ऑपरेशन सिंदूर की लड़ाई में 'नापाक' के साथ 'मक्कार' चीन भी था जंग में शामिल! सेना ने कर दिए चौंकाने वाले खुलासे- Video
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत से लड़ाई पाकिस्तान लड़ रहा था, लेकिन पर्दे के पीछे चीन पूरी ताकत से उसकी मदद कर रहा था. यह बड़ा खुलासा भारतीय सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को किया, जिसमें उन्होंने साफ तौर पर बीजिंग-इस्लामाबाद की गहरी साजिशी साझेदारी को उजागर किया.;
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत से लड़ाई पाकिस्तान लड़ रहा था, लेकिन पर्दे के पीछे चीन पूरी ताकत से उसकी मदद कर रहा था. यह बड़ा खुलासा भारतीय सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को किया, जिसमें उन्होंने साफ तौर पर बीजिंग-इस्लामाबाद की गहरी साजिशी साझेदारी को उजागर किया. अधिकारी ने कहा कि यह सिर्फ पाकिस्तान का युद्ध नहीं था, बल्कि चीन की 'हर संभव मदद' ने इस संघर्ष को और भी जटिल बना दिया.
फिक्की द्वारा आयोजित कार्यक्रम 'न्यू एज मिलिट्री टेक्नोलॉजीज' में सेना के डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (कैपेबिलिटी डेवलपमेंट एंड सस्टेनेन्स), लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर कई अहम बातें साझा कीं. उन्होंने कहा कि, ऑपरेशन सिंदूर से कुछ महत्वपूर्ण सबक मिले हैं। हमारे नेतृत्व का रणनीतिक संदेश बिल्कुल स्पष्ट और दो-टूक था. अब वैसा दर्द सहने की कोई गुंजाइश नहीं है, जैसा हम कुछ साल पहले सह चुके हैं.
ले. जनरल राहुल सिंह ने बताया कि इस ऑपरेशन की योजना और टारगेट चयन में अत्याधुनिक तकनीक और मानवीय खुफिया सूचनाओं का गहन उपयोग किया गया. उन्होंने बताया कि कुल 21 टारगेट की पहचान की गई थी, जिनमें से नौ को अंततः रणनीतिक दृष्टि से उपयुक्त मानते हुए अंतिम क्षणों में चुना गया. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह निर्णय अंतिम दिन या अंतिम घंटे में लिया गया और यह एक त्रि-सेना (थल, जल, वायु) प्रयास था, ताकि यह संदेश जाए कि भारतीय सशस्त्र बल एकीकृत शक्ति हैं.
आगे कहा कि, हमेशा एस्केलेशन लैडर (तनाव की सीढ़ी) के शीर्ष पर रहना हमारा लक्ष्य था. जब भी हम सैन्य उद्देश्य हासिल करें, वहां से टकराव को रोकने की कोशिश होनी चाहिए, क्योंकि युद्ध शुरू करना आसान होता है, लेकिन उसे नियंत्रित करना बेहद कठिन. इसीलिए इसे सही समय पर रोकना एक मास्टर स्ट्रोक था. यह बयान भारत की सैन्य रणनीति और तकनीकी प्रगति के साथ-साथ भविष्य के सैन्य संचालन में एकीकृत दृष्टिकोण को दर्शाता है.
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए भीषण टकराव के कुछ हफ्तों बाद, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन से मुलाकात की. यह मुलाकात इस बात का संकेत थी कि तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया है. शहबाज ने भारत के खिलाफ ‘मजबूत समर्थन’ देने के लिए एर्दोआन का आभार जताया, जबकि तुर्की राष्ट्रपति ने खुफिया जानकारी साझा करने और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को और गहरा करने की बात कही.
ऑपरेशन सिंदूर और संघर्ष की पृष्ठभूमि
भारत ने 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' की शुरुआत की थी. यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए नरसंहार के जवाब में की गई थी, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी थी. मृतकों में अधिकतर पर्यटक थे, और एक स्थानीय व्यक्ति जो उन्हें बचाने की कोशिश कर रहा था, उसे भी गोली मार दी गई थी.
सीमा पर चार दिन चला भीषण युद्ध
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक जबरदस्त सैन्य टकराव हुआ. पाकिस्तान ने भारत के कई सीमावर्ती इलाकों—खासकर जम्मू, पुंछ और राजौरी में ड्रोन हमलों की बौछार कर दी. पंजाब और जम्मू-कश्मीर में 10 से ज्यादा नागरिकों की मौत हुई. भारत ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान और PoK में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक स्ट्राइक की और 100 से ज्यादा आतंकियों को ढेर करने का दावा किया. 10 मई को दोनों देशों ने संघर्षविराम की घोषणा की. इसी दौरान यह भी सामने आया कि पाकिस्तान ने 7 मई के 48 घंटे बाद भारत से संपर्क कर संघर्षविराम की अपील की थी.