हम चीनी नहीं भारतीय हैं... मरने से पहले त्रिपुरा के छात्र ने कही थी ये बात, 6 लोगों ने चिंकी कहकर किया था अटैक
शुरुआत में केस चोट पहुंचाने और धमकी की धाराओं में दर्ज हुआ था. बाद में हत्या के प्रयास की धारा जोड़ी गई. अंजेल की मौत के बाद अब हत्या और सामूहिक अपराध की धाराएं लगा दी गई हैं. इस घटना से पूर्वोत्तर में गुस्सा है लोग नस्लीय नफरत के खिलाफ राष्ट्रीय कानून की मांग कर रहे हैं. देहरादून और पूर्वोत्तर के कॉलेजों में छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.;
देहरादून में एक बहुत दुखद घटना हुई है. त्रिपुरा के 24 साल के एक युवा छात्र अंजेल चकमा की मौत हो गई. अंजेल एमबीए की पढ़ाई कर रहे थे और देहरादून में अपने छोटे भाई माइकल के साथ रहते थे. दोनों भाई एक साल से ज्यादा समय से वहां पढ़ाई कर रहे थे. यह सब 9 दिसंबर 2025 की शाम को शुरू हुआ. अंजेल और माइकल देहरादून के सेलाकुई इलाके में एक लोकल मार्केट में किराने का सामान खरीदने गए थे. यह एक आम सी बात थी, लेकिन वहां कुछ स्थानीय लड़के उन्हें रोककर नस्लीय गालियां देने लगे. वे उन्हें 'चीनी', 'नेपाली', 'चिंकी' और 'मोमोज' जैसे अपमानजनक शब्द कहकर चिढ़ाने लगे ये लोग शराब के नशे में थे.
अंजेल ने शांतिपूर्वक लेकिन दृढ़ता से इसका विरोध किया. उन्होंने कहा, 'हम चीनी नहीं हैं, हम भारतीय हैं. हमें यह साबित करने के लिए कौन सा प्रमाण पत्र दिखाना पड़ेगा?' लेकिन इन शब्दों का जवाब गालियों और हिंसा से मिला. उन लड़कों ने पहले माइकल के सिर पर लोहे का कड़ा मारकर उसे घायल कर दिया. जब अंजेल अपने भाई को बचाने आए, तो मुख्य आरोपी ने चाकू से अंजेल पर कई बार वार किए. चाकू गर्दन, पेट, पीठ और रीढ़ की हड्डी में लगा, जिससे अंजेल को बहुत गंभीर चोटें आईं.
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शांत और मिलनसार था
अंजेल को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां वे 17 दिनों तक आईसीयू में जिंदगी और मौत से लड़ते रहे. लेकिन अफसोस, 26 दिसंबर 2025 को उनकी मौत हो गई. माइकल भी घायल हैं और अभी अस्पताल में हैं. अंजेल के एक दोस्त ने बताया कि अंजेल बहुत शांत और मिलनसार इंसान थे. वे कभी झगड़ा नहीं करते थे. इस घटना से उनके सभी दोस्त और परिवार बहुत दुखी और गुस्से में हैं. अंजेल का शव अगरतला लाया गया, जहां त्रिपुरा में लोगों का गुस्सा भड़क उठा.
चीनी कहकर हमला गलत है
टिपरा मोथा पार्टी के चेयरमैन प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मा ने परिवार की बहुत मदद की. उन्होंने इलाज से लेकर शव लाने तक का इंतजाम किया. उन्होंने कहा, 'यह बहुत दुख की बात है कि पूर्वोत्तर के देशभक्त लोगों को चीनी कहकर हमला किया जाता है. जो लोग नस्लवादी गालियां देते हैं, वे भूल जाते हैं कि पूर्वोत्तर के बहादुर लोग ही चीन को देश में घुसने से रोकते हैं. ऐसी घटनाएं सिर्फ परिवारों को दुख नहीं देतीं, बल्कि पूरे देश को बांटती हैं. हम बंटेंगे तो कमजोर होंगे हमें न्याय चाहिए.'
यह बहुत बड़ी त्रासदी है
टिपरा मोथा की युवा शाखा के अध्यक्ष सूरज देबबर्मा ने कहा, 'पूर्वोत्तर के लोग उत्तर भारत में अक्सर नस्लीय गालियों और हमलों का शिकार होते हैं. लेकिन जब उत्तर भारत के छात्र पूर्वोत्तर में पढ़ने आते हैं, तो हम उन्हें अपने भाई जैसे स्वागत करते हैं. हमने एक मासूम जान नफरत के अपराध में खो दी यह बहुत बड़ी त्रासदी है.' पुलिस ने माइकल की शिकायत पर 12 दिसंबर को केस दर्ज किया. छह आरोपियों में से पांच को 14 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया गया. इनमें दो नाबालिग भी हैं, मुख्य आरोपी यज्ञ अवस्थी (या यग्या अवस्थी) नेपाल भाग गया है. पुलिस ने उसके लिए 25,000 रुपये का इनाम घोषित किया है और दो टीमें उसे पकड़ने के लिए भेजी हैं.
नफरत के खिलाफ राष्ट्रीय कानून की मांग
शुरुआत में केस चोट पहुंचाने और धमकी की धाराओं में दर्ज हुआ था. बाद में हत्या के प्रयास की धारा जोड़ी गई. अंजेल की मौत के बाद अब हत्या और सामूहिक अपराध की धाराएं लगा दी गई हैं. इस घटना से पूर्वोत्तर में गुस्सा है लोग नस्लीय नफरत के खिलाफ राष्ट्रीय कानून की मांग कर रहे हैं. देहरादून और पूर्वोत्तर के कॉलेजों में छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. सभी न्याय की मांग कर रहे हैं ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों. यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि देश के एक हिस्से के लोग दूसरे हिस्से में सिर्फ अपनी शक्ल-सूरत की वजह से अपमान और खतरे का शिकार क्यों होते हैं. अंजेल जैसे युवा पढ़ाई के लिए दूसरे शहर जाते हैं, लेकिन उन्हें ऐसी नफरत का सामना करना पड़ता है. उम्मीद है कि आरोपियों को सख्त सजा मिलेगी और पूर्वोत्तर के लोगों के लिए सुरक्षित माहौल बनेगा.