पंजाब के निजी अस्पताल क्यों नहीं करना चाहते आयुष्मान कार्ड से मरीज का इलाज, सीएम मान से क्या है कनेक्शन?

भारत की केंद्र सरकार ने आयुष्मान कार्ड योजना के तहत गरीबों के इलाज की सुविधा को 5 लाख तक मुफ्त कर दिया है. अब पंजाब में निजी अस्पतालों में इस योजना को बंद करने का ऐलान किया गया है. इसका कारण एपीएल को बताया जा रहा है.;

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by :  हेमा पंत
Updated On : 19 Sept 2024 2:49 PM IST

भारत सरकार ने आयुष्मान भारत योजना लागू की थी, जिसके तहत 5000 लाख तक का इलाज मुफ्त में करवाया जा सकता है, लेकिन अब पजांब के प्राइवेट अस्पतालों ने केंद्र और पंजाब सरकार की आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतगर्त इलाज सुविधा को बंद कर दिया गया है.लुधियाना में प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई, जिसमें प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम एसोसिएशन की स्टेट कमेटी ने कहा कि '' जब तक सरकार 650 करोड़ रुपये और 1 प्रतिशत ब्याज नहीं देती है, तब तक अस्पतालों में इस कार्ड का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (एसएचए) और पैनल में शामिल अस्पतालों के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) के अनुसार प्रत्येक मामले में मरीज के डिस्चार्ज होने के 15 दिनों के भीतर पूरा भुगतान पूरा होना चाहिए.

15 दिन में होना चाहिए भुगतान

पीएचएएनए के अध्यक्ष डॉ. विकास छाबड़ा ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा "हम मरीज के डिस्चार्ज होने के दिन ही एसएचए सॉफ्टवेयर पर डॉक्यूमेंट अपलोड करने के साथ-साथ क्लेम सेटलमेंट पूरा करते हैं. इसके बाद एसएचए के पास क्लेम को प्रोसेस करने, उसे खारिज करने या स्वीकार करने और अस्पताल को राशि वितरित करने के लिए 15 दिन का समय होता है." "15 दिनों के बाद लंबित रहने वाले प्रत्येक भुगतान पर 1% ब्याज लगता है."

एपीएल परिवार भी जोड़े गए

छाबड़ा ने कहा कि शुरुआत में केवल गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) कार्डधारक परिवार ही इस योजना का लाभ पाने के हकदार थे, जो राज्य में लगभग 13 लाख परिवारों को मिला.इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले तत्कालीन राज्य सरकार ने गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल) 29 लाख कार्डधारकों को भी लाभ दिया. जबकि बीपीएल मामलों में केन्द्र सरकार ने 60% भुगतान किया, नए शामिल परिवारों के लिए उपचार का पूरा खर्च एसएचए द्वारा पूरा किया जाना था.

एपीएल कार्ड के कारण बड़ा बोझ

प्रेस कॉन्फ्रेंस में छाबड़ा ने कहा, "एपीएल कार्ड वाले लोगों को शामिल करने से एसएचए का बोझ और बढ़ गया है, जिसका असर गरीब मरीजों पर पड़ा है, जो इसके वास्तविक लाभार्थी थे." PHANA ने स्वीकार किया कि पहले भी लंबित मामले हुआ करते थे, लेकिन "यह कभी इतनी बड़ी राशि तक नहीं पहुंचा." PHANA का दावा है कि अस्पताल दिवालिया हो रहे हैं संस्था ने कहा कि जब एसएचए भुगतान रोक रहा था, तो अस्पतालों को ट्रांसप्लांटेशन जैसी सर्जरी की आवश्यक चीजें खरीदनी पड़ रही थीं, जिससे कई अस्पतालों की वित्तीय स्थिति पर बुरा असर पड़ा है.

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