क्या ईरान को कम आंकना इजरायल को पड़ गया भारी? अस्‍पताल, स्‍टॉक एक्‍सचेंज और नेतन्याहू का आवास भी अब नहीं सेफ

Iran Israel War: इजरायल ईरान युद्ध लंबा खिंचने की वजह से यह युद्ध अब दोनों देश के लिए महंगा साबित होने लगा है. साथ ही इजरायल द्वारा ईरान को हल्के में लेने का अनुमान गलत साबित हुआ. इस युद्ध में इजरायल को हर रोज 6000 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ रहे हैं, जो उसकी अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकता है.;

Curated By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 21 Jun 2025 6:01 PM IST

 Iran Israel War Latest News: इजरायल ने सत्ता परिवर्तन और उसके परमाणु कार्यक्रमों को हमेशा के लिए समाप्त करने के मकसद से ईरान पर 13 जून को ताबड़तोड़ हमले की शुरुआत की थी. उसके बाद बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरानी हुकूमत से तेहरान खाली करने तो डोनाल्ड ट्रंप ने अयातुल्ला खामेनेई को पूरी तरह से सरेंडर करने को कहा था. साथ ही ईरान में मौलवी शासन के समाप्त करने के भी संकेत दिए थे. आज युद्ध का नौवां दिन है. जिस तरह से अमेरिका और इजरायल ने ईरान को कुछ दिनों में पूरी तरह से ध्वस्त करने का दावा किया था वैसा दिख नहीं रहा है.

ईरान की ओर से जवाबी कार्रवाई से न केवल पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को अपने बेटे की शादी स्थगित करनी पड़ी, वहीं ईरान का मिसाइल इजरायल के पीएम आवास के करीब तक निशाना लगाने में सक्षम साबित हुआ है. फिर, रूस और चीन ने भी अब ईरान का सहयोग करने के संकेत दिए हैं.

इजरायल का भी नुकसान कम नहीं

अब इजरायल ईरान युद्ध लंबा खिंचने के संकेत मिल रहे हैं. यानी इजरायल द्वारा ईरान का हल्के में लेना महंगा साबित हो सकता है. इस युद्ध में इजरायल को हर रोज 6000 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ रहा है, उसकी अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकता है. हालांकि, अमेरिकी समर्थन की वजह से इजरायल ने ईरान को बड़े पैमाने पर क्षति पहुंचाई. इसके जवाब में ईरान ने भी ड्रोन और मिसाइल हमले के जरिए इजरायल को नुकसान पहुंचाता है.

ईरान और इजरायल के बीच कब-कब हुए युद्ध

ईरान पर 1980 के दशक में इराक के साथ युद्ध के बाद से यह सबसे बड़ा हमला है, जिसमें देश भर में इजरायल ने कई जगहों पर हमले किए हैं. यहां प इस बात का जिक्र कर दें कि इजरायल और ईरान में खूनी प्रतिद्वंद्विता सालों से चली आ रही है. वहीं ये भी सच है कि इजरायल और ईरान के संबंध 1979 तक काफी सौहार्दपूर्ण थे, लेकिन इस्लामिक क्रांति के बाद स्थितियां बदल गई.

1979 में अयातुल्लाह खोमैनी की क्रांति के बाद अयातुल्लाह खामेनेई की सरकार ने इजरायल के साथ संबंध तोड़ लिए. तेहरान में इसराइली दूतावास को जब्त कर फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) को सौंप दिया. 1982 में जब इजराइल ने लेबनान पर आक्रमण किया तो ईरान ने उग्रवादी समूह को धन और प्रशिक्षण देकर हिजबुल्ला की स्थापना में मदद की थी. इसके अलावा, तेहरान गाजा में हमास, यमन के हौथियों और इराक और सीरिया में अन्य अर्धसैनिक समूहों को भी धन मुहैया कराता है, जिसे इजरायल खुद के अस्तित्व के खिलाफ मानता है.

7 अक्टूबर 2023 को गाजा में चल रहे युद्ध को भड़काने के बाद इजरायल ने समूह के अधिकांश वरिष्ठ नेतृत्व को मार डाला. इसी अवधि में हिज्बुल्लाह को भी खत्म कर दिया. इजरायल ने हौथी ठिकानों पर भी हमला किया है, जिससे तेहरान काफी हद तक अलग-थलग पड़ गया है.

दोनों के बीच संघर्ष का हालिया इतिहास

जहां तक हालिया संघर्ष की बात है तो साल 2019 में ईरान को अपने सहयोगियों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने से रोकने के लिए इजरायल ने सीरिया, लेबनान और इराक में कई हमले किए. इजरायल ने ईरान पर इराक और उत्तरी सीरिया के माध्यम से लेबनान में हथियारों की आपूर्ति लाइन स्थापित करने का प्रयास करने का आरोप लगाया था. इसके जवाब में इजराइल ने पूर्वी भूमध्य सागर और लाल सागर के माध्यम से ईरानी तेल और हथियार ले जाने वाले जहाजों पर भी हमला किया था.

