सुप्रीम कोर्ट में झटका लगने के बाद बंगाल में फिर शुरू होगा MGNREGA, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने PMO को क्या बताया?
सुप्रीम कोर्ट से झटका मिलने के बाद केंद्र सरकार ने संकेत दिया है कि वह पश्चिम बंगाल में मनरेगा (MGNREGS) योजना को “विशेष शर्तों” के तहत फिर से शुरू करने पर विचार कर रही है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को बताया है कि वह इस पर विचार कर रहा है. 2022 में केंद्र ने “निर्देशों के उल्लंघन” का हवाला देकर बंगाल को फंड देना बंद कर दिया था, जिससे लाखों मजदूर प्रभावित हुए.
पश्चिम बंगाल में बंद पड़े मनरेगा (MGNREGS) को लेकर अब एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. सुप्रीम कोर्ट से झटका मिलने के कुछ दिनों बाद ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को सूचित किया है कि वह “विशेष शर्तों” के तहत राज्य में इस योजना को फिर से शुरू करने पर विचार कर रहा है. यह कदम केंद्र-राज्य के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद के बीच नई संभावनाओं के दरवाजे खोल सकता है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तीन साल से अधिक समय से पश्चिम बंगाल में बंद पड़े मनरेगा को लेकर केंद्र सरकार अब रुख नरम करने के मूड में दिख रही है. सूत्रों के अनुसार, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने हाल ही में पीएमओ को एक रिपोर्ट भेजी है, जिसमें कहा गया है कि वह “विशेष परिस्थितियों” में इस योजना को दोबारा शुरू करने पर विचार कर सकता है. बताया गया है कि पीएमओ ने मंत्रालय से इस मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी.
मनरेगा पर कानूनी पेंच और सुप्रीम कोर्ट का फैसला
दरअसल, केंद्र सरकार ने इस साल 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल की थी, जिसमें कोलकाता हाईकोर्ट के 18 जून के फैसले को चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि मनरेगा योजना को 1 अगस्त 2025 से पश्चिम बंगाल में लागू किया जाए, लेकिन केंद्र सरकार को यह अधिकार होगा कि वह योजना के संचालन के लिए “विशेष शर्तें और प्रतिबंध” लगा सके ताकि किसी तरह की अनियमितता या गैरकानूनी कार्य न हो. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की यह याचिका खारिज कर दी, जिससे हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रहा. कोर्ट ने साफ किया कि केंद्र को योजना लागू करनी ही होगी, लेकिन वह अपने विवेक से निगरानी और नियंत्रण संबंधी शर्तें लगा सकता है.
बंगाल में मनरेगा क्यों रुकी थी?
केंद्र सरकार ने 9 मार्च 2022 को मनरेगा के तहत पश्चिम बंगाल को फंड जारी करने पर रोक लगा दी थी. इसका कारण बताया गया था कि राज्य ने “केंद्रीय निर्देशों का पालन नहीं किया”. इसके बाद से राज्य में मनरेगा के तहत कोई नया काम शुरू नहीं हुआ. इससे पहले, 2014-15 से लेकर 2021-22 के बीच हर साल 51 से 80 लाख परिवार इस योजना का लाभ उठाते थे. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार लगातार यह मांग करती रही है कि केंद्र मनरेगा को फिर से शुरू करे. उनका आरोप है कि फंड रोकने का फैसला “राजनीतिक प्रतिशोध” से प्रेरित था, जिससे लाखों गरीब मजदूर बेरोजगार हो गए.
‘विशेष शर्तों’ के साथ लागू हो सकती है योजना
अब मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि वह धारा 27 (Section 27) के तहत योजना को “शर्तों सहित” बहाल करने पर विचार कर सकता है. इस धारा के तहत केंद्र सरकार को यह अधिकार है कि वह राज्य को फंड जारी करने या रोकने का फैसला नियमों के अनुपालन के आधार पर करे. विशेष शर्तों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल ट्रैकिंग, ऑडिट रिपोर्ट की समय पर समीक्षा, और फंड के उपयोग पर त्रैमासिक रिपोर्ट जैसी व्यवस्थाएं शामिल की जा सकती हैं. सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय यह सुनिश्चित करना चाहता है कि योजना फिर से शुरू तो हो, लेकिन पिछले जैसी अनियमितताओं की कोई गुंजाइश न रहे.
राजनीतिक और सामाजिक असर
पश्चिम बंगाल में मनरेगा का ठप पड़ना एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया था. ग्रामीण मजदूरों के बीच यह केंद्र बनाम राज्य की बहस में तब्दील हो गया. अब केंद्र सरकार के इस नए रुख को “नरम पड़ाव” के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तब जब सुप्रीम कोर्ट ने भी योजना के क्रियान्वयन का रास्ता साफ कर दिया है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर केंद्र मनरेगा को दोबारा शुरू करता है, तो इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान आएगी और आगामी लोकसभा चुनावों से पहले केंद्र-राज्य संबंधों में भी कुछ संतुलन स्थापित हो सकता है.
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
हालांकि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इस पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है. इंडियन एक्सप्रेस को मंत्रालय की ओर से भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला. वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि वह केंद्र के फैसले का स्वागत करेगी, बशर्ते कि योजना को “राजनीतिक शर्तों” में न बांधा जाए. राज्य के श्रम और रोजगार विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “हम चाहते हैं कि गरीब मजदूरों को उनका हक मिले. अगर केंद्र इस दिशा में कोई सकारात्मक कदम उठाता है, तो यह स्वागतयोग्य है.”
सुप्रीम कोर्ट के आदेश और पीएमओ को भेजे गए मंत्रालय के ताजा संकेत से यह साफ हो गया है कि केंद्र सरकार अब मनरेगा पर अपने पुराने सख्त रुख में ढील देने पर विचार कर रही है. यदि ऐसा हुआ, तो यह न केवल बंगाल के ग्रामीण मजदूरों के लिए राहत की खबर होगी, बल्कि केंद्र-राज्य संबंधों में भी एक नई शुरुआत का संकेत दे सकती है.





