INSIDE STORY: अब योगी अपनी ‘पुलिस’ से निपटें! धर्मांतरण धंधे में 'रखैल' को बेटी बता रहा ‘छांगुर-बाबा’ तो कब्जे में आ ही चुका है!
बलरामपुर के धर्मांतरण रैकेट में मास्टरमाइंड छांगुर बाबा उर्फ जलालुद्दीन और उसकी ‘रखैल’ नीतू रोहरा उर्फ नसरीन की गिरफ्तारी के बाद अब सवाल यूपी पुलिस पर उठ रहे हैं. ATS ने तो छांगुर को 'झींगुर' बना दिया, लेकिन स्थानीय पुलिस की मिलीभगत के बिना इतने सालों तक धर्मांतरण का धंधा कैसे चलता रहा? पूर्व DGP विक्रम सिंह और रिटायर्ड डिप्टी SP सुरेंद्र सिंह लौर ने मांग की है कि अब योगी आदित्यनाथ दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई करें.;
उत्तर प्रदेश पुलिस और सूबे की सरकार में इन दिनों दो ही नामों को लेकर जलजला आया हुआ है. यह नाम हैं जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा और नीतू रोहरा उर्फ नसरीन. यह तूफान उठा है राज्य के बलरामपुर जिले से. जहां स्थानीय थाना-पुलिस की छत्रछाया में मास्टरमाइंड छांगुर बाबा, बीते कई साल से धर्मांतरण का काला-कारोबार चला रहा था. अपनी उस रखैल नीतू उर्फ नसरीन के साथ मिलकर, जिसे वह आमजन के बीच अपनी बेटी बताता था. जबकि खुराफाती दिमाग छांगुर बाबा इसी नीतू उर्फ नसरीन के साथ मौज ले रहा था एकदम शौहर और बेगम की सी.
इनकी देश और धर्म-विरोधी गतिविधियों का भांडा भी उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ता (UP Police Anti-Terrorism Squad यानी ATS) ने ही फोड़ा है. अब बता रहे हैं कि भारत में हिंदुओं को बहला-फुसलाकर उन्हें इस्लाम धर्म कबूल कराने का यह 'डर्टी गेम' तो बीते कई साल से खेला जा रहा था. क्या ऐसे छांगुर बाबा और नसरीनें बिना पुलिस के पनप सकती हैं? क्या धर्मांतरण के ऐसे खतरनाक खूनी इरादों वाले अड्डे बिना स्थानीय थाना या जिला पुलिस के कहीं पनप या बन सकते हैं? इन्हीं तमाम सवालों के जवाब के लिए स्टेट मिरर हिंदी एक एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन ने एक्सक्लूसिव बात की, उत्तर प्रदेश पुलिस के उन दो चर्चित बेबाक-बेखौफ बयानों के लिए पहचाने जाने वाले पूर्व पुलिस अधिकरियों से, जो हमेशा विशेषकर उत्तर प्रदेश पुलिस की कामयाबियों और नाकामियों पर तो पैनी नजर रखते ही हैं.
यूपी पुलिस ATS ने देश-धर्म की आबरू बचाई
1974 बैच यूपी कैडर के दबंग पूर्व आईपीएस और उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह (IPS Dr Vikram Singh Ex DGP UP Police) बोले, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगर मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी पुलिस की एटीएस की टीम अगर भंडा नहीं फोड़ती, तो जलादुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा अपनी खतरनाक इरादों वाली रखैल नीतू नवीन रोहरा उर्फ नसरीन के साथ मिलकर, आइंदा न मालूम कब तक धर्मांतरण का यह खूंखार खेल खेलता रहता. एटीएस ने तो धर्मांतरण (Conversion racket kingpin Chhangur Baba alias Jalaluddin Balrampur) के अड्डे की ईंट से ईंट बजा दी है. इसके लिए सूबे की सरकार और यूपी पुलिस की आतंकवाद निरोधक दस्ता पुलिस बधाई की पात्र है.”
