क्या है गोपालगढ़ हिंसा मामला? जिसको लेकर राजस्थान के CM को कटाना होगा कोर्ट का चक्कर

राजस्थान के मुख्यमंत्री को कोर्ट से एक बड़ा झटका मिला है. झटका गोपालगढ़ मामले को लेकर के मिला है. मुख्यमंत्री ने अदालत से ट्रायल में स्थाई रूप से हाजिरी माफी का अनुरोध किया था, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया. कोर्ट ने क्या फैसला लिया है, क्या कहा है जिससे सीएम को झटका लगा है. आइए जानें क्या है पूरा मामला.;

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Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 8 Nov 2024 9:35 AM IST

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को गोपालगढ़ हिंसा मामले में अदालत ने एक बड़ा झटका दिया है. मुख्यमंत्री ने अदालत से ट्रायल में स्थाई रूप से हाजिरी माफी का अनुरोध किया था, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया. इसके अनुसार, मुख्यमंत्री को न्यायालय में जरूरत के अनुसार उपस्थिति दर्ज करानी होगी.

जिले के अतिरिक्त सत्र न्यायालय क्रम-4 ने गोपालगढ़ हिंसा मामले में चल रही सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा दी गई स्थाई हाजिरी माफी की अपील को खारिज कर दिया. अदालत ने मुख्यमंत्री की इस अपील को यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वर्तमान यानि हाल में ऐसी कोई विशेष परिस्थिति नहीं है जिससे उनकी उपस्थिति से छूट दी जाए. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री के वकील के माध्यम से अस्थाई हाजिरी माफी ली जा सकती है, लेकिन एक दम इससे छूट नहीं दी जा सकती.

शर्त के साथ हुई थी अग्रिम जमानत

अदालत की पीठासीन अधिकारी अनामिका सारण ने अपने आदेश में कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पहले से अग्रिम जमानत मिली हुई है, लेकिन यह शर्त भी लगाई गई थी कि अदालत को जरूरत होने पर उन्हें उपस्थित होना जरूरी होगा. उनकी तरफ से अनुपस्थिति की परिस्थिति में अस्थाई हाजिरी माफी दी जा सकती है, लेकिन अदालत ने हाल में इस तरह की स्थाई हाजिरी माफी का कोई आधार नहीं माना.

क्या है गोपालगढ़ मामला?

2011 में भरतपुर के गोपालगढ़ में हुए दंगों के दौरान कई नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं ने रास्ता रोक कर विरोध प्रदर्शन किया था. इसके चलते उनके खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया था. इन मामलों में भजनलाल शर्मा, जवाहर सिंह बेढम, जाहिदा खान, जमशेद खान, प्रमोद शर्मा, केसरी सिंह और गिरधारी तिवारी सहित अन्य लोग आरोपी हैं. इन सभी आरोपियों को 10 सितंबर 2013 को अदालत से सशर्त अग्रिम जमानत मिली थी, जिसमें यह शर्त शामिल थी कि वे अदालत की इजाजत के बिना देश से बाहर नहीं जा सकते.

मुख्यमंत्री की ओर से दिया गया जवाब

भजनलाल शर्मा ने अदालत में अपील की थी कि उनके खिलाफ 2013 में जो आरोप पत्र दाखिल हुआ था, उसमें सिर्फ आईपीसी की धारा 353 के साथ धारा 34 का आरोप है. उन्होंने कहा कि मामला करीब 11 साल से लंबित है और मुख्यमंत्री होने के वजह से उन्हें राजकीय कार्यों के चलते अक्सर राज्य से बाहर और विदेश यात्रा भी करनी पड़ती है. इस वजह से उन्होंने स्थाई हाजिरी माफी की मांग की थी.

अदालत ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया और मुख्यमंत्री के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया. इसका मतलब यह है कि मुख्यमंत्री को न्यायालय की जरूरत के अनुसार व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होना ही पड़ेगा.

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