शिक्षक दिवस से पहले अचानक स्कूल पहुंचे शिक्षा मंत्री, टीचर कर रहे मोबाइल में टाइमपास, बच्चे PM के नाम से अनजान

शिक्षक दिवस से पहले जयपुर के स्कूलों में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने अचानक निरीक्षण किया, लेकिन जो दृश्य उनके सामने आया, उसने सबको हैरान कर दिया. कक्षाओं में शिक्षक मोबाइल फोन में व्यस्त थे और बच्चों की पढ़ाई की ओर ध्यान नहीं दे रहे थे. वहीं बच्चे प्रधानमंत्री का नाम तक नहीं जान पाए. यह घटना स्कूलों में पढ़ाई और अनुशासन की वास्तविक स्थिति को उजागर करती है.;

( Image Source:  Canva )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 4 Sept 2025 1:17 PM IST

शिक्षक दिवस का दिन हर साल हमें यह याद दिलाने आता है कि शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण की नींव है. लेकिन ठीक एक दिन पहले, 4 सितंबर को जयपुर के सरकारी स्कूल में जो नज़ारा सामने आया, उसने विद्यालयों की सच्चाई पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर अचानक राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय द्वारकापुरी पहुंचे, तो वहां दिखी खामियों ने व्यवस्था की पोल खोल दी.

टीचर फोन चला रहे थे. वहीं, जब बच्चों से देश के प्रधानमंत्री का नाम पूछा गया, तो वह इसका जवाब नहीं दे पाए. इतना ही नहीं, स्कूल में गंदगी देख भी मंत्री जी भड़क गए और शिक्षकों को चेतावनी देते हुए सख्त एक्शन लेने की बात कही. 

मोबाइल में उलझे शिक्षक, बेसिक ज्ञान से दूर बच्चे

उम्मीद थी कि कक्षाओं में बच्चे पढ़ रहे होंगे, लेकिन जो नजारा सामने आया, उसने उनकी उम्मीदों को झकझोर कर रख दिया. क्लास में टीचर अपने मोबाइल फोन में बिजी थे, बच्चों की ओर नजर तक नहीं थी. वहीं बच्चे, जो उत्सुकता से कुछ सीखने आए थे, न तो सुबह की प्रार्थना ठीक से कर पाए और न ही सामान्य ज्ञान के बुनियादी सवालों का जवाब दे सके. नौवीं कक्षा के छात्र तक प्रधानमंत्री का नाम नहीं बता पाए.

मंत्री यह सब देखकर स्तब्ध रह गए. चेहरे पर आश्चर्य और निराशा का भाव साफ झलक रहा था. कुछ पल खामोशी के बाद उन्होंने तीखे लहजे में पूछा कि 'शिक्षक स्कूल में पढ़ाने आते हैं या सिर्फ समय गुजारने?' उनका यह सवाल स्कूल की वास्तविक स्थिति का आईना बन गया.

गंदगी का अड्डा बना शिक्षा का मंदिर

जैसे ही मंत्री स्कूल के गलियारों से गुजरे, उन्हें साफ-सफाई की दयनीय हालत ने चौंका दिया. क्लास में गुटखे के पाउच और चिप्स की खाली थैलियां बिखरी पड़ी थीं, मानो किसी ने ध्यान ही नहीं दिया हो. मंत्री ने झुककर एक चिप्स की थैली उठाई और शिक्षकों की ओर देख कर कड़ा सवाल करते हुए पूछा 'यह कैसी सफाई है और आखिर इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?' उनके शब्दों में नाराजगी साफ झलक रही थी. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि स्कूल केवल इमारत नहीं, बल्कि शिक्षा का मंदिर होता है. ऐसे में यहां की लापरवाही बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उनके लिए यह सिर्फ एक निरीक्षण नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य और शिक्षा की गरिमा की रक्षा का सवाल था.

शिक्षकों और प्रबंधन को सख्त चेतावनी

मंत्री ने कमरे में मौन तोड़ते हुए साफ शब्दों में कहा कि अगर जल्द ही हालात में सुधार नहीं हुआ, तो संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाया जाएगा. उनकी नजरें शिक्षकों पर टिकी थीं, और उन्होंने सवाल उठाया कि 'जब बच्चों को न तो प्रार्थना आती है और न ही सामान्य ज्ञान की जानकारी, तो अब तक पढ़ाई किस तरह कराई जा रही थी?'

मदन दिलावर ने भी अपनी बात जोड़ते हुए कहा कि सरकार बच्चों की शिक्षा को लेकर पूरी तरह गंभीर है. ऐसे में यह शिक्षकों की जिम्मेदारी बनती है कि वे न केवल कर्तव्य के प्रति निष्ठावान रहें, बल्कि ईमानदारी और समर्पण के साथ बच्चों को पढ़ाई में मार्गदर्शन 

Similar News