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दिल है कि टूट जाता है...! सुप्रीम कोर्ट ने कहा- शादी से इनकार करने आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं

एक महिला ने प्रेमी से शादी न करने से मना करने पर सुसाइड कर लिया था. फिर उसके परिवार वाले ने प्रेमी के खिलाफ याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. जिस पर अपनी प्रेमिका की आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था. कोर्ट ने कहा कि दिल टूटना जिंदगी का हिस्सा है, शादी से मना कर देना, आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं है.

दिल है कि टूट जाता है...! सुप्रीम कोर्ट ने कहा- शादी से इनकार करने आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं
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( Image Source:  canva )

Supreme Court: हर इंसान को जीवन में एक न एक बार प्यार जरूर होता है. प्यार बहुत खूबसूरत एहसास है लेकिन कई बार इस रिश्ते का अंत बेहद दर्दनाक होता है. ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (29 नवंबर) को सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि दिल टूटना जिंदगी का हिस्सा है. कपल में से किसी एक का शादी से मना कर देना, आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं है.

जानकारी के अनुसार एक महिला ने प्रेमी से शादी न करने से मना करने पर सुसाइड कर लिया था. फिर उसके परिवार वाले ने प्रेमी के खिलाफ याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. जिस पर अपनी प्रेमिका की आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था.

हार्ट ब्रेक पर कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. पीठ ने एक व्यक्ति को आरोपी बताने वाली याचिका को खारिज कर दिया. जिस पर अपनी प्रेमिका की आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था. मामले में कहा गया था कि व्यक्ति की प्रेमिका ने उससे शादी करने से इनकार करने पर आत्महत्या कर ली थी. इस पर बेंच ने कहा कि किसी से शादी करने से इंकार करना आत्महत्या के लिए उकसाने के बराबर नहीं है. पीठ ने कहा कि यह साबित करना होगा कि आरोपी ने ऐसा कुछ किया हो, जिससे लड़की के सामने जीवन खत्म करने की परिस्थितियां पैदा हुई हो. साथ ही उसके पास अपना जीवन समाप्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा हो.

SC ने सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यहां तक कि वैसे केस में भी जहां पीड़िता क्रूरता के कारण आत्महत्या कर लेती है. कोर्ट ने माना कि समाज में घरेलू जीवन में कलह और मतभेद काफी आम हैं और इस तरह के अपराध का होना काफी हद तक पीड़िता की मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है. कोर्ट ने कहा, निश्चित रूप से, जब तक आरोपी का आपराधिक इरादा साबित नहीं होता जो यह दिखाए कि आरोपी ने महिला को सुसाइड के लिए उकसाया. कोर्ट ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि लंबे रिश्ते के बाद भी शादी से इनकार करना उकसावे की श्रेणी में नहीं आता.

क्या है मामला?

कोर्ट में कमरुद्दीन सनदी पर अपनी प्रेमिका के साथ धोखाधड़ी और उसे आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराया गया था. मृतक प्रेमिका की मां ने शिकायत में कहा कि उसकी बेटी (21) पिछले 8 साल से आरोपी से प्यार करती थी और अगस्त 2007 में उसने आत्महत्या कर ली थी, क्योंकि आरोपी ने शादी का वादा पूरा करने से मना कर दिया था. बेंच ने महिला की मौत से पहले के दो बयानों का विश्लेषण किया. जिसके तहत न तो कपल के बीच शारीरिक संबंध का कोई आरोप था और न ही आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा कुछ. इसलिए टूट् हुए रिश्ते भावनात्मक रूप से परेशान करने वाले होते हैं , लेकिन अपराध की श्रेणी में नहीं आते.

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