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NPPA ने इन 8 जरूरी दवाओं की बढ़ाई कीमत, इन बीमारियों में होता है इनका इस्तेमाल

नेशनल फार्मेटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने 8 दवाओं के दाम बढ़ाएं है. यह पहली बार नहीं है जब एनपीपीए ने दवाओं की अधिकतम कीमतों में वृद्धि की है. 2019 और 2021 में भी कुछ दवाओं के दाम बढ़ाए गए थे ताकि इन दवाओं का उत्पादन आर्थिक रूप से व्यवहार्य बना रहे.

NPPA ने इन 8 जरूरी दवाओं की बढ़ाई कीमत, इन बीमारियों में होता है इनका इस्तेमाल
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( Image Source:  Photo Credit- Freepik )

सरकार के नेशनल फार्मेटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने हाल ही में अस्थमा, ट्यूबरकुलोसिस और थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली आठ प्रमुख दवाओं की कीमतों में 50 प्रतिशत की वृद्धि की है. ये सभी जरूरी दवाएं हैं, जिनकी नई कीमतें दवाओं के निर्माण को स्थिर और व्यवहार्य बनाए रखने के लिए तय की गई हैं.

अब दवाओं की कीमत कितनी होगी?

जिन दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी की गई है, उनमें से अधिकांश की पहले की कीमतें बहुत ज्यादा नहीं थीं. नई कीमतें 1.02 रुपये प्रति एमएल घोल से लेकर 16.25 रुपये प्रति एमएल ड्रॉप तक होंगी. हालांकि, डेसफेरोक्सामाइन, जो ज्यादा महंगी दवा है, की कीमत 280 रुपये प्रति शीशी के आसपास होगी. दवा महंगी होने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन दवाओं का उत्पादन जारी रह सके.

कीमतों में वृद्धि का कारण क्या है?

एनपीपीए का मुख्य उद्देश्य जरूरी दवाओं की कीमतों को कंट्रोल में रखना है. हालांकि, इस बार, दवा निर्माताओं ने दावा किया कि रॉ मटेरियल की कीमतों में वृद्धि, प्रोडक्शन कॉस्ट और एक्सचेंज रेट में उतार-चढ़ाव ने इन दवाओं का निर्माण आर्थिक रूप से अव्यवहारिक बना दिया था. परिणामस्वरूप, कुछ कंपनियों ने उत्पादन बंद करने तक का आवेदन किया. इसी कारण से एनपीपीए ने इन दवाओं की कीमतों को बढ़ाने का निर्णय लिया.

वे कौन सी दवाएँ हैं जिनके दाम बढ़ाए गए हैं?

आठ प्रमुख दवाओं के दाम बढ़ाए गए हैं, जिनमें निम्नलिखित दवाएं शामिल हैं:

बेंज़िलपेनिसिलिन: यह दवा पाउडर के रूप में उपलब्ध होती है और इंजेक्शन द्वारा उपयोग की जाती है. इसका उपयोग निमोनिया, डिप्थीरिया, और सिफलिस जैसे जीवाणु संक्रमणों के उपचार में किया जाता है.

एट्रोपिन: यह इंजेक्शन सर्जरी के दौरान श्वसन पथ से लार और तरल पदार्थ को कम करने के साथ-साथ आपातकालीन स्थितियों में दिल की धीमी धड़कन के इलाज के लिए भी प्रयोग की जाती है.

स्ट्रेप्टोमाइसिन: यह दवा दो प्रकार के पाउडर फॉर्म में आती है और इसका उपयोग ट्यूबरकुलोसिस जैसे संक्रमणों के इलाज में होता है.

साल्बुटामोल: इस दवा के टैबलेट और घोल फॉर्म का उपयोग अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) के रोगियों में रेस्पिरेशन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है.

पिलोकार्पिन: यह ड्रॉप्स ग्लूकोमा जैसे आंखों के रोगों के इलाज के लिए प्रयोग की जाती है.

सेफैड्रोक्सिल: यह जीवाणुरोधी दवा त्वचा, गले और मूत्र मार्ग के संक्रमणों का इलाज करती है.

डेसफेरोक्सामाइन: यह इंजेक्शन पाउडर थैलेसीमिया जैसी बीमारियों में आयरन की अधिकता का इलाज करता है.

लिथियम: यह गोली मेंटल डिसऑर्डर जैसे मानिया और बाइपोलर डिसऑर्डर के उपचार में काम आती है.

पहले भी बढ़ाई गई हैं दवाओं की कीमतें

यह पहली बार नहीं है जब एनपीपीए ने दवाओं की अधिकतम कीमतों में वृद्धि की है. 2019 और 2021 में भी कुछ दवाओं के दाम बढ़ाए गए थे ताकि इन दवाओं का उत्पादन आर्थिक रूप से व्यवहार्य बना रहे.

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