पाक के अड्डों पर आग की तरह बरसा भारत, ऑपरेशन सिंदूर से जल गए भोलारी-नूर खान एयर बेस; सैटेलाइट रिपोर्ट्स ने खोल दी पोल
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने 7 से 10 मई के बीच पाकिस्तान के सामरिक ठिकानों पर सटीक और योजनाबद्ध हमले किए. न्यूयॉर्क टाइम्स की सैटेलाइट रिपोर्ट्स में साफ दिखा कि भोलारी, नूर खान और रहीम यार खान जैसे एयरबेस को गंभीर क्षति पहुंची, जबकि पाकिस्तान के हमले ज्यादातर प्रतीकात्मक और बेअसर रहे.;
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सैन्य कार्रवाई की शुरुआत की, जो सिर्फ जवाबी हमला नहीं था, बल्कि एक नई सैन्य रणनीति का प्रदर्शन था. 7 से 10 मई तक चले इस संघर्ष में भारत ने अपनी रक्षा नीति को पारंपरिक जवाब से आगे बढ़ाते हुए, सटीकता और टेक्नोलॉजी के सहारे पाकिस्तान के सामरिक ठिकानों को टारगेट किया.
अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा जारी सैटेलाइट इमेजरी के विश्लेषण से यह स्पष्ट हुआ कि भारत के हमले ज्यादा रणनीतिक और केंद्रित थे. भोलारी, नूर खान, रहीम यार खान और सरगोधा एयरबेस जैसे लक्ष्य न केवल रणनीतिक थे बल्कि पाकिस्तान की सैन्य रीढ़ माने जाते हैं. इनपर हमलों से पाकिस्तान की वायुसेना की परिचालन क्षमता पर सीधा असर पड़ा.
नूर खान एयरबेस पर हमला था संदेश
इस्लामाबाद के पास स्थित नूर खान एयरबेस पर भारत का हमला सिर्फ सामरिक नहीं था, यह एक प्रतीकात्मक संकेत भी था. यह बेस पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की निगरानी इकाई के पास स्थित है, और इस पर हमला कर भारत ने अपनी तकनीकी और खुफिया क्षमता का प्रदर्शन करते हुए स्पष्ट संदेश दिया कि अब पाकिस्तान की 'डिटरेंस स्ट्रेटजी' भारत की सीमा नहीं है.
पाकिस्तानी हमलों की हकीकत
जहां भारत के हमलों को उपग्रह चित्रों से प्रमाणित किया गया, वहीं पाकिस्तान द्वारा भारत के उधमपुर एयरबेस को तबाह करने का दावा खोखला साबित हुआ. 12 मई की सैटेलाइट तस्वीरों में एयरबेस को पूर्णतः सुरक्षित दिखाया गया. इससे न केवल पाकिस्तान के दावे की विश्वसनीयता पर सवाल उठे, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की रणनीति को मजबूती मिली.
पाकिस्तान की एयर डिफेंस को गहरी चोट
सरगोधा और रहीम यार खान जैसे एयरबेस पर हमले, रनवे का नाकाम होना और सियालकोट तथा पसरूर के रडार सिस्टम का ध्वस्त होना पाकिस्तान की एयर डिफेंस नेटवर्क के लिए एक गंभीर झटका है. यह स्पष्ट करता है कि भारत अब सिर्फ जवाब नहीं देता, बल्कि सैन्य बुनियादी ढांचे को निष्क्रिय करने की रणनीति अपनाता है.
सीजफायर के पीछे सामरिक दबाव
10 मई को सीजफायर की घोषणा महज कूटनीतिक नहीं थी, यह एक सैन्य दबाव का परिणाम थी. चार दिन की झड़पों में भारत ने दिखा दिया कि नई दिल्ली अब पारंपरिक युद्ध नियमों से आगे बढ़ चुकी है. अमेरिकी मीडिया और सैटेलाइट रिपोर्ट्स ने इस बात पर मुहर लगा दी कि भारत की सैन्य तकनीक, रणनीति और लक्ष्य-सटीकता में पाकिस्तान से कई कदम आगे है.