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कौन है निसार अहमद? 30 साल की मेहनत के बाद कश्मीर घाटी तक ट्रेन लेकर आए; आतंकियों की वजह से छोड़ा था घर

Katra-Srinagar Vande Bharat: निसार अहमद ने वंदे भारत को श्रीनगर पहुंचाने में अहम योगदान दिया है. उन्हें रेलवे के प्रोजक्ट पर काम करने के लिए अपना घर भी छोड़ना पड़ा था. उनके पास घाटी में रेलवे के लिए जमीन जुटाने का काम था. उन्होंने कहा, इस ऐतिहासिक प्रोजेक्ट के साथ शुरू से आखिर तक मुझे काम करने का मौका मिला, ये मेरी बहुत खुशी की बात है.

कौन है निसार अहमद? 30 साल की मेहनत के बाद कश्मीर घाटी तक ट्रेन लेकर आए; आतंकियों की वजह से छोड़ा था घर
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( Image Source:  canava )

Katra-Srinagar Vande Bharat: जम्मू-कश्मीर की जनता को शुक्रवार 6 जून को बड़ी सौगात मिलने वाली है. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कटरा-श्रीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का उद्घाटन करेंगे. इससे श्रीनगर से कटरा तक का सफर सिर्फ 3 घंटे में पूरा हो जाएगा. लेकिन क्या आप जाते हैं इस प्रोजेक्ट को सफल बनाना आसान नहीं था. इसमें सबसे बड़ी भूमिका निसार अहमद मीर नामक अधिकारी की भी रही.

जागरण की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, निसार अहमद ने वंदे भारत को श्रीनगर पहुंचाने में अहम योगदान दिया है. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि जब मुझे इस काम की जानकारी दी गई थी, तब मुझे आतंकवादियों की धमकी, गांव वालों का विरोध और कई बार मारपीट का सामना भी करना पड़ा था.

कौन हैं निसार अहमद?

भारत सरकार को कई साल लग गए कश्मीर तक ट्रेन सेवा को पहुंचाने में. आज यह सपना पूरा हो जाएगा. घाटी के एक अधिकारी निसार अहमद ने इस प्रोजेक्ट को लेकर बड़े खुलासे किए हैं. उन्हें रेलवे के प्रोजक्ट पर काम करने के लिए अपना घर भी छोड़ना पड़ा था. इतना ही नहीं डंडे से मारा भी गया. वह इस प्रोजेक्ट में सीनियर सेक्शन ऑफिसर की भूमिका निभा रहे थे. उनका संघर्ष, मेहनत अब जाकर रंग लाई है.

उन्होंने कहा कि मैं खुश हूं कि प्रोजेक्ट अपनी मंजिल तक पहुंच गया. इस ऐतिहासिक प्रोजेक्ट के साथ शुरू से आखिर तक मुझे काम करने का मौका मिला, ये मेरी बहुत खुशी की बात है.

कई चुनौतियां का किया सामना

निसार अहमद ने कहा, यह सब कुछ इतना आसान नहीं था. वर्ष 1996 में मैंने रेलवे की परीक्षा पास की और मुझे यह प्रोजेक्ट में काम करने के लिए सेक्शन ऑफिसर की जिम्मेदारी मिली. मेरे पास घाटी में रेलवे के लिए जमीन जुटाने का काम था.

उन्होंने बताया कि 1996 से मैंने दिल्ली उधमपुर, 1998 में उधमपुर कटरा और 2001 में कटरा श्रीनगर रेल लिंक के लिए काम किया. कश्मीर के जमीन मालिकों से जमीन लेना बड़ा मुश्किल था. एक इंच जमीन देने के लिए सवालों की बौछार कर दी जाती थी. हालांकि कई कोशिशों के बाद हमने शौपियां, श्रीनगर, बड़गाम और बारामूला में रेलवे के लिए जमीन प्राप्त की.

मारपीट और आतंकियों की धमकी

नासीर ने बताया कि मुझे जमीन की लेने के लिए कई जगहों पर मार भी खानी पड़ी. मुझे और मेरी टीम पर हमला किया गया. एक बार तो मेरे सिर पर भारी चीज से हमला किया था, जिसके बाद कई दिन मैं बिस्तर पर ही पड़ा रहा. वहीं साउथ कश्मीर में जमीन हासिल करने की बारी आई तो आतंकवादियों की ओर से मुझे धमकी मिलनी शुरू हो गई, जिससे मेरा परिवार डर गया.

नौकरी न छोड़ने पर मारने की धमकी

उन्होंने कहा, एक बार मेरे परिवार की मदद से मुझे मैसेज भिजवाया कि अगर मैंने नौकरी नहीं छोड़ी तो मुझे जान से मार दिया जाएगा. लेकिन मैंने नौकरी नहीं छोड़ी और परिवार को लेकर श्रीनगर शिफ्ट हो गया. फिर अपने काम को जारी रहेगा. कई सालों तक इन समस्याओं का सामना करने के बाद अब सफलता मिल ही गई.

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