ATS यूपी ने छांगुर को 'झींगुर' बना डाला
बेबाक बातचीत को आगे बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व पुलिस महानिदेशक आगे जो सवाल खुद ही स्टेट मिरर हिंदी से करते हैं वह बेहद चौंकाने वाला रहा. उनके मुताबिक, “यूपी पुलिस एटीएस ने तो जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा (Jamaluddin alias Changur Baba) और नसरीन (Neetu Naveen Rohra alias Nasreen) को समझिए भारत के कानून के हिसाब से तबाह ही कर डाला है. उस कदर का तबाह कि घिनौनी मानसिकता वाला छांगुर बाबा (Changur Baba) और इस तरह चोरी-छिपे लालच देकर या बहला-फुसलाकर हिंदुओं का मुसलिम कौम में धर्मांतरण कराने वालों की आने वाली पीढ़ियां भी कांप उठेंगीं.”
पुलिस की मिलीभगत के बिना असंभव
स्टेट मिरर हिंदी के एक सवाल का जवाब उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह (Ex DGP UP Dr Vikram Singh) और, सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक सुरेंद्र सिंह लौर (Deputy SP UP Police Surendra Singh Laur) का कमोबेश एक ही था, “ऐसा असंभव है कि बलरामपुर जिला पुलिस के स्थानीय खुफिया तंत्र एलआईयू (District Balrampur Police Local Intelligence Unit LIU) और स्थानीय थाना पुलिस की मिली-भगत के बिना, धर्मांतरण का इस कदर का बड़ा और खतरनाक अड्डा या साम्राज्य खड़ा हो गया होगा. यह ऐसा कांड है जो बिना पुलिस की मिलीभगत के संभव नहीं हो सकता है.”
बलरामपुर पुलिस का खुफिया तंत्र कहां था?
दोनों ही वरिष्ठ और पूर्व पुलिस अधिकारी इस बात पर भी सहमत नजर आते हैं कि, “मान लीजिए जिस इलाके में जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा और उसकी रखैल बताई जा रही महिला नसरीन ने बलरामपुर जिले के उस लोकल थाना पुलिस को अपने साथ मिला भी लिया था, जिसकी जिम्मेदारी ही इन्हें पकड़ने की थी. तब फिर ऐसे में बलरामपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक या पुलिस अधीक्षक की वो स्थानीय खुफिया टीम क्या कर रही थी और कहां थी, जिसका काम ही इसी तरह के अड्डों के बारे में खुफिया सूचनाएं जुटाकर उन्हें पुलिस अफसरों तक पहुंचाने का है. हमें आशंका है कि लोकल थाना पुलिस और जिला पुलिस का खुफिया तंत्र दस्ता दोनों ही, मास्टरमाइंड छांगुर बाबा द्वारा फेंके गए किसी लालच के फेर या जाल में बुरी तरह से फंस गए. अगर ऐसा न हुआ होता तो फिर, जब कोई इस अड्डे के खिलाफ मुंह खोलता तब-तब, यही छांगुर बाबा आखिर कैसे लोकल थाना पुलिस से इन शिकायतकर्ताओं को धमकवा देता था? मतलब साफ है कि इस धर्मांतरण के काले कारोबार में छांगुर बाबा और नसरीन के संग, कहीं न कहीं पुलिस की भी मिली-भगत रही होगी.”
छांगुर बाबा से बड़ी मास्टरमाइंड बलरामपुर पुलिस!
स्टेट मिरर हिंदी से विशेष बातचीत में यूपी के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह और रिटायर्ड डिप्टी एसपी सुरेंद्र सिंह लौर कहते हैं, “भला हो यूपी पुलिस के एटीएस की टीम का जो उसने अपने मुखबिर तंत्र से अंदर की खबरें हासिल करके, धर्मांतरण के इतने बड़े और खतरनाक अड्डा संचालक छांगुर बाबा और उसकी रखैल नीतू उर्फ नसरीन को घेर लिया. वरना थाना पुलिस तो समझिए खुद ही धर्मांतरण का यह धंधा अपनी निगरानी में ही चलवा रही होगी. इसमें अब कोई गुंजाइश बाकी नहीं बची है.” यहां जिक्र करना जरूरी है कि धर्मांतरण के इस काले कारोबार कांड में यूपी पुलिस के आतंकवादी निरोधक दस्ते के कब्जे में चार आरोपी हैं. पहला मास्टरमाइंड जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा, दूसरी उसकी वह रखैल-गर्लफ्रेंड जिसे वह हमेशा अपनी बेटी बताकर उसे अपनी बेगम बनाकर और खुद उसका शौहर बनकर रहता था, नीतू उर्फ नसरीन, तीसरा छांगुर बाबा का बेटा महबूब और चौथा नीतू उर्फ नसरीन का पति नवीन.
