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मॉक ड्रिल में क्या-क्या? रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने शेयर किया अनुभव

7 मई को होने वाली मॉक ड्रिल के बारे में रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने कहा, 'इस तरह की मॉक ड्रिल पहले बॉर्डर एरिया में बहुत आम बात थी. 1971 के युद्ध के दौरान मैं अमृतसर में एक युवा छात्र था.हमने ये सभी मॉक ड्रिल कीं. मैं तब फिरोजपुर में पढ़ रहा था, जहां ये मॉक ड्रिल हुआ करती थीं.'
उन्होंने आगे कहा, 'यह सिर्फ़ नागरिकों के लाभ के लिए है और उन्हें जागरूक करने के लिए है कि अगर कोई कार्रवाई की जाती है, तो वे खुद को बचा सकते हैं. घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है... ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान हर घर पर हमला करेगा, उसके पास इसके लिए पैसे या गोला-बारूद नहीं है। आराम से इसका अभ्यास करें... जहां तक ब्लैकआउट की बात है, आपको बस अपनी खिड़कियों पर काली चादरें डालनी हैं और काले पर्दे लगाने हैं.'
केजेएस ढिल्लों ने कहा, 'ताकि अगर अंदर थोड़ी भी रोशनी हो, तो ऊपर उड़ रहे विमान उसे न देख सकें... यह एक नियमित बात है, यह एक सामान्य बात है. अधिकारियों के साथ सहयोग करें और अगर आप इन अभ्यासों का सही तरीके से पालन करते हैं तो किसी भी नागरिक को कुछ नहीं होने वाला है.'