113 साल पुरानी किताब ने खोला दरगाह में शिव मंदिर का राज! पढ़ें Latest अपडेट
अजमेर शरीफ दरगाह के नीचे शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका को लेकर हाल ही में एक नया विवाद उत्पन्न छिड़ा है. यह याचिका अजमेर की एक अदालत में दायर की गई थी, और अदालत ने इसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया.;
अजमेर शरीफ दरगाह के नीचे शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका को लेकर हाल ही में एक नया विवाद उत्पन्न छिड़ा है. यह याचिका अजमेर की एक अदालत में दायर की गई थी, और अदालत ने इसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया. याचिकाकर्ता हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने इस मामले का आधार 113 साल पुरानी एक किताब को बनाया है. किताब के लेखक हरबिलास शारदा थे, जो उस समय अजमेर में एक प्रसिद्ध शख्सियत माने जाते थे. इस किताब में दावा किया गया है कि अजमेर शरीफ दरगाह के नीचे एक शिव मंदिर है.
कोर्ट द्वारा याचिका को स्वीकार किए जाने के बाद से इस मुद्दे पर बयानबाजी तेज हो गई है. हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच यह विवाद धार्मिक भावनाओं को प्रभावित कर सकता है, और दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए बयान जारी किए हैं. एक तरफ, हिंदू संगठनों ने इस दावे का समर्थन किया है, वहीं मुस्लिम समुदाय इसे धार्मिक दृष्टि से अनुचित और भड़काऊ मान रहा है.
अरुण चतुर्वेदी ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा, 'कई लोगों ने इतिहास को बदलने और छिपाने का प्रयास किया, लेकिन इस विषय पर न्याय प्रक्रिया में सभी को विश्वास है. अलग-अलग न्यायालयों में याचिका दायर की जा रही है. अब कोर्ट ने पुरातत्व विभाग को निर्देश दिए हैं, जो चीजें निकल कर सामने आएगी, वो सर्वमान्य होगा.'
राजस्थान की एक अदालत द्वारा अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर के ऊपर बनाए जाने का दावा करने वाली याचिका के संबंध में नोटिस जारी करने के बीच, दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि "इस तरह के विवाद पैदा करना सही नहीं है.'
उन्होंने कहा कि यह स्थान ऐसा है कि यहां सभी धर्म के प्रधानमंत्री लोग आते हैं,'नेता हो, सीएम हो, राज्यपाल हो, अभिनेता हो, देश के प्रधानमंत्री की चादर भी यहां चढ़ाई जाती है. इसके अलावा इंद्रेश कुमार की ओर से भी आरएसएस की चादर चढ़ाई जाती है और हर धर्म के लोग यहां आते हैं। इस दरगाह से सभी लोगों की आस्था जुड़ी हुई है.'