक डोरा लें और उसमें 14 बार गांठ बांधें. इस डोरे को भगवान की प्रतिमा के पास रखें और ओम अनंताय नमः मंत्र का जाप करें. पुरुष अपने दाहिने हाथ में और स्त्री अपने बाएं हाथ में डोरा बांधें.

कथा और पूजा: अनंत चतुर्दशी की कथा का पाठ करें और भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की पूजा विधिपूर्वक करें. अंत में आरती करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं. भोजन के बाद परिवार के साथ मिलकर प्रसाद ग्रहण करें.

इस प्रकार, अनंत चतुर्दशी का व्रत और पूजा विधि से सच्चे मन से की जाए तो इससे इच्छाओं की पूर्ति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है.

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