1971 के जख्मों पर नमक या मरहम! 13 साल में पहली बार ढाका में पाक मंत्री डार ने कैसे बनाई जगह? भारत को हो रही इस बात की टेंशन

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार 13 साल बाद ढाका के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे. उन्होंने कहा कि 1971 के नरसंहार का मुद्दा 1974 और परवेज मुशर्रफ के दौर में दो बार सुलझ चुका है, जबकि बांग्लादेश अब भी पाकिस्तान से औपचारिक माफी चाहता है. डार ने BNP, NCP और यहां तक कि प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी नेताओं से भी मुलाकात की, जिससे भारत की चिंता बढ़ गई है.;

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By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 24 Aug 2025 5:58 PM IST

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार इन दिनों दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर बांग्लादेश के दौरे पर हैं. 13 साल बाद किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री का यह पहला राज्यस्तरीय दौरा है. इस बीच, डार का यह बयान सुर्खियों में है कि 1971 में बांग्लादेशी बंगालियों के नरसंहार का मुद्दा अतीत में दो बार निपट चुका है.

ढाका पहुंचते ही डार ने कई राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने पर जोर दिया. हालांकि, उनके इस दौरे ने न सिर्फ बांग्लादेश बल्कि भारत की भी चिंता बढ़ा दी है. दरअसल, पाकिस्तान सेना द्वारा 1971 में किए गए जनसंहार को लेकर बांग्लादेश अब भी माफी की मांग करता रहा है.

1971 नरसंहार पर डार का बयान

इशाक डार ने ढाका के सोनारगांव होटल में बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तोहीद हुसैन से मुलाकात के बाद कहा कि 'यह मुद्दा पहली बार 1974 में सुलझा था. उस समय का दस्तावेज दोनों देशों के लिए ऐतिहासिक है. फिर जनरल परवेज मुशर्रफ ढाका आए और उन्होंने इस मुद्दे को खुलकर सुलझाया. यानी यह मामला दो बार हल हो चुका है. एक बार 1974 में और दूसरी बार शुरुआती 2000 के दशक में.

भारत क्यों है चिंतित?

भारत इस दौरे पर कड़ी नजर रखे हुए है. वजह है कि ढाका, पाकिस्तान के साथ रिश्तों को बेहतर करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है. यह वही पाकिस्तान है जिसने 1971 में 'ऑपरेशन सर्चलाइट' के तहत लाखों बांग्लादेशियों की हत्या की थी. चिंता और गहरी तब हो गई जब डार ने जमात-ए-इस्लामी (JeI) नेताओं से भी मुलाकात की. यह वही कट्टरपंथी संगठन है जिसे आतंक से जुड़े आरोपों के कारण पहले प्रतिबंधित किया जा चुका है और जो खुले आम भारत-विरोधी एजेंडा चलाता रहा है.

बांग्लादेशी विपक्ष और नागरिक संगठनों की प्रतिक्रिया

डार ने ढाका में नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के नेताओं से भी मुलाकात की। NCP के महासचिव अख्तर हुसैन ने कहा कि 'हमने बांग्लादेश की जनता की भावनाओं को सामने रखने की कोशिश की. पहले जो शत्रुतापूर्ण संबंध थे, उनमें सुधार की गुंजाइश है. उखाड़ फेंकी गई शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने इस दौरे की कड़ी आलोचना की. पार्टी का कहना है. नरसंहार को मान्यता दिए बिना रिश्तों को सामान्य करना विश्वासघात है. इतिहास को दोबारा नहीं लिखा जा सकता, और न्याय को सौदेबाजी के जरिए खत्म नहीं किया जा सकता.

पाकिस्तान की अब तक की चुप्पी

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने अब तक न तो नरसंहार पर पछतावा जताया है और न ही औपचारिक माफी मांगी है. उलटे, पाकिस्तान के कुछ मीडिया संस्थानों ने लेख प्रकाशित कर बांग्लादेश को वापस हासिल करने की बात कही है. गौरतलब है कि 1971 के इस जनसंहार में 30 लाख से ज्यादा लोगों की हत्या की गई थी और 3 लाख से ज्यादा महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ था. तब से लेकर अब तक बांग्लादेश की जनता लगातार पाकिस्तान से माफी मांगने की अपील करती रही है.

क्या था 1971 में नरसंहार का मुद्दा?

1971 का मामला दरअसल बांग्लादेश मुक्ति संग्राम (Bangladesh Liberation War) से जुड़ा हुआ है. उस समय पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) और पश्चिमी पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान) एक ही देश के दो हिस्से थे। लेकिन दोनों के बीच राजनीतिक, सांस्कृतिक और भाषाई भेदभाव बहुत गहरा था.

  • पाकिस्तान बनने के बाद सत्ता पूरी तरह पश्चिमी पाकिस्तान (मुख्यतः पंजाबी और उर्दू भाषी) के हाथों में थी.
  • पूर्वी पाकिस्तान (बंगाल) की जनसंख्या ज़्यादा होने के बावजूद उन्हें सत्ता और संसाधनों में हिस्सा नहीं दिया गया.
  • भाषा का विवाद भी बड़ा था, उर्दू को राष्ट्रभाषा थोपने की कोशिश की गई, जबकि बंगाली सबसे बड़ी मातृभाषा थी.

1971 की स्थिति-

1970 के आम चुनावों में शेख मुजीबुर्रहमान की अवामी लीग ने पूर्वी पाकिस्तान में बहुमत जीत लिया और पूरे पाकिस्तान में सरकार बनाने का हक पाया. लेकिन पश्चिम पाकिस्तान के जनरल याह्या खान और ज़ुल्फिकार अली भुट्टो ने सत्ता सौंपने से इनकार कर दिया. इससे पूर्वी पाकिस्तान में आंदोलन भड़क गया.

नरसंहार (Operation Searchlight – 25 मार्च 1971)-

  • पाकिस्तानी सेना ने आंदोलन दबाने के लिए पूर्वी पाकिस्तान में सैन्य अभियान शुरू किया.
  • ढाका यूनिवर्सिटी, गांवों और कस्बों में बंगाली बुद्धिजीवियों, छात्रों, शिक्षकों, हिंदुओं और ग्रामीणों का सामूहिक नरसंहार किया गया.
  • इसे बांग्लादेशी नरसंहार (Bangladesh Genocide) कहा जाता है.
  • अनुमान अलग-अलग हैं लेकिन लाखों बंगालियों की हत्या और लगभग 1 करोड़ लोग भारत में शरणार्थी बनकर आए.
  • लाखों महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ—इसे इतिहास में सबसे बड़े “gendered violence” में गिना जाता है.

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