Drugs, Alcohol और मासूमियत की लूट: ब्रिटेन में Pak Grooming गैंग की 25 साल पुरानी करतूतें बेनक़ाब, अब मिली '174 साल' की सज़ा
ब्रिटेन के रोचडेल (Rochdale) में 25 साल पुराना गूमिंग और रेप कांड आखिरकार उजागर हो गया. ब्रिटिश-पाकिस्तानी सरगना मोहम्मद जाहिद और उसके 6 साथियों को 174 साल की कैद हुई. जाहिद को अकेले 35 साल की सज़ा मिली. गैंग ने 13 साल की बच्चियों को पैसे, तोहफे, शराब और ड्रग्स देकर फंसाया और फिर उनका यौन शोषण किया. कोर्ट ने 50 अपराधों में दोषी ठहराया. पीड़िताओं की हिम्मत और गवाही से हैवानों को कड़ी सज़ा मिल सकी.;
ब्रिटेन के रोचडेल (Rochdale) इलाके से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है. पाकिस्तानी मूल के मोहम्मद जाहिद (Mohammed Zahid) को नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शोषण, रेप और ग्रूमिंग (Grooming) के जुर्म में 35 साल की सजा सुनाई गई है. जाहिद को 20 गंभीर अपराधों, जिनमें बलात्कार, बच्चों के साथ अभद्रता और अवैध यौन संबंध बनाने की कोशिश शामिल है, का दोषी पाया गया.
जाहिद अकेला नहीं था, उसके साथ 6 अन्य आरोपियों को भी दोषी ठहराया गया है. इन सभी की सजा मिलाकर कुल 174 साल हुई है. यह सजा 25 साल पुराने अपराधों पर आधारित है, जिनका खुलासा ग्रेटर मैनचेस्टर पुलिस (Greater Manchester Police) की लंबी और गहन जांच के बाद हुआ.
मोहम्मद जाहिद और उसका ‘गिरोह’
मोहम्मद जाहिद रोचडेल मार्केट में एक स्टॉल चलाता था. वहीं से उसने नाबालिग लड़कियों को अपने जाल में फंसाना शुरू किया. वह उन्हें “Bossman” कहकर बुलाते थे. उसने लड़कियों को पैसों और तोहफों का लालच दिया, फिर धीरे-धीरे उन्हें शराब और ड्रग्स की लत में धकेल दिया. इसके बाद उन्हें अपने दोस्तों और अन्य आरोपियों के हवाले कर देता था. अदालत ने पाया कि जाहिद ही इस पूरे सेक्स ग्रूमिंग गिरोह का सरगना था.
जिन्हें सजा सुनाई गई है उनमें शामिल हैं: मुश्ताक अहमद (66), कासिर बशीर (50), रुहीज़ खान (39), मोहम्मद शाहज़ाद (43), निसार हुसैन (41), नहीम अख्तर (48). इन सभी को 12 साल से लेकर 35 साल तक की अलग-अलग सजा सुनाई गई है.
लड़कियां कैसे बनीं शिकार?
अदालत में पेश हुए तथ्यों के अनुसार, दोनों पीड़िताएं 13 साल की उम्र से ही इन आरोपियों के जाल में फंस गई थीं. वे पहले से ही कमजोर पारिवारिक पृष्ठभूमि से आती थीं और स्थानीय सोशल सर्विसेज के रिकॉर्ड पर भी थीं. जाहिद और उसके साथियों ने उनकी इस कमजोरी का फायदा उठाया. एक पीड़िता को अहमद और बशीर ने निशाना बनाया. दूसरी पीड़िता को रुहीज़ खान, शाहज़ाद, हुसैन और अख्तर ने टारगेट किया. जाहिद ने दोनों के साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें अपने गैंग के हवाले किया.
मुकदमे के दौरान सामने आया कि शाहज़ाद, जो एक टैक्सी ड्राइवर था, लड़कियों को कार में सुनसान जगहों पर ले जाता था. वहां उन्हें गैंग के अन्य ड्राइवरों और दोस्तों के हवाले कर दिया जाता था.