साल 2020 में इजरायल ने ईरान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह को रिमोट-नियंत्रित मशीन गन से हत्या कर दी थी. 2021 में ईरान और इजरायल ने समुद्र में एक-दूसरे पर हमला करना शुरू कर दिया. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फरवरी 2021 में ओमान के तट पर वाहनों को ले जा रहे इजरायल के स्वामित्व वाले जहाज पर हुए विस्फोट के पीछे ईरान का हाथ होने का आरोप लगाया.

साल 2022 में मोटरसाइकिल पर सवार दो हत्यारों ने ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के एक अधिकारी कर्नल सयाद खोदेई की गोली मारकर हत्या कर दी. 2023 में ईरान द्वारा समर्थित हमास के नेतृत्व में फिलिस्तीनी आतंकवादियों ने इजरायल पर हमला किया, जिससे गाजा में घातक युद्ध छिड़ गया?. हमास के साथ एकजुटता में लेबनान में हिजबुल्लाह और यमन में हौथियों सहित क्षेत्र में अन्य ईरानी समर्थित मिलिशिया ने भी इजरायल पर हमला किया.

साल 2024 में दमिश्क में एक ईरानी दूतावास की इमारत पर एक इजरायली हवाई हमले में तीन शीर्ष ईरानी कमांडर और चार अधिकारी मारे गए. कुछ सप्ताह बाद तेहरान ने इजरायल पर 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलें दागीं थीं. इसके जवाब में सितंबर में लेबनान में ईरान के राजदूत, मोजतबा अमिनी ने हिजबुल्लाह सदस्यों को निशाना बनाकर इजरायल ने एक साथ पेजर हमले कर सबकी आंख खोल दी. इसके बाद के दिनों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर इसी तरह के हमले हुए जिसमें दर्जनों लोग मारे गए और हजारों लोग घायल हुए.

 

सैन्य शक्ति के लिहाज से किसका पलड़ा भारी?  

ईरान और इजरायल की सेनाओं की एक-साथ तुलना से पता चलता है कि जनशक्ति के मामले में तेहरान यहूदी राष्ट्र से बेहतर है. ईरान की आबादी इजरायल की आबादी से 10 गुना ज्यादा है, ग्लोबल फायरपावर के 2024 इंडेक्स के अनुसार ईरान की आबादी 8,75,90,873 थी. इसकी तुलना इजरायल से करें. जिसकी आबादी 90,43,387 है.  ईरान के पास लगभग 11,80,000 सैन्य कर्मी हैं.इजरायल के पास सेना, नौसेना और अर्धसैनिक बलों में कुल मिलाकर उसके खाते में 6,34,500 सैन्य कर्मी हैं.

इजराइल का रक्षा बजट 24 बिलियन डॉलर है. जबकि ईरान का $9.95 बिलियन है. इजरायल को अमेरिका से 3.8 बिलियन डॉलर की वार्षिक सैन्य सहायता प्राप्त होती है, जो इसके लिए अत्याधुनिक हथियारों और तकनीक तक पहुंच आसान कर देती है. इजरायल के पास तेहरान से ज्यादा हवाई ताकत है. इजरायल के पास कुल 612 विमान हैं. ईरान के पास 551 हैं.

इजरायल की सेना की रीढ़ की हड्डी है उसका आयरन डोम (लोहे का गुंबद) और ऐरो सिस्टम. आयरन डोम, डेविड्स स्लिंग और एरो-3 जैसे एयर डिफेंस सिस्टम मिसाइल्स और ड्रोन को नष्ट करने में सक्षम हैं. इजरायल की साइबर युद्ध क्षमता विश्वस्तरीय है, जो सैन्य और असैन्य बुनियादी ढांचे को टारगेट करने में कैपेबल है.

ईरान की सबसे बड़ी ताकत उसकी बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन हैं. उसके पास सेजिल (2,000 किलोमीटर रेंज) और फतह हाइपरसोनिक मिसाइल जैसी प्रणालियां हैं, जो इजरायल सहित पूरे मध्य पूर्व में लक्ष्य भेद सकती हैं. खोरदाद 15 वायु रक्षा प्रणाली 120 किलोमीटर तक लक्ष्य भेद सकती है. ईरान के पास 1,996 टैंक और 551 विमान हैं. हालांकि, इजरायल के पार ज्यादा आधुनिक हथियार हैं.

अगर इजरायल ईरान वार में आर्थिक नुकसान की बात है तो ये बात सही है ईरान की अर्थव्यवस्था को इससे भारी नुकसान हुआ है, लेकिन यह युद्ध इजरायल के महंगा साबित हो है. इजरायल हर रोज युद्ध पर 6 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो रहें. जबकि इजरायल विकास दर के मामले मं बहुत पीछे चल रहा है.

 

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