Akanda 2 X Review : अखंडा का देशी Avengers अवतार! एक त्रिशूल से पड़ोसी देश खत्म; यूजर्स बोले- ज्यादा लॉजिक मत ढूंढो
अखंडा अक्का बालकृष्ण की. वो अपनी भतीजी जननी को बचाने, वायरस रोकने और दुश्मनों को ठोकने के लिए दोबारा अवतार लेते हैं. इसके बाद जो होता है, वो सिर्फ एक्शन नहीं…एक पूरा तूफान है! त्रिशूल से हेलीकॉप्टर रोकना, एक मुक्के में 50 आदमी उड़ाना, बंदूकें मोड़कर फूलमाला बना देना सब चलता है.
बोयापति श्रीनु की फिल्म शुरू होते ही स्क्रीन पर खुद डायरेक्टर आते हैं और चिल्लाते हैं 'रेडी बाबू… स्टार्ट कैमरा… एक्शन!'. बस इसी एक लाइन से आपको दो बातें तुरंत समझ आ जाती हैं. इस थिएटर में दिमाग घर पर छोड़कर आना पड़ेगा. न्यूटन अंकल, आइंस्टाइन अंकल और भौतिकी की पूरी किताब बाहर गेट पर जमा करा दी गई है. बोयापति साफ बता रहे हैं भाई, ये फिल्म तर्क, लॉजिक या रियलिटी से नहीं, सिर्फ और सिर्फ मसाला, मैग्निफिकेन्स और उनके अपने बिंदास कॉन्फिडेंस से चलने वाली है और इस बार 'अखंडा 2 : थांडवम' में ये कॉन्फिडेंस आसमान छू रहा है. नंदमूरी बालकृष्ण एक बार फिर हीरो भी हैं, भगवान भी हैं और सुपरहीरो भी हैं तीनों एक साथ.'
कहानी बहुत सीधी-सी है, एक पड़ोसी देश (जिसका नाम नहीं लिया, पर सबको पता है कौन) भारत को खत्म करने की साजिश रचता है. प्लान ये है कि महाकुंभ मेले में खतरनाक वायरस छोड़कर पूरे देश को तबाह कर दो. सनातन धर्म पर हमला करके भारत की आत्मा को तोड़ने की कोशिश. DRDO को जल्दी से जल्द वैक्सीन बनानी है. ये ज़िम्मेदारी अचानक 16 साल की सुपर-जीनियस लड़की जननी के हाथ में आ जाती है. उसका IQ 266 है वो रातों-रात वैक्सीन बना लेती है, लेकिन अब दुश्मन की नंबर-1 टारगेट वही बन जाती है.
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फनी एक्शन ने सबको हंसाया
अब बारी आती है हमारे अखंडा अक्का बालकृष्ण की. वो अपनी भतीजी जननी को बचाने, वायरस रोकने और दुश्मनों को ठोकने के लिए दोबारा अवतार लेते हैं. इसके बाद जो होता है, वो सिर्फ एक्शन नहीं…एक पूरा तूफान है! त्रिशूल से हेलीकॉप्टर रोकना, एक मुक्के में 50 आदमी उड़ाना, बंदूकें मोड़कर फूलमाला बना देना सब चलता है. खास बात ये है कि इस बार अखंडा की एंट्री फिल्म शुरू होते ही हो जाती है. आमतौर पर बोयापति अपनी फिल्मों में हीरो को इंटरवल के आसपास लाते हैं, पर इस बार तो पहले 20 मिनट में ही 'जय बालैया' चिल्लाने का लाइसेंस मिल जाता है.
