पंजाब की बाढ़ की कहानी, 8 नहीं रावी नदी की 42 जगहों से बहा पानी, रिपोर्ट में हुए कई खुलासे
पंजाब में हाल ही में आई बाढ़ की स्थिति अब तक की रिपोर्ट में और भी गंभीर नजर आ रही है। शुरुआत में माना जा रहा था कि सिर्फ 8 स्थानों पर रावी नदी का पानी बढ़ा, लेकिन ताज़ा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि रावी नदी 42 जगहों से उफान पर थी. इस रिपोर्ट ने पंजाब में बाढ़ के असर और तैयारियों की वास्तविक तस्वीर सामने ला दी है.;
पिछले साल 2023 में पंजाब को बाढ़ की तबाही झेलनी पड़ी थी, जिसने राज्य के ग्रामीण और शहरी इलाकों में कहर बरपाया. 241 जगहों पर 134 स्थानों से नदी की बाधा टूट गई थी, जिससे न सिर्फ घर-बार बल्कि खेती-बाड़ी भी प्रभावित हुई थी.
इस अनुभव के आधार पर पंजाब सरकार ने 133 संवेदनशील बिंदुओं की पहचान करते हुए रिपोर्ट तैयार की थी. लेकिन इस साल की बारिश और नदी के प्रवाह ने सब कुछ बदल दिया. कई क्षेत्रों में जलस्तर सामान्य से कई गुना बढ़ गया और प्रशासन की तैयारियों, राहत कार्यों और नुकसान के आंकड़ों पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं.
8 की जगह 42 बिंदुओं पर बहा पानी
पंजाब के जल संसाधन विभाग ने 2023 में सुतलज, ब्यास, घग्गर और रावी नदी के संवेदनशील हिस्सों की पहचान की थी. रिपोर्ट में रावी नदी के आठ मुख्य संवेदनशील बिंदुओं का जिक्र था, लेकिन इस साल मानसून के दौरान रावी नदी 42 जगहों से पानी बहा, जिससे दर्जनों गांव पानी में डूब गए. एक समय नदी में 14.5 लाख क्यूसेक पानी बह रहा था, जिसे किसी भी तरह से नियंत्रित नहीं किया जा सकता था.
बांधों की मजबूती से नुकसान कम
इसके उलट, सुतलज, ब्यास और घग्गर नदियों के बांधों को समय पर मजबूत कर लिया गया, जिससे इन क्षेत्रों में बाढ़ का नुकसान काफी कम हुआ. उदाहरण के लिए, जालंधर के गिद्दरपिंडी गांव में सुतलज नदी की सफाई कर बांध की ऊंचाई पांच फीट बढ़ा दी गई. इससे पहले यह संवेदनशील बिंदु 2019 में 50 गांवों को प्रभावित कर चुका था, लेकिन अब सही तैयारी के कारण नुकसान रोका जा सका.
सुतलज और ब्याज सबसे संवेदनशील
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा संवेदनशील बिंदु सुतलज नदी के रापर और ब्यास नदी के अमृतसर में 16-16 जगह दर्ज किए गए. इसके बाद जालंधर में 14, होशियारपुर में 12, लुधियाना में 9, कपूरथला में 8 और नवांशहर व मुक्तसर में 7-7 बिंदु पाए गए. वहीं फीरोजपुर, तरनतारन और पटियाला में 6-6 संवेदनशील जगह थीं. यह आंकड़े साफ दिखाते हैं कि पंजाब के लगभग हर जिले में नदियों के किनारे बाढ़ का खतरा हमेशा बना रहता है.
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ऐसे होती है गणना
सरकारी अधिकारी ने बताया कि हाइड्रोलिक्स की गणना केवल संभावनाओं पर आधारित होती है, इसलिए सटीक बारिश और बाढ़ का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है. इस साल रावी नदी में 42 जगहों पर पानी निकला, लेकिन कई बांध मजबूत नहीं थे. रावी के बांध को तीन फीट ऊंचा करने की योजना है, लेकिन लोग जमीन देने में सहयोग नहीं कर रहे. वहीं, सुतलज और घग्गर नदियों में इस साल बाढ़ का खतरा काफी कम रहा. उदाहरण के लिए, घग्गर नदी में इस साल पानी 2023 की तुलना में 15 गुना ज्यादा था, लेकिन मजबूत बांध और सही प्रबंधन के कारण किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ.
बाढ़ का कारण
रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में बाढ़ का सबसे बड़ा कारण भारी बारिश है. जून से सितंबर तक मानसून आता है और राज्य के लगभग 75 प्रतिशत पानी इसी समय में आता है. कभी-कभी बारिश इतनी ज्यादा हो जाती है कि मिट्टी उसे सोख नहीं पाती या नदियों और नालों में उसका बहाव ज्यादा हो जाता है. इसके अलावा, खराब जलाशय प्रबंधन और नदी किनारे अवैध निर्माण भी बाढ़ को गंभीर बना देते हैं.
कैसे फैलती है बाढ़?
रिपोर्ट ने यह भी स्वीकार किया कि अवैध निर्माण और नदी किनारे पौधारोपण ने पानी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित किया. पॉपलर और यूकेलिप्टस के पेड़ नदी के बीच में लगाए जाने से जल निकासी में रुकावट आई. जब भारी बारिश होती है, तो पानी का सही रास्ता नहीं बन पाता, जिससे बाढ़ फैलती है.
मंत्री की प्रतिक्रिया और तैयारी
जल संसाधन मंत्री बरिंदर गोयल ने कहा इस मामले पर कहा कि 'ऐसी बाढ़ 100 साल में एक बार होती है. इस बार पानी की मात्रा इतनी अधिक थी कि पूरी प्रणाली अक्षम हो गई. हम तैयार थे और मेहनत की थी, यही कारण है कि घग्गर नदी खतरे के निशान से ऊपर बहने के बावजूद कोई ब्रीच नहीं हुई.'