'राहुल गांधी की जीभ काटने वाले को दूंगा 11 लाख', शिंदे गुट विधायक के बिगड़े बोल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरक्षण खत्म करने वाले बयान पर शिवसेवना विधायक ने तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति राहुल गांधी की जीभ काटेगा उसे मैं 11 लाख रुपये इनाम स्वरूप में दूंगा. वहीं शिंदे गुट विधायक के इस बयान से सियासी पारा काफी गरमा चुका है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेरिका दौरे के दौरान आरक्षण पर बयान दिया था. जिसपर भारत में सियासी गलियारों में बयानबाजी काफी तेज हुई थी. ताजा जानकारी की अगर बात की जाए तो राहुव गांधी के बयान पर शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने सोमवार को तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि 'जो व्यक्ति राहुल गांधी की जीभ को काटेगा वह उसे 11 लाख रुपये इनाम स्वरूप देंगे.
अब इस मामले पर महाराष्ट्र से भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने इस टिप्पणी से खुद को दूर कर लिया है. भले ही भाजपा राज्य में शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार का हिस्सा है.
कांग्रेस का असली चेहरा आ गया है सामने
आपको बता दें कि कांग्रेस नेता ने अपनी विदेशी यात्रा के दौरान भारत में आरक्षण को लेकर निशाना साधा था. इसी बयान पर अब शिवसेना विधायक ने भी उनपर निशाना साधते हुए कहा कि जब वह विदेश में थे, राहुल गांधी ने कहा कि वह भारत में आरक्षण प्रणाली को खत्म करना चाहते हैं.इससे कांग्रेस का असली चेहरा सामने आ गया है.
पुलिसकर्मी से कार करवाई थी साफ?
विदर्भ क्षेत्र की बुलढाणा विधानसभा सीट से प्रतिनिधित्व करने वाले संजय गायकवाड़ पहली बार विवादों में नहीं घिरे है. इससे पहले एक भी उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था. इस वीडियो में एक पुलिसकर्मी उनकी कार को साफ करते दिखाई दिया था. इस वीडियो पर खूब चर्चा हुई थी. लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद पुलिसकर्मी का स्पष्टीकरण भी सामने आया था.
स्वेच्छा से किया था कार को साफ
पुलिसकर्मी ने वीडियो पर स्पष्टीकरण पेश करते हुए कहा बताया था कि उन्होंने शिवसेना विधायक की कार में गलती से उल्टी कर दी थी. जिसे उन्होंने अपनी स्वेच्छा से ही साफ किया था. हालांकि किसी ने इसे रिकॉर्ड किया जिसके बाद इसकी खूब चर्चा भी हुई थी.
इस साल भी उन्होंने बाघ के शिकार की कहानी सुनाते हुए खूब सुर्खियां बटौरी थी. हम उस बयान की बात आपसे कर रहे हैं जिसमें संजय सिंह ने कहा था कि साल 1987 में उन्होंने एक बाघ का शिकार किया था. इतना ही नहीं उन्होंने उसके दांत को हार के रूप में पहना था. जिसके बाद राज्य वन विभाग ने तब फोरेंसिक पहचान के लिए दांत का परीक्षण किया और उस पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत आरोप लगाया था.