मम्मा एक्टिंग कर रही है... कैसे अपने अनबॉर्न बेबी से बातें करती थी एक्ट्रेस Kiara Advani?
जैसे कियारा ने इंटरव्यू में बताया, प्रेगनेंसी में अपने अनबॉर्न बच्चे से बात करना एक बहुत मजबूत और सुकून देने वाला तरीका हो सकता है. डॉ. सरकार कहती हैं, 'तनाव या भावनात्मक उथल-पुथल के समय में इस तरह का खुद को शांत करना मां के नर्वस सिस्टम को कंट्रोल करने में मदद करता है.
गर्भावस्था एक बहुत ही खूबसूरत और रोमांचक सफर होता है. यह न केवल शरीर में बदलाव लाता है, बल्कि व्यक्ति की सोच, रिश्तों और पूरे जीवन को देखने के नजरिए को भी पूरी तरह बदल देता है. बच्चे के आने की शुरुआती खुशी से लेकर गर्भ में पल रहे शिशु के साथ बनने वाला गहरा इमोशनल रिलेशन, ये सब अनुभव माता-पिता बनने की नई पहचान को और मजबूत बनाते हैं.
हाल ही में वोग इंडिया मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में बॉलीवुड एक्ट्रेस कियारा आडवाणी ने मां बनने की खुशियों के बारे में दिल खोलकर बात की. उन्होंने अपने पति सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ प्रेगनेंसी के अच्छे-बुरे पलों को साथ में जीने का मजा लिया. इंटरव्यू में कियारा ने बताया कि वे प्रेगनेंसी के दौरान सात महीने तक फिल्म की शूटिंग करती रही. यह राज सिर्फ उनके फिल्म के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर को ही पता था.
चुपचाप करती थी बातें
फिल्म 'वॉर 2' में काम करते हुए जब इमोशनली रूप से हेवी सीन्स शूट करने होते थे, तो कियारा चुपचाप अपनी वैनिटी वैन के छोटे से बाथरूम में चली जाती थी. वहां वे अपना पेट सहलाती हुईं अपने अजन्मे बच्चे से फुसफुसाकर कहतीं, 'मम्मी तो बस एक्टिंग कर रही है, सब ठीक है? यह रियल नहीं है.' कियारा ने बताया कि यह उनके लिए एक तरह का सुकून देने वाला रिवाज बन गया था. इससे उनकी भूमिका की इमोशनली गहराई और बच्चे के लिए मन में शांति के बीच एक अच्छा बैलेंस्ड बनता था. कियारा ने अपनी लाइफ में मौजूद मजबूत सपोर्ट सिस्टम के लिए भी बहुत शुक्रिया अदा किया.
मां और बच्चे का खास रिश्ता
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, नैदानिक मनोवैज्ञानिक और सेंटियर वेलनेस की संस्थापक डॉ. रिम्पा सरकार के अनुसार, मां और बच्चे के बीच का रिश्ता अक्सर बच्चे के जन्म से बहुत पहले ही शुरू हो जाता है. कई महिलाएं तो गर्भावस्था का पता चलते ही अपने बच्चे से भावनात्मक रूप से जुड़ना शुरू कर देती हैं. पेरेंटल साइकोलॉजी के रिसर्च के आधार पर डॉ. सरकार बताती हैं कि मां की भावनात्मक स्थिति उसके नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है, और इसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है. जब मां शांत, सुरक्षित और भावनात्मक रूप से स्थिर महसूस करती है, तो ये अच्छे संकेत बच्चे तक भी पहुंचते हैं.
अनबॉर्न बच्चे से बात करें
जैसे कियारा ने इंटरव्यू में बताया, प्रेगनेंसी में अपने अनबॉर्न बच्चे से बात करना एक बहुत मजबूत और सुकून देने वाला तरीका हो सकता है. डॉ. सरकार कहती हैं, 'तनाव या भावनात्मक उथल-पुथल के समय में इस तरह का खुद को शांत करना मां के नर्वस सिस्टम को कंट्रोल करने में मदद करता है. इससे इमोशनल सिक्योरिटी की फीलिंग्स बनती है. यह माइंडफुलनेस या पॉजिटिव सोच के प्रैक्टिस जैसा काम करता है, जो मन को ज्यादा तनाव से स्थिरता की ओर ले जाता है.' उन्होंने यह भी कहा कि कई महिलाओं के लिए ऐसे समय में मददगार साबित होता है जब वह तनाव पर या मूड स्विंग्स महसूस कर रही हो.
अपनी फीलिंग्स को खुलकर जाहिर करें
प्रेगनेंसी में भावनाओं को दबाकर रखना अक्सर लोगों को 'मजबूत बनना' लगता है, लेकिन सच यह है कि भावनात्मक जागरूकता रहना कहीं ज्यादा स्वस्थ तरीका है. डॉ. सरकार बताती हैं कि भावनाओं को दूर धकेलने की बजाय उन्हें स्वीकार करना इमोशनली बैलेंस्ड बनाने में मदद करता है और अंदर का तनाव कम करता है. डॉ. सरकार कहती हैं, 'जब मांएं गर्भावस्था में खुद को भावनात्मक नरमी और आत्म-करुणा (Self-compassion) देने की इजाजत देती हैं, तो इससे न केवल उनकी मेंटल हेल्थ मजबूत होती है, बल्कि बच्चे के साथ सुरक्षा और डीप बॉन्ड भी बढ़ता है, जो जन्म के बाद भी लंबे समय तक बना रहता है.' मां और बच्चे के बंधन को और मजबूत बनाने के लिए कुछ आसान सुझाव दिए हैं.
- गर्भावस्था के 18वें हफ्ते तक बच्चा सुनने लगता है और 22-24 सप्ताह तक आवाजें पहचानने लगता है. मां को अपने अजन्मे बच्चे से बात करना शुरू कर देना चाहिए. बच्चा अपनी हलचल बढ़ाकर जवाब देगा. हर प्रेग्नेंट महिला के लिए 20वें हफ्ते या करीब पांच महीने से बच्चे से बात करना बहुत जरूरी है.
- जब भी आराम कर रही हों, तो पेट पर हथेली को हल्के से घुमाएं. इससे बच्चे को अच्छी एनर्जी मिलती है. बच्चा सुकून महसूस करता है और हलचल से जवाब देता है.
- गाना गाने का बच्चे पर बहुत अच्छा असर पड़ता है. यह मां और बच्चे के बीच बंधन बनाने का एक सरल और प्रभावी तरीका है.
- अगर पहले से कोई बड़ा बच्चा है, तो उसे आने वाले भाई या बहन के बारे में बताएं बड़े बच्चे को बच्चे की हलचल महसूस करवाएं.
- सभी गर्भवती महिलाओं को योग, प्राणायाम और हल्के व्यायाम करने की सलाह दी जाती है. इससे गर्भाशय में खून का संचार बढ़ता है, बच्चे को आराम मिलता है और उसका विकास अच्छा होता है. चलना और तैरना जैसी गतिविधियां भी बच्चे के लिए फायदेमंद हैं.
- गर्भावस्था का यह सफर न केवल एक नया जीवन लाता है, बल्कि मां के अंदर भी एक नई ताकत और समझ पैदा करता है





