'पत्नी को हर महीने 1.75 लाख रुपये मेंटनेंस दे पति', तलाक मामले पर समझें SC का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए पत्नी को हर महीने 1,75,000 रुपये मेंटनेंस देने का आदेश दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्नी का जीवन स्तर पहले जैसा बनाए रखना पति की जिम्मेदारी है, खासकर जब तलाक की कार्यवाही चल रही हो.

मिया- बीवी के बीच लड़ाई होना तो आम बात है लेकिन आज - कल छोटी- छोटी लड़ाई तलाक का कारण बन जाती है इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के मामले में फैसला सुनाते हुए एक टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि तलाक की याचिका की पेंडेंसी के दौरान पत्नी उसी लाइफस्टाइल को मेंटेन करने की हकदार है, जिसकी हकदार वह मैरिड लाइफ में थीं. उन्होंने फैसला सुनाते हुए पति को निर्देश दिया है कि तलाक की कार्यवाही के दौरान वह पत्नी को हर महीने 1 लाख 75 हजार रुपये मेंटनेंस देंगे. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी.
पत्नी अपने वैवाहिक घर में निश्चित जीवन स्तर की आदी थी. इस कारण तलाक की याचिका के लंबित रहने के दौरान भी वैवाहिक घर में मिलने वाली सुविधाओं का लाभ उठाने का अधिकारी है. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की खंडपीठ ने यह भी कहा कि पत्नी काम नहीं कर रही थी, क्योंकि उसने विवाह के बाद अपनी नौकरी छोड़ दी थी. इसने पति को 1.75 लाख रुपये देने के फैमिली कोर्ट के आदेश को बहाल कर दिया. तलाक की कार्यवाही के दौरान पत्नी को 1,75,000/- (एक लाख पचहत्तर हजार रुपये) मासिक भरण-पोषण देने का आदेश दिया गया.
समझें पूरा मामला
याचिकाकर्ता की शादी 16 साल पहले हुई थी और उन्हें पति की पहली शादी से एक बेटा था, जबकि दूसरी शादी से कोई संतान नहीं हुई. 2019 में पति ने तलाक के लिए अर्जी दी थी, जिसमें इनकंपैटिबिलिटी और लड़ाई-झगड़ों का हवाला दिया गया था. इस बीच, पत्नी ने अपने पति से हर महीने 2,50,000 रुपये के इंटरिम मेंटेनेंस की मांग की थी.
'हर महीने भेजें 1.75 लाख रुपये'
पत्नी की दलील पर फैमिली कोर्ट ने पति को तलाक की प्रक्रिया के दौरान हर महीने 1,75,000 रुपये मेंटनेंस देने का आदेश दिया था. हालांकि, मद्रास हाईकोर्ट ने इस राशि को घटाकर 80,000 रुपये महीना कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए उच्च न्यायालय का आदेश खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए पत्नी को हर महीने 1,75,000 रुपये मेंटनेंस देने का आदेश दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्नी का जीवन स्तर पहले जैसा बनाए रखना पति की जिम्मेदारी है, खासकर जब तलाक की कार्यवाही चल रही हो.
HC के फैसले पर क्या बोला SC?
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में पति की आय के विभिन्न स्रोतों पर गौर करते हुए कहा कि वह एक डॉक्टर हैं और उनकी महीने की आय 1,25,000 रुपये है. इसके अलावा, पति और उनकी मां को रेंटल प्रॉपर्टी से किराया मिलता है. कोर्ट ने यह भी माना कि पति के पास अपनी खुद की प्रॉपर्टी है और पिता की संपत्ति से भी वह आय प्राप्त करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए, 14 जून, 2022 के फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. फैमिली कोर्ट ने तलाक की कार्यवाही के दौरान पत्नी को 1.75 लाख रुपये मेंटनेंस देने का आदेश दिया था, जो सुप्रीम कोर्ट ने सही माना.