बच्चे की डिलीवरी के बाद परेशान थी महिला, दो साल बाद पेट से निकला आधा मीटर कपड़ा; लापरवाही पर सीएमओ समेत 6 पर FIR दर्ज

ग्रेटर नोएडा में मेडिकली लापरवाही का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. पीड़िता अंशुल वर्मा, जो डेल्टा-1 सेक्टर की रहने वाली हैं और घरेलू काम के साथ-साथ सिलाई-कढ़ाई का काम करती हैं, ने आरोप लगाया है कि 14 नवंबर 2023 को तुगलकपुर स्थित बैक्सन मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में उनकी सीजेरियन डिलीवरी के दौरान डॉक्टर अंजना अग्रवाल ने ऑपरेशन किया. इस दौरान लापरवाही से करीब आधा मीटर लंबा सर्जिकल कपड़ा उनके पेट के अंदर रह गया.;

( Image Source:  Create By AI Sora )
Edited By :  रूपाली राय
Updated On :

ग्रेटर नोएडा में एक बहुत ही गंभीर मामला सामने आया है, जहां एक महिला के पेट में ऑपरेशन के दौरान सर्जिकल कपड़ा छूट गया था. यह घटना 2023 की है और अब इसके खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया है. यह कहानी ग्रेटर नोएडा की रहने वाली अंशुल वर्मा की है. अंशुल डेल्टा-1 इलाके में रहती हैं 14 नवंबर 2023 को उन्हें बच्चे की डिलीवरी के लिए ग्रेटर नोएडा के तुगलकपुर में स्थित बैक्सन मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल (जिसे कुछ जगहों पर बकसन अस्पताल भी कहा जाता है) में भर्ती कराया गया. वहां डॉक्टर अंजना अग्रवाल ने उनका सीजेरियन ऑपरेशन किया. ऑपरेशन के बाद उन्हें दो दिन बाद, यानी 16 नवंबर को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. 

लेकिन छुट्टी के कुछ ही समय बाद अंशुल को पेट में तेज दर्द और सूजन होने लगी. यह दर्द इतना ज्यादा था कि वे ठीक से चल-फिर भी नहीं पाती थी. अगले कई महीनों तक उन्होंने मुजफ्फरनगर (अपने मायके) और ग्रेटर नोएडा के कई अस्पतालों में इलाज कराया. अल्ट्रासाउंड, एमआरआई और दूसरी जांचें कराईं, लेकिन किसी को भी उनकी तकलीफ की असली वजह नहीं पता चली. वे लगातार दर्द से परेशान रहीं और उनकी सेहत दिन-ब-दिन खराब होती गई. 

स्‍टेट मिरर अब WhatsApp पर भी, सब्‍सक्राइब करने के लिए क्लिक करें

आधा मीटर पेट से निकला कपड़ा 

फिर इस साल अप्रैल 2025 में अंशुल को पेट में एक गांठ महसूस हुई. वे ग्रेटर नोएडा के कैलाश अस्पताल पहुंची. वहां डॉक्टरों ने जांच के बाद ऑपरेशन करने की सलाह दी. 22 अप्रैल 2025 को जब उनका ऑपरेशन हुआ, तो डॉक्टर हैरान रह गए. उनके पेट से करीब आधा मीटर (लगभग 50 सेंटीमीटर) लंबा सर्जिकल कपड़ा निकला! अंशुल का आरोप है कि यह वही कपड़ा था जो 2023 में बैक्सन अस्पताल में हुए ऑपरेशन के दौरान लापरवाही से उनके पेट के अंदर रह गया था. 

8 यूनिट चढ़ाना पड़ा था खून 

अंशुल ने बताया कि इस कपड़े की वजह से उन्हें बहुत तकलीफ हुई. दूसरी सर्जरी में उन्हें 8 यूनिट खून चढ़ाना पड़ा और उनकी सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ा. उन्होंने इस कपड़े की तस्वीरें और वीडियो भी सबूत के तौर पर रखे हैं. अंशुल का यह भी आरोप है कि कैलाश अस्पताल में ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉक्टर मनीष गोयल भी थे, जो डॉक्टर अंजना अग्रवाल के पति हैं. उनका कहना है कि मामले को दबाने की कोशिश की गई और उन्हें तथा उनके पति को धमकियां भी दी गईं. 

सीएमओ ने जांच के आदेश

इसके बाद अंशुल के पति ने गौतम बुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. नरेंद्र कुमार को लिखित शिकायत दी. सीएमओ ने मामले की आंतरिक जांच के आदेश दिए और स्वास्थ्य विभाग के दो अधिकारियों डॉ. चंदन सोनी और डॉ. आशा किरण चौधरी को जांच सौंपी. लेकिन अंशुल का कहना है कि जांच में बहुत देरी की गई. निकाला गया कपड़ा फोरेंसिक जांच के लिए भी नहीं भेजा गया. जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो अंशुल ने अगस्त में पुलिस आयुक्त कार्यालय में शिकायत की, लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला. आखिरकार, उनके पास अदालत जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा. उन्होंने गौतम बुद्ध नगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने आवेदन दिया.

मामले में कुल 6 लोग गिरफ्तार 

अदालत के निर्देश पर 24 दिसंबर 2025 को नॉलेज पार्क पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई. इस केस में कुल छह लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है:

  1. डॉक्टर अंजना अग्रवाल (जिन्होंने पहला ऑपरेशन किया)
  2. डॉक्टर मनीष गोयल
  3. बैक्सन अस्पताल के मालिक
  4. सीएमओ डॉ. नरेंद्र कुमार
  5. जांच अधिकारी डॉ. चंदन सोनी
  6. जांच अधिकारी डॉ. आशा किरण चौधरी

पुलिस का कहना है कि देरी की वजह यह थी कि जांच अधिकारियों को कपड़ा समय पर नहीं दिया गया था. बैक्सन अस्पताल के अधीक्षक विशाल सिंह चौहान ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि डॉक्टर अंजना अग्रवाल और मनीष गोयल अस्पताल के स्थायी कर्मचारी नहीं थे.  अंजना केवल एक गेस्ट कंसल्टेंट थीं, जिन्होंने अपने एक मरीज के इलाज के लिए अस्पताल की सुविधा मांगी थी. मरीज को भर्ती किया गया, ऑपरेशन हुआ और छुट्टी दे दी गई उसके बाद डेढ़ साल तक कोई शिकायत नहीं आई. वहीं, अतिरिक्त सीएमओ डॉ. चंदन सोनी ने कहा कि जांच पूरी की गई और रिपोर्ट तैयार है. दो अस्पतालों से सलाह लेनी पड़ी, इसलिए समय लगा. उन्हें नहीं पता कि उनके खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज हुई सीएमओ डॉ. नरेंद्र कुमार ने कहा कि अदालत के आदेश के अनुसार ही कार्रवाई की जाएगी. 

Similar News