“मानवता के खिलाफ अपराध” - पुलिस की प्रतिक्रिया
ग्रेटर मैनचेस्टर पुलिस के डिटेक्टिव चीफ इंस्पेक्टर गाय लेकॉक (Guy Laycock) ने कहा, “इन सातों ने मासूम और कमजोर बच्चियों को अपने शारीरिक सुख के लिए शिकार बनाया. उन्होंने उन्हें इस्तेमाल किया, प्रताड़ित किया और फिर छोड़ दिया. ये अपराध इतने घिनौने थे कि इनकी कोई सीमा ही नहीं रही. आज भी ये लोग अपने अपराधों के लिए पछता नहीं रहे.”
पीड़िताओं की बहादुरी
मुकदमे के दौरान दोनों पीड़िताओं ने अदालत में बयान दिया. उन्होंने न सिर्फ घटनाओं का विवरण दिया बल्कि अपने व्यक्तिगत बयान (Victim Personal Statement) में बताया कि पिछले 25 सालों में उन्होंने कितनी पीड़ा झेली. क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) की स्पेशलिस्ट प्रॉसिक्यूटर लिज़ फेल (Liz Fell) ने कहा, “इन महिलाओं की गवाही और बहादुरी ही इस केस का सबसे बड़ा आधार रही. दोनों ने अलग-अलग समय पर बयान दिए, जबकि वे एक-दूसरे को जानती तक नहीं थीं. फिर भी उनकी कहानियां इतनी सटीक और मेल खाती थीं कि जूरी के सामने कोई शक नहीं रहा.”
अदालत में पेश सबूत और 50 अपराध साबित
चार महीने चले इस ट्रायल में जूरी के सामने 50 अपराधों के सबूत पेश किए गए. इनमें से 30 मामले बलात्कार के थे. प्रॉसिक्यूशन ने कहा कि यह केस बेहद सावधानी से तैयार किया गया था. इसमें DNA, गवाहों और पीड़िताओं के बयानों से लेकर मेडिकल रिपोर्ट तक हर साक्ष्य को शामिल किया गया. आरोपी लगातार आरोपों से इनकार करते रहे, लेकिन सबूत और पीड़िताओं की गवाही इतनी मजबूत थी कि जूरी ने सभी सातों को दोषी करार दिया.
पीड़िताओं का जीवन कैसे बर्बाद हुआ?
अदालत में पढ़े गए Victim Impact Statements ने साफ किया कि इन अपराधों ने पीड़िताओं का पूरा जीवन बर्बाद कर दिया. वे मानसिक आघात से गुजरीं. परिवार और समाज से दूरी हो गई. रिश्तों और कामकाज में स्थिरता नहीं रही. हर दिन अपराध की यादें उन्हें सताती रहीं. इन पीड़िताओं ने कहा कि उन्हें न्याय मिलने में बहुत समय लगा, लेकिन यह फैसला उनके लिए उम्मीद की किरण है.
सजा का असर
कुल मिलाकर अदालत ने कहा कि यह सजा न सिर्फ अपराधियों को सबक सिखाने के लिए है बल्कि समाज को भी संदेश देने के लिए कि इस तरह के अपराध बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे. 174 साल की सामूहिक सजा और मोहम्मद जाहिद को मिली 35 साल की कैद इस बात का सबूत है कि ब्रिटेन की न्याय व्यवस्था इस तरह के गैंगरेप और ग्रूमिंग अपराधों को लेकर बेहद सख्त है.
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
यह मामला सिर्फ अपराध की कहानी नहीं है, बल्कि ब्रिटेन में बहुसांस्कृतिक समाज के भीतर छिपी कुछ गंभीर समस्याओं की ओर भी इशारा करता है. पहले भी रोचडेल और अन्य इलाकों में पाकिस्तानी मूल के गैंग्स पर इसी तरह के अपराधों का आरोप लगा है. इन मामलों ने इमिग्रेशन, सामुदायिक संबंधों और पुलिस की जवाबदेही पर भी गहरी बहस छेड़ दी है.
ब्रिटेन की अदालत ने मोहम्मद जाहिद और उसके छह साथियों को जो सजा सुनाई है, वह सिर्फ दो पीड़िताओं के लिए न्याय नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है. यह मामला बताता है कि बचपन में हुई हिंसा और शोषण का दर्द जिंदगीभर पीछा नहीं छोड़ता. यह फैसला न सिर्फ पीड़िताओं की बहादुरी का सम्मान है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक संदेश भी है कि अपराध कितना भी पुराना क्यों न हो, कानून से बचना असंभव है.