'जय श्री राम' बोलना कोई अपराध नहीं' मस्जिद में लगाए थे नारे, कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मस्जिद में जय श्री राम कहने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि आरोपियों के नारे लगाने से किसी भी तरह की हिंसा नहीं हुई या और ना ही किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंची, इसलिए यह अपराध नहीं माना जाएगा.

Karnataka High Court: देश में कहीं न कहीं से हिंदू-मु्स्लिम विवाद की अखबरें अक्सर देखने और सुनने को मिलती हैं. अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने मस्जिद से जुड़े एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. मस्जिद में जय श्री राम कहने के खिलाफ दायर याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
जानकारी के अनुसार अदालत ने यह आदेश पिछले महीने पारित किया था लेकिन वेबसाइट पर मंगलवार (15 अक्टूबर) को इसे अपलोड किया गया. कोर्ट ने जय श्री राम के नारे लगाने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया.
कोर्ट में पहुंचा मामाल
दक्षिण कन्नड़ के कडाबा तालुका के बिलनेली गांव में रहने वाले कीर्तन कुमार और एनएम सचिन कुमार पर मस्जिद में जय श्री राम के नारे लगाने का आरोप है. पुलिस ने आईसीपी की धारा 447, 295ए 505 और 506 के तहत दंडनीय अपराध का मामला दर्ज किया था. आरोपियों ने फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने दलील दी कि अपराध आईपीसी की धारा 447 के अंतर्गत आता है और मस्जिद एक सार्वजनिक स्थान है, इसलिए इसमें प्रवेश करना कोई गुनाह नहीं माना जा सकता.
नारे लगाना अपराध नहीं-HC
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने कहा कि यह समझ से परे है कि 'जय श्री राम' का नारा लगाने से किसी वर्ग की धार्मिक भावना कैसे आहत हो सकती है. अदालत ने कहा कि आरोपियों के नारे लगाने से किसी भी तरह की हिंसा नहीं हुई या किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंची इसलिए यह अपराध नहीं माना जाएगा. जब शिकायतकर्ता ने खुद कहा कि इलाके में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द के साथ रह रहे हैं तो इस घटना का किसी तरह से कोई नतीजा नहीं निकल सकता.
धारा 295 पर कोर्ट की टिप्पणी
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि कोई भी कार्य आईपीसी की धारा 295 ए के तहत तब तक अपराध नहीं माना जाएगा, जब तक कि उससे शांति स्थापित करने या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश न की गई हो. अगर ऐसा नहीं होता तो उन्हें आईपीसी की धारा 295 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा. कोर्ट ने कहा इस केस में किसी भी तरह के तत्व न पाए जाने पर इन आरोपियों के खिलाफ आगे की कार्यवाही की अनुमति देना कानून की प्रकिया का दुरुपयोग होगा.