क्या होता है Disorientation जिसकी वजह से बेहोश होकर गिर पड़े गोविंदा? जानें कितनी खतरनाक है ये बीमारी
बॉलीवुड एक्टर गोविंदा की बीती रात तबियत खराब हुई और वह अचानक बेहोश होकर गिर पड़े, जिसके बाद फैंस के बीच चिंता की लहर दौड़ गई. डॉक्टरों ने जांच में बताया कि उन्हें डिसऑरिएंटेशन हुआ था. ऐसे में चलिए जानते हैं आखिर यह बीमारी क्यों होती है?
11 नवंबर की रात करीब 8 बजे गोविंदा को अचानक चक्कर आने लगे. तबीयत बिगड़ने पर परिवार ने डॉक्टर से फोन पर सलाह लेकर दवाइयां दीं, लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ. आधी रात के करीब वह बेहोश होकर गिर पड़े. डॉक्टरों का कहना है कि एक्टर को डिसऑरिएंटेशन की शिकायत थी.
हालांकि, गोविंदा की तबियत अब ठीक है. सुनने में यह शब्द भले ही नया लगे, लेकिन इसकी वजहें और लक्षण काफी गंभीर हो सकते हैं. चलिए ऐसे में जानते हैं आखिर क्या है डिसऑरिएंटेशन की समस्या?
क्या होता है डिसऑरिएंटेशन?
हेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, कई बार आपने देखा होगा कि कोई व्यक्ति अचानक यह भूल जाता है कि वह कहां है, कौन है या कौन-सा दिन चल रहा है. यह कंडीशन डिसऑरिएंटेशन यानी दिशाभ्रम कहलाती है. यह सिर्फ एक साधारण भूलने की समस्या नहीं होती, बल्कि एक ऐसा मेंटल स्टेट होता है, जिसमें व्यक्ति का दिमाग असलियत से अस्थायी रूप से कट जाता है. यह स्थिति अचानक भी आ सकती है और धीरे-धीरे भी विकसित हो सकती है.
डिसऑरिएंटेशन में व्यक्ति न तो सही से सोच पाता है और न ही अपने आसपास के माहौल को ठीक से समझ पाता है. ऐसे लोगों में भ्रम, बेचैनी, गुस्सा या डरे हुए जैसा व्यवहार देखा जा सकता है. कभी-कभी वे ऐसी चीजें देखने या सुनने लगते हैं जो वास्तव में मौजूद नहीं होतीं.
डिसऑरिएंटेशन के लक्षण
जब किसी व्यक्ति को डिसऑरिएंटेशन होता है, तो उसके बिहेवियर और सोच में कई बदलाव दिखाई देते हैं.
- सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है.
- ध्यान केंद्रित नहीं रह पाता.
- झूठी धारणाएं या भ्रम बनने लगते हैं.
- बेचैनी या चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है.
- कभी-कभी व्यक्ति बिना वजह इधर-उधर भटकने लगता है.
- कई मामलों में भ्रम और भ्रमित बातचीत भी देखी जाती है.
ये भी पढ़ें :क्या है Sleep Divorce? अलग सोकर शादी बचाने का नया ट्रेंड, 78% भारतीय कपल्स कर रहे फॉलो!
डिसऑरिएंटेशन के कारण
डिसऑरिएंटेशन कोई स्वतंत्र बीमारी नहीं है, बल्कि यह कई मानसिक या शारीरिक स्थितियों का लक्षण हो सकता है. इसके दो प्रमुख कारण हैं, जिनमें डेलीरियम और डिमेंशिया शामिल है.
डेलीरियम
यह अचानक दिमागी कार्यप्रणाली के बिगड़ने से होता है. इसका असर कुछ घंटों या दिनों तक रहता है. इसके कारणों में दवाओं का साइड इफेक्ट, संक्रमण, सिर की चोट या सर्जरी के बाद माहौल में बदलाव शामिल हो सकते हैं. कई बार बुजुर्ग लोग अस्पताल में भर्ती होने के बाद हॉस्पिटल डेलीरियम का शिकार हो जाते हैं.
डेलीरियम तीन प्रकार का होता है –
- हाइपर एक्टिव: व्यक्ति अत्यधिक बेचैन या आक्रामक हो सकता है.
- हाउपो एक्टिव : व्यक्ति स्लीपी, शांत या अलग-थलग रहता है.
- मिक्स्ड: दोनों तरह के बिहेवियर एक साथ दिखाई देते हैं.
डिमेंशिया
यह स्थिति धीरे-धीरे विकसित होती है और आमतौर पर स्थायी होती है. इसमें व्यक्ति की याददाश्त, सोचने की क्षमता और दिशा पहचानने की क्षमता धीरे-धीरे खत्म होने लगती है. अल्जाइमर जैसी बीमारियां इसका सबसे आम कारण हैं.
क्या करें जब कोई व्यक्ति डिसऑरिएंटेडेट हो जाए
यदि कोई व्यक्ति दिशा खो बैठा है या भ्रमित लग रहा है, तो सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें. उसके मेडिकल इतिहास, दवाइयों और हाल की घटनाओं की जानकारी डॉक्टर को जरूर दें. इससे सही कारण पहचानने में मदद मिलेगी. ऐसे व्यक्ति के आसपास का माहौल परिचित और शांत रखें. उसके पास रहें ताकि उसे सुरक्षा और भरोसे का अहसास हो. परिचित चीजें जैसे परिवार की तस्वीरें या उसकी पसंदीदा वस्तुएं उसके दिमाग को स्थिर करने में मदद कर सकती हैं.





