पाकिस्‍तान के लिए सिरदर्द बना TTP, खूंखार इतना कि हमेशा दहशत में रहती है पाक सरकार

Tehreek-e-Taliban Pakistan: पाकिस्तान के लिए टीटीपी सिरदर्द बन चुका है. वह लगातार पाकिस्तानी की आवाम और सैनिकों को निशाना बनाता रहा है. कई सैनिकों को वह मौत के घाट उतार चुका है. उसका खौफ इतना है कि पाकिस्तान की सरकार हमेशा दहशत में रहती है. आखिर टीटीपी क्या है, इसके सदस्य कितने और यह कितना ताकतवर है, आइए जानते हैं...;

Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 25 Dec 2024 5:13 PM IST

Tehreek-e-Taliban Pakistan TTP: पाकिस्तान ने 24 दिसंबर को अफगानिस्तान में पाकिस्तानी तालिबान के कई संदिग्ध ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की, जिसमें महिलाओं और बच्चों समेत 15 लोगों की मौत हो गई. ये हमले पाकिस्तान की सीमा से लगे पक्तिका प्रांत के पहाड़ी इलाके में किए गए. स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि मौतों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है. हमले में एक ट्रेनिंग सेंटर भी नष्ट हो गया. इसमें कुछ आतंकवादी भी मारे गए हैं.

बताया जाता है कि अफगानिस्तान के अंदर सीमावर्ती क्षेत्रों में मार्च के बाद से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के रूप में मशहूर पाकिस्तानी तालिबान के कथित ठिकानों पर दूसरा पाकिस्तानी हमला था. पाकिस्तान अक्सर दावा करता है कि टीटीपी पाकिस्तान में हमला करने के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल करता है. हालांकि, इस आरोप का अफगानिस्तान ने खंडन किया है. आइए, आपको टीटीपी के बारे में विस्तार से बताते हैं...

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का गठन कब हुआ?

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी का गठन 2007 में पाकिस्तान में अलग-अलग काम करने वाले विभिन्न कट्टरपंथी सुन्नी इस्लामवादी समूहों के एक संगठन के रूप में किया गया था. बैतुल्लाह महसूद के नेतृत्व में गठित टीटीपी की जड़ें अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर हैं. कुछ अनुमानों के अनुसार टीटीपी के 30,000 से 35,000 सदस्य हैं. इसका मकसद पाकिस्तान सरकार को उखाड़ फेंकना है. टीटीपी ने पाकिस्तानी सेना पर सीधे हमला करके और राजनेताओं की हत्या करके पाकिस्तान को अस्थिर करने का काम किया है. इसके हमलों में कई आत्मघाती बम विस्फोट शामिल हैं, जिसमें पाकिस्तान के कई सैनिक और लोग मारे गए हैं.

टीटीपी ने पाकिस्तान में चर्चों और स्कूलों पर हमले करवाए हैं. इसने ही नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई पर गोली चलवाई थी. मलाला 2012 में तालिबान द्वारा महिलाओं को शिक्षा से रोकने के प्रयासों के खिलाफ अभियान चलाने के कारण निशाना बनाए जाने के बाद बच गई थीं.

2021 में अफगानिस्तान में अफगान तालिबान के सत्ता में आने के बाद टीटीपी को बढ़ावा मिला. इसने अपने नेता और लड़ाकों को अफगानिस्तान में छिपाया हुआ है. नवंबर 2022 से टीटीपी ने पाकिस्तानी सैनिकों और पुलिस पर हमले बढ़ा दिए हैं. ऐसा काबुल में अफ़गानिस्तान की सरकार द्वारा आयोजित महीनों की वार्ता के असफल होने के बाद उसके द्वारा सरकार के साथ एकतरफा संघर्ष विराम को समाप्त करने के बाद हुआ है. हाल के महीनों में टीटीपी ने देश के अंदर कई हमले कर दर्जनों सैनिकों को मार डाला और घायल कर दिया है.

अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के हमले पर क्या कहा?

काबुल में अफ़गान रक्षा मंत्रालय ने पाकिस्तानी हवाई हमलों की निंदा करते हुए कहा कि बमबारी में महिलाओं और बच्चों सहित आम नागरिकों को निशाना बनाया गया. ज़्यादातर पीड़ित वज़ीरिस्तान क्षेत्र से आए शरणार्थी थे. मंत्रालय ने कहा कि इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान इसे सभी अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के विरुद्ध एक क्रूर कृत्य और घोर आक्रामकता मानता है तथा इसकी कड़ी निंदा करता है.

X प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में अफगान रक्षा मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तानी पक्ष को यह जान लेना चाहिए कि इस तरह के एकतरफा कदम किसी भी समस्या का समाधान नहीं हैं. इस्लामिक अमीरात इस कायराना हरकत का जवाब जरूर देगा.  वह अपने क्षेत्र और भूभाग की रक्षा को अपना अधिकार मानता है.

बता दें कि यह हमला अफगानिस्तान के लिए पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि मोहम्मद सादिक के काबुल दौरे के कुछ घंटों बाद हुआ, जहां वे द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने और संबंधों में सुधार लाने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने गए थे. यात्रा के दौरान सादिक ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी से मुलाकात की और उनके चाचा खलील हक्कानी की 11 दिसंबर को हुई हत्या पर अपनी संवेदना व्यक्त की. खलील हक्कानी शरणार्थी एवं प्रत्यावर्तन मंत्री थे, जिनकी एक आत्मघाती बम विस्फोट में मौत हो गई थी. इसकी जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट समूह के एक क्षेत्रीय सहयोगी ने ली थी।

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