क्या है हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ? जिसका जिक्र पीएम मोदी ने राज्यसभा में किया
पीएम मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ का जिक्र किया है जिसके बाद से यह चर्चा में बना गया. हालांकि इससे पहले भी भाजपा इसका जिक्र कर चुकी है. तो आइए इस खबर में हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ क्या है जानते हैं...

Hindu Rate of Growth: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 06 फरवरी 2024 को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस का जवाब देते हुए अतीत की कांग्रेस सरकारों पर तीखा वार की. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण हिंदुओं की छवि खराब हुई और धीमी JDP वृद्धि को हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ का जिक्र किया. बताते चले की इससे पहले भाजपा ने इस मुद्दे को उठा चुकी है.
क्या है 'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ'?
1950 से 1980 के दशक तक, भारत की औसत वार्षिक आर्थिक विकास दर 3-4% के बीच रही, जबकि इसी अवधि में अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाएं तेजी से आगे बढ़ रही थीं. इस धीमी वृद्धि दर को "हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ" कहा गया, हालांकि इसका हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं था. राज कृष्ण का तर्क था कि भारत की आर्थिक नीतियां, लाइसेंस राज, नौकरशाही बाधाएं और समाजवादी नीतियां इस धीमी विकास दर के लिए जिम्मेदार थीं.
हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ (7.8%) को लेकर चल रही चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्यसभा भाषण के बाद शुरू हुई, जिसमें 'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ' का उल्लेख किया गया था. इस संदर्भ में बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने 7.8% की विकास दर को "हिंदुत्व की विकास दर" बताया.
2021-22, 2022-23 और 2023-24 के लिए भारत की औसत वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर 7.8% रही. हालांकि, यह आंकड़ा कोविड-19 के कारण 2020-21 में आई आर्थिक गिरावट (लगभग -6%) को नजरअंदाज करता है. निम्न आधार प्रभाव (Low Base Effect) के कारण, कोविड के बाद जीडीपी वृद्धि स्वाभाविक रूप से अधिक दिखी, लेकिन वास्तविक आर्थिक प्रगति धीमी थी.
PM मोदी ने 'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ' का जिक्र क्यों किया?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान कांग्रेस पर तंज कसते हुए हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ का जिक्र किया. उनका कहना था कि कांग्रेस के शासन में भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर और धीमी गति से बढ़ रही थी. मोदी ने कहा कि आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, लेकिन कुछ लोग इसे फिर से "हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ" की ओर ले जाना चाहते हैं. उनका इशारा कांग्रेस की आर्थिक नीतियों की आलोचना की तरफ था.
क्या अब भी भारत 'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ' की ओर बढ़ रहा है?
1991 के आर्थिक सुधारों के बाद भारत की अर्थव्यवस्था में तेज़ी आई और 2000 के दशक में 7-8% की औसत विकास दर देखने को मिली. हालांकि, COVID-19 और वैश्विक आर्थिक सुस्ती के कारण हाल के वर्षों में GDP ग्रोथ में गिरावट देखी गई. 2023-24 में IMF और अन्य एजेंसियों ने भारत की विकास दर 6-7% रहने का अनुमान लगाया है, जो वैश्विक स्तर पर उच्च है.