देश का भाग्य बदलने का भाषण
बोयापति की फिल्मों का अपना अलग मजा है. हर डायलॉग ऐसा जैसे प्री-रिलीज़ इवेंट में दे रहे हों. आम बातचीत भी लगे जैसे देश का भाग्य बदलने वाला भाषण हो. मंदिर की घंटियां, तिलक, साड़ी-गहने, त्योहार, संस्कृति सब भर-भर के डाला जाता है. कॉमेडी नाममात्र को भी नहीं हंसी तो बस एक्शन देखकर अपने आप आ जाती है. बंदूक वाले हीरो को बंदूक से मारने चले आएं, पर गोली चलाते-चलाते थक जाएं और हीरो को खरोंच भी न आए. बर्फ पर पीछा करते हुए निशानेबाज़ एक-दूसरे से कॉम्पिटिशन करें कि आज कौन सबसे क्रिएटिव तरीके से मिस करेगा.
सिनेमा का बेसिक रूल
फिल्म में बहुत सारी बड़ी-बड़ी बातें हैं सनातन धर्म की रक्षा, देशभक्ति, पड़ोसी देश पर तंज, जैविक युद्ध (Biological Warfare) का खतरा… पर ये सब सिर्फ दिखाने के लिए हैं. असल में फिल्म सिर्फ और सिर्फ बालकृष्ण के जलवे दिखाने के लिए बनी है. प्रधानमंत्री, आर्मी, RAW, पुलिस सब अखंडा के सामने नतमस्तक. एक आदमी त्रिशूल लेकर पूरी फौज से लड़ जाए, ये बोयापति सिनेमा का बेसिक रूल है.
क्या है कहानी में कमियां
कई किरदार बेकार पड़े हैं. वैक्सीन एक छोटे से पर्स में रखकर घूमना, विलेन का प्लान इतना बेवकूफाना कि हंसी आए पहली अखंडा से बहुत मिलती-जुलती है, पर वो वाली ताकत नहीं है. फिर भी…बालकृष्ण पूरे जोश में हैं. उनकी डायलॉग डिलीवरी, बॉडी लैंग्वेज और कॉन्फिडेंस देखकर मज़ा आ जाता है. हर्षाली मल्होत्रा (जननी) ने अच्छा किया. संयुक्ता कम टाइम मिला, फिर भी कोशिश की. आदि पिनिसेट्टी सबसे अच्छे लगे कम बोलते हैं, पर असर छोड़ जाते हैं. तकनीकी तौर पर फिल्म ठीक-ठाक है. गाने भूल जाने लायक, बैकग्राउंड म्यूजिक ज़ोरदार, सिनेमेटोग्राफी औसत, एडिटिंग और बेहतर हो सकती थी.
क्या रहा यूजर्स का रिएक्शन
एक यूजर ने लिखा, '#अखंडा2 - बालैया सुपरहीरो के रूप में, स्क्रीन प्रेजेंस ठीक है. दूसरे बालैया के लिए कोई गुंजाइश नहीं. आधी का रोल बेकार गया. घिसी-पिटी कहानी घटिया विलेन. लाउड म्यूजिक और इमोशनलेस एक्शन सीन. बालैया बेमतलब लंबे-लंबे डायलॉग बोलते रहते हैं. इंटरवल सीक्वेंस को छोड़कर, बाकी सब बकवास है.'
दूसरे ने कहा, 'अखंडा 2 पूरी तरह से धमाकेदार है!. नंदामुरी बालैया ने जोश से भरपूर एक्टिंग किया है, बैकग्राउंड म्यूजिक सीधे रगों में उतर जाता है. एक्शन, रोमांच, डायलॉग सब कुछ पीक पर है. अगर आपको पहला पार्ट पसंद आया था, तो यह सीक्वल सिनेमाघरों को फिर से हिला देगा! #अखंडा2'
एक अन्य ने कहा, 'बोयापति और बालैया वही घिसा-पिटा नाटक कर रहे हैं जो हम दशकों से देखते आ रहे हैं. बस उन्होंने इसमें कुछ अलौकिक तत्व जोड़ दिए हैं. बालैया हमेशा की तरह फाइट के सीन करते हैं, और बैकग्राउंड म्यूजिक किसी तरह और भी तेज हो जाता है. कट्टर फैंस शायद अभी भी खुश हों, लेकिन बाकी सबके लिए यह असहनीय है.'
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