जानें लेबनान के अलावा किन देशों में इस्तेमाल किया जाता है पेजर और क्यों?
1920 के दशक में पेजर की शुरुआत हुई थी, जिसे "कॉलिंग बेल" कहा जाता था, जिसका इस्तेमाल फर्स्ट एड और इमरजेंसी सर्विस में किया गया था. यह एक सिंपल मैकेनिकल डिवाइस था. इसके बाद 1930 में कुछ कंपनियों ने वायरलेस कॉलिंग डिवाइस बनाएं.

मंगलवार को लेबनान में हिजबुल्लाह के सदस्यों ने एक हमला किया, जिसमें करीब 2,000 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है. यह हमला पेजर से किया गया है. यह ब्लास्ट करीब 1 घंटे तक हुआ. चलिए जानते हैं कि पेजर क्या होता है और आज भी किन देशों में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
पेजर छोटे रेडियो रिसीवर की तरह होते हैं, जिसे आप आसानी से अपने साथ कहीं भी ले जा सकते हैं. पेजर में हर व्यक्ति के पास एक पर्सनल कोड होता है. जिसका इस्तेमाल आपको मैसेज भेजने के लिए कर सकते हैं.
यूके
साल 2019 में बीबीसी की पछी एक रिपोर्ट में बताया गया कि यूके की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) में काम करने वाले लोग 130,000 लोग दुनिया के बचे हुए पेजर में से 10% से ज़्यादा का इस्तेमाल करते हैं. 2017 के एक अध्ययन में कहा गया था कि 80% ब्रिटिश अस्पताल में अभी भी पेजर का इस्तेमाल किया जाता है.
कुछ अस्पताल के कमरे एक्स-रे रखने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, लेकिन इससे टेलीफ़ोन सिग्नल भी ब्लॉक हो जाते हैं.वहीं, पेजर के रेडियो सिग्नल सही आते हैं, लेकिन एक समय बाद पेजर का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद हो जाएगा. उन्हें 2021 तक NHS से हटा दिया जाएगा और उनकी जगह कोई दूसरा मैसेजिंग सिस्टम ले लेगा.
जापान
साल 2019 में जापान के आखिरी पेजर प्रोवाइडर टोक्यो टेलीमेसेज ने अपनी सर्विस बंद कर दी थी.1,500 से भी कम ग्राहक बचे थे, जिनमें से अधिकांश हेल्थ वर्कर थे. 1950 और 1960 के दशक में विकसित पेजर की लोकप्रियता 1980 के दशक में बढ़ी. क्योडो समाचार एजेंसी के अनुसार, 1996 तक टोक्यो टेलीमेसेज के 1.2 मिलियन यूजर्स थे, जिनमें से 10 मिलियन कस्टमर पूरे देश में थे.
अमेरिका
साल 2020 में यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में 2 मिलियन से अधिक पेजर उपयोग में थे. जबकि 1990 के दशक में 60 मिलियन से अधिक लोग पेजर का इस्तेमाल कर रहे थे. यह वह लोग थे, जो बिजनेस और हेल्थ सेक्टर में काम करते थे.
लेबनान
हाल ही में लेबनान में हुए पेजर ब्लास्ट से यह पता चलता है कि आज भी लेबनान में पेजर्स का इस्तेमाल किया जाता है. इस हमले में 11 लोगों की मौत हो चुकी है और 2,750 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं.