NEET UG 2025: पश्चिम बंगाल में MBBS-BDS एडमिशन पर रोक, 11,000 से ज्यादा छात्रों का अधर में करियर
पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसलिंग कमेटी ने MBBS और BDS में दाखिले की प्रक्रिया अचानक रोक दी है. NEET UG 2025 की राउंड 1 काउंसलिंग निलंबित होने से 11,000 से ज्यादा छात्र अधर में लटक गए हैं. कोर्ट केस और राजनीतिक टकराव ने छात्रों का भविष्य अनिश्चित बना दिया है. अब सबकी निगाहें सरकार और हाईकोर्ट के अगले फैसले पर टिकी हैं.

पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (WBMCC) ने सोमवार देर रात एक नोटिस जारी कर NEET UG 2025 की राउंड 1 काउंसलिंग को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया. यह फैसला बेहद चौंकाने वाला इसलिए माना जा रहा है क्योंकि सीट आवंटन का परिणाम 20 अगस्त को घोषित होना था और छात्रों ने अपनी पसंद पहले ही लॉक कर दी थी. अब 11,178 उम्मीदवारों को नहीं पता कि उनकी काउंसलिंग कब होगी और एडमिशन प्रक्रिया कितनी लंबी खिंच जाएगी.
इस विवाद की जड़ ओबीसी आरक्षण से जुड़ा कानूनी मामला है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने पहले प्रवेश प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी, जिससे राज्यभर में मेडिकल एडमिशन की तैयारी कर रहे छात्रों की चिंता बढ़ गई थी. बाद में अदालत ने प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति तो दी लेकिन शर्त रखी कि नई मेरिट लिस्ट 22 अगस्त तक जारी की जाए. इस आदेश के बाद 16 अगस्त को WBMCC ने संशोधित लिस्ट निकाली थी. मगर अब पूरी प्रक्रिया फिर से अटक गई है.
छात्रों का भविष्य अधर में
सबसे ज्यादा परेशानी उन छात्रों को हो रही है जिन्होंने पिछले एक साल NEET की तैयारी में लगाया. अब जब रिज़ल्ट और मेरिट लिस्ट आ चुकी है, तो प्रवेश प्रक्रिया रुकने से उनका करियर अधर में है. छात्र और अभिभावक सोशल मीडिया पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं और सरकार से स्पष्ट जवाब मांग रहे हैं कि आखिर कब तक काउंसलिंग शुरू होगी.
स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं होती, तो इसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ेगा. हर साल हजारों नए डॉक्टर और डेंटल सर्जन मेडिकल व्यवस्था का हिस्सा बनते हैं. लेकिन इस देरी से कॉलेजों का नया शैक्षणिक सत्र भी प्रभावित होगा और अस्पतालों में प्रशिक्षु डॉक्टरों की कमी देखने को मिल सकती है.
सरकार और विपक्ष आमने-सामने
यह मुद्दा अब राजनीतिक विवाद का भी रूप ले चुका है. केंद्रीय शिक्षा और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने सीधे राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि छात्रों का भविष्य अंधेरे में धकेल दिया गया है. विपक्ष लगातार इस फैसले पर सवाल उठा रहा है जबकि राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस सफाई नहीं दी गई है.
आगे की राह
फिलहाल WBMCC ने सिर्फ इतना कहा है कि काउंसलिंग "अगले आदेश तक स्थगित" है. अब अगला कदम कोर्ट और सरकार के फैसलों पर निर्भर करेगा. छात्रों की नज़र WBJEEB और WBMCC की आधिकारिक वेबसाइट पर टिकी हुई है क्योंकि हर नई सूचना वहीं से मिलेगी. उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही नई तारीखों का ऐलान किया जाएगा ताकि हज़ारों छात्रों का भविष्य और ज्यादा देर तक अधर में न लटका रहे.