अंबानी जैसा अमीर बना ग्रेटर नोएडा का शख्स! खाते में अचानक पहुंचे ₹1.13 लाख करोड़, जांच में जुटा IT विभाग
ग्रेटर नोएडा निवासी दीपक के खाते में अचानक ₹1.13 लाख करोड़ ट्रांसफर होने से हड़कंप मच गया. बैंक ने खाता फ्रीज कर आयकर विभाग को सूचना दी है. सोशल मीडिया पर मामले ने मज़ाकिया मोड़ ले लिया. अब जांच हो रही है कि यह तकनीकी खामी है या साइबर धोखाधड़ी का मामला. पूरा देश इस चौंकाने वाले डिजिटल ट्रांजैक्शन को लेकर हैरान है.;
ग्रेटर नोएडा में रहने वाले 20 वर्षीय दीपक उस वक्त हैरान रह गया जब 3 अगस्त की रात उसे अपने बैंक खाते में ₹1.13 लाख करोड़ क्रेडिट होने का नोटिफिकेशन मिला. यह खाता उसकी दिवंगत मां गायत्री देवी के नाम से था, जिनका दो महीने पहले निधन हो चुका था. दीपक ने सबसे पहले अपने दोस्तों से शून्य गिनवाए ताकि पुष्टि कर सके कि वह कोई सपना तो नहीं देख रहा.
अगली सुबह दीपक सीधे बैंक पहुंचा. बैंक अधिकारियों ने जैसे ही बैलेंस देखा, तुरंत खाते को फ्रीज कर दिया और मामले को गंभीर मानते हुए आयकर विभाग को सूचित कर दिया. अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इतनी बड़ी राशि का अचानक आना संदिग्ध है और जांच आवश्यक है.
तकनीकी गड़बड़ी या साइबर फ्रॉड?
प्रारंभिक जांच में इसे तकनीकी खामी माना जा रहा है, लेकिन साइबर क्राइम यूनिट को भी अलर्ट कर दिया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह किसी तरह की धोखाधड़ी या मनी लॉन्ड्रिंग का मामला तो नहीं है. बैंक ने फिलहाल इस लेन-देन को "अनन्य और असामान्य" बताया है.
सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़
जैसे ही ये खबर सोशल मीडिया पर आई, लोग दीपक को "रातों-रात अमीर बना युवक" बताने लगे. ट्विटर और इंस्टाग्राम पर मज़ेदार मीम्स और चुटकुले वायरल हो गए. एक यूज़र ने लिखा, "अब अंबानी को टक्कर देने आ गया है दीपक!" वहीं, किसी ने इसे बैंकिंग सिस्टम की सबसे बड़ी एंट्री मिस्टेक करार दिया.
घबराकर फोन किया बंद
गांव और मोहल्ले में चर्चा का केंद्र बने दीपक को अचानक से रिश्तेदारों, मीडिया और जान-पहचान वालों के फोन आने लगे. लगातार हो रहे कॉल्स और चर्चा से परेशान होकर उसने अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया. अब दीपक किसी भी सार्वजनिक टिप्पणी से बच रहा है.
भरोसेमंद है डिजिटल बैंकिंग?
इस पूरे घटनाक्रम ने एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है. क्या भारत का डिजिटल बैंकिंग सिस्टम इतने बड़े लेन-देन की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है? क्या बैंकिंग सॉफ्टवेयर और डेटा एंट्री सिस्टम में इतनी बड़ी गलती हो सकती है? अधिकारियों का कहना है कि असली वजह विस्तृत जांच के बाद ही सामने आ सकेगी.