ISS पर जाएगा राजमा-चावल और मूंग दाल का हलवा, शुभांशु शुक्ला एस्ट्रोनॉट को खिलाएंगे घर का खाना; उगाएंगे कौन से सुपरफूड?
करीब 40 साल बाद शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष यात्रा पर जाने वाले दूसरे भारतीय बनेंगे. 8 जून को वे एक्सिओम स्पेस के मिशन एक्स-4 के तहत ISS की ओर उड़ान भरेंगे. इस मिशन में भारतीय व्यंजन, ISRO के प्रयोग और सांस्कृतिक प्रतीकों के साथ भारत की वैश्विक वैज्ञानिक उपस्थिति फिर से स्थापित होगी.

शुभांशु शुक्ला का नाम अब इतिहास में दर्ज होने जा रहा है, क्योंकि वे लगभग चार दशकों बाद अंतरिक्ष में कदम रखने वाले दूसरे भारतीय बनने जा रहे हैं. राकेश शर्मा के 1984 के मिशन के बाद शुक्ला, एक्सिओम स्पेस के वाणिज्यिक मिशन एक्स-4 के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक पहुंचेंगे. यह मिशन 8 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होगा.
यह सिर्फ वैज्ञानिक प्रयोगों का मिशन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक उपस्थिति का प्रतीक भी होगा. शुक्ला ISS पर वैज्ञानिक प्रयोगों के साथ-साथ भारत के विभिन्न क्षेत्रों की वस्तुएं और व्यंजन भी ले जाएंगे. वे मूंग दाल का हलवा, आम रस, राजमा-चावल और जयपुरी सब्ज़ियों के ज़रिए साथी अंतरिक्ष यात्रियों को भारतीय स्वाद से परिचित कराएंगे.
इसरो और बायोटेक प्रयोगों की महत्वपूर्ण भूमिका
शुक्ला की यह यात्रा भारत के अंतरिक्ष शोध के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसरो और जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने मिलकर उनके लिए सात प्रयोग तैयार किए हैं, जिनमें माइक्रोग्रैविटी में मेथी और मूंग को अंकुरित करना शामिल है. ये प्रयोग न सिर्फ जीरो ग्रैविटी में जीवनशैली पर केंद्रित हैं, बल्कि भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए पोषण संबंधी बुनियादी संरचना भी तैयार करेंगे.
1.4 अरब भारतीयों का प्रतिनिधित्व
शुक्ला का यह मिशन व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय भावना से भरा है. उन्होंने कहा है कि यह 1.4 अरब भारतीयों की साझा यात्रा है. वे अंतरिक्ष से फ़ोटो और वीडियो के ज़रिए भारतवासियों को यह अनुभव शेयर करेंगे, ताकि विज्ञान और अंतरिक्ष के प्रति देश में जागरूकता बढ़े और अगली पीढ़ी प्रेरित हो.
अंतरराष्ट्रीय सहभागिता और भविष्य की राह
एक्स-4 मिशन में भारत के अलावा पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हैं, जो पहली बार ISS पर जा रहे हैं. इस साझा वैश्विक मिशन में अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन कमांडर होंगी. भारत के लिए यह मिशन सिर्फ एक उड़ान नहीं, बल्कि 2027 के गगनयान की तैयारी और अंतरिक्ष कूटनीति में एक बड़ा कदम भी है. ISRO इस मिशन पर ₹550 करोड़ का निवेश कर रहा है, जो इसकी रणनीतिक अहमियत को दर्शाता है.