इसलिए ATS ने लखनऊ में मुकदमा दर्ज किया
जब हिंदुओं को बहला-फुसलाकर उन्हें मुसलमान बनाए जाने का यह कर्मकांडी अड्डा यूपी के बलरामपुर जिले में चल रहा था. तब भी इसका भंडाफोड़ करने वाले यूपी पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते ने मुकदमा बलरामपुर जिला पुलिस के किसी थाने में दर्ज क्यों नहीं करवाया? सवाल के जवाब में उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह बोले, “दरअसल एटीएस यूपी पुलिस का एक वह अहम प्रकोष्ठ है जिसका काम स्वतंत्र रूप से और आतंकवाद-आतंकवादियों से जुड़े मामलो की पड़ताल करना ही होता है. चूंकि एटीएस ने इस मामले का भांडाफोड़ किया था. लोकल पुलिस (बलरामपुर जिला पुलिस के उस थाने पुलिस की जिसकी कथित छत्रछाया में यह गोरखधंधा चल रहा था) चूंकि खुद ही कटघरे में खड़ी है. दूसरे, एटीएस का अपना एक स्वतंत्र थाना है लखनऊ गोमती नगर में. तो इसलिए मुकदमा पड़ताल को सुगम और सटीक बनाने के लिए एटीएस ने बलरामपुर जिले के किसी थाने में दर्ज कराने की बजाए, अपने खुद के स्वतंत्र थाने में गोमती नगर लखनऊ में दर्ज कराया होगा. कानून भी यही होना भी चाहिए.”
कौन हैं डिप्टी एसपी सुरेंद्र सिंह लौर?
मुलायम सिंह के मुख्यमंत्रित्वकाल में उनके आदेश पर खुद पुलिस-उपाधीक्षक के पद पर रहते हुए, अपने से कई ओहदा ऊंचे एक आईजी (पुलिस महानिरीक्षक) स्तर के आईपीएस अफसर के खिलाफ जांच करके, किसी जमाने में उत्तर प्रदेश पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बने रहने वाले रिटायर्ड डिप्टी एसपी सुरेंद्र सिंह लौर कहते हैं, “मेरे हिसाब से तो बलरामपुर जिले के उस थाना पुलिस वालों के खिलाफ जरूर और कठोरतम कार्रवाई होनी ही चाहिए, जिनकी छत्रछाया में छांगुर बाबा यह घिनौना गोरखधंधा चला रहा था. सोचिए छांगुर बाबा को पकड़ने की जिम्मेदारी जिस पुलिस के कंधों पर थी, वही थाना पुलिस छांगुर बाबा के इशारे पर धर्मांतरण के किसी भी पीड़ित या शिकायतकर्ता को ही धमकाती रही हो, भला उस थाना पुलिस या थाने में तैनात रहे चुके उन पुलिस वालों को क्यों बख्श दिया जाना चाहिए?”
छांगुर बाबा के बाद योगी अपनी पुलिस को पकड़ें!
मतलब सूबे के तत्कालीन चीफ मिनिस्टर (मुलायम सिंह यादव) ने जिन सुरेंद्र सिंह लौर को उनके डिप्टी एसपी रहते हुए, यूपी पुलिस महकमे में उनसे कहीं ज्यादा ऊंचे पद पर बैठे किसी आईपीएस आईजी के खिलाफ ही जांच के मामले का अधिकारी बना डाला हो, तो ऐसे सुरेंद्र सिंह लौर पुलिस की भीड़ में तो कतई शामिल नहीं माने जा सकते हैं. वह आगे कहते हैं, “मैं तो यूपी के चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ से कहूंगा कि उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते ने जब सूबे की पुलिस की इज्जत बचा ही ली है छांगुर बाबा को 'झींगुर' बनाकर. तब अब तो योगी आदित्यनाथ जी अब उन पुलिस वालों पर ऐसा कानूनी शिकंजा जल्दी से जल्दी कसें, जो इस मास्टरमाइंड छांगुर बाबा के धर्मांतरण अड्डे को मिली-भगत से चला और चलवा रहे थे. ताकि यूपी पुलिस और बलरामपुर पुलिस के दोषी पुलिसकर्मियों को मिलने वाली सख्त सजा, उनकी और यूपी पुलिस की आने वाली पीढियों के लिए नजीर बन सके. वरना सूबे में और न मालूम किन-किन थानों की पुलिस कितने छांगुर बाबा और नीतू उर्फ नसरीनों को पालपोस रहे होंगे.”