'ए राजा जी एकरे त रहल ह जरूरत...', प्रधान पतियों और सरपंच पतियों पर लगेगी लगाम
देश भर में पंचायतों में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित हैं. पंचायत चुनाव में जीतकर महिलाएं मुखिया, सरपंच या प्रधान बन तो जाती हैं, लेकिन अक्सर उनकी जगह काम उनके पति ही कर रहे होते हैं. अब सरकार इस पर लगाम लगाने की तैयारी कर रही है.

सरकार भले ही महिलाओं को सशक्त करने के लिए तमाम उपाय करे लेकिन सामाजिक व्यवस्था कई बार उन तमाम उपायों को धता बता देती है. ऐसा ही कुछ होता है पंचायतों में जहां सरपंच या प्रधान होती तो महिलाएं हैं लेकिन उनके नाम पर उनके पति पावर में रहते हैं और रौब झाड़ते हैं. ऐसा यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा जैसे कई राज्यों में होता है. ओटीटी की मशहूर वेब सीरीज पंचायत में भी काफी हद तक यह चीज दिखती है.
लेकिन अब सरकार इस पर लगाम लगाने की तैयारी कर रही है. पंचायती राज मंत्रालय ने इस मामले में सलाह देने के लिए एक कमेटी गठित की थी जिसने इस समस्या से निपटने के लिए कई अहम सुझाव दिए हैं. और अगर उन सुझावों को लागू किया गया तो भविष्य में मुखिया पति, प्रधान पति और सरपंच पतियों पर लगाम लग जाएगी.
सख्त सजा की सिफारिश
समिति ने इस समस्या से निपटने के लिए कड़ी सजा देने की सिफारिश की है. साथ ही इन मामलों की शिकायतों के लिए हेल्पलाइन और महिला निगरानी समितियों के जरिए रिपोर्टिंग का एक मजबूत सिस्टम बनाने का भी सुझाव दिया है, जिसमें शिकायत करने वाले की पहचान गुप्त रखने से लेकर शिकायत सही पाए जाने पर पुरस्कार तक देने की बात कही गई है.
नीचे से ऊपर तक निगरानी का सुझाव
समिति ने एक डिटेल रोडमैप भी सुझाया है जिसके तहत नीचे से लेकर ऊपर तक निगरानी के लिए सिस्टम बनाने की बात भी है. साथ ही लोग अपनी मानसिकता बदलें इसके लिए मार्गदर्शन देने की बात भी कही गई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सितंबर 2023 में मंत्रालय ने इस सलाहकार समिति का गठन किया था.
पंचायतों में महिलाओं के लिए आरक्षण
बता दें कि पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण का प्रावधान है. हालांकि, 21 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी तक आरक्षण की व्यवस्था की गई है. देश भर में लगभग 2.63 लाख पंचायतों में 32.29 लाख निर्वाचित प्रतिनिधि हैं और उनमें से लगभग 15.03 लाख महिलाएं हैं.