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'हमारे संबंध बहुत ही ...' भारत-चीन सीमा विवाद पर अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कही ये बात

डेपसांग और डेमचोक को लेकर पेट्रोलिंग पर सहमति बनी. अब इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान सामने आया है. विदेश मंत्री ने कहा कि "भारत और चीन के संदर्भ में हमने कुछ प्रगति की है. हमें लगता है कि पीछे हटना एक स्वागत योग्य कदम है. इससे संभावना खुलती है कि अन्य कदम भी उठाए जा सकते हैं."

हमारे संबंध बहुत ही ... भारत-चीन सीमा विवाद पर अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कही ये बात
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( Image Source:  @DrSJaishankar )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Updated on: 4 Nov 2024 11:04 AM IST

India-China Border: भारत और चीन के बीच का सीमा विवाद खत्म हो गया है. एक समझौते के तहत दोनों देश के सैनिक अपनी पुरानी स्थिति में आ गए हैं. इस समझौते में डेपसांग और डेमचोक को लेकर पेट्रोलिंग पर सहमति बनी. अब इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान सामने आया है.

एस जयशंकर ने रविवार को ब्रिस्बेन में क्वींसलैंड विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे. इस दौरान उन्होंने भारतीय समुदाय के सदस्यों को संबोधित किया. विदेश मंत्री ने कहा कि

"भारत और चीन के संदर्भ में हमने कुछ प्रगति की है. उन्होंने कहा कि आप सबको पता है कि हमारे संबंध बहुत ही अशांत थे. हमने उस दिशा में कुछ प्रगति की है जिसे हम विघटन कहते हैं, जो तब होता है जब सैनिक एक-दूसरे के बहुत करीब होते हैं, जिससे कुछ अप्रिय घटना होने की संभावना होती है."

LAC से पीछे हटना अच्छा फैसला- विदेश मंत्री

विदेश मंत्री ने कहा, "एलएसी पर बहुत बड़ी संख्या में चीनी सैनिक तैनात हैं, जो 2020 से पहले वहां नहीं थे. और हमने बदले में जवाबी तैनाती की है. इस अवधि के दौरान संबंधों के अन्य पहलू भी प्रभावित हुए हैं. इसलिए स्पष्ट रूप से, हमें पीछे हटने के बाद देखना होगा कि हम किस दिशा में आगे बढ़ेंगे. लेकिन हमें लगता है कि पीछे हटना एक स्वागत योग्य कदम है. इससे संभावना खुलती है कि अन्य कदम भी उठाए जा सकते हैं."

वैश्विक युद्द पर क्या बोले विदेश मंत्री?

केंद्रीय मंत्री ने रूस-यूक्रेन, इजरायल-हमास समेत मध्य पूर्व में चल रहे युद्ध पर बात की. उन्होंने कहा कि "हम दोनों ही मामलों में कुछ करने का प्रयास कर रहे हैं." रूस-यूक्रेन संघर्ष पर जयशंकर ने कहा कि भारत कूटनीति को फिर से प्रमुखता पर लाने के प्रयास कर रहा है. मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी दोनों युद्धरत देशों के नेताओं के साथ बैठकों में व्यक्तिगत रूप से शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि संघर्ष के कारण, रूस और यूक्रेन को होने वाली क्षति के अलावा, दुनिया को हर दिन कुछ न कुछ नुकसान उठाना पड़ रहा है. "इसलिए, यह ऐसी स्थिति है, जिसमें कुछ हद तक सक्रियता या सक्रिय कूटनीति की आवश्यकता है. हम ऐसा करने का प्रयास कर रहे हैं."

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