कौन हैं इंस्पेक्टर बलबीर सिंह? गुरदासपुर आतंकी हमले में हुए थे घायल, हाईकोर्ट ने DSP बनाने का दिया आदेश
Punjab Police: पंजाब पुलिस में एक अधिकारी बलबीर सिंह हैं, जो 2015 में गुरदासपुर के दिनानगर पुलिस स्टेशन पर हुए आतंकवादी हमले के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्होंने इस हमले में साहस और बहादुरी का परिचय दिया था, जिससे SSP गुरदासपुर की जान बचाई जा सकी.;
Punjab Police: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने गुरदासपुर के दीनानगर पुलिस स्टेशन पर आतंकी हमले मामले पर सुनवाई की. कोर्ट ने पंजाब सरकार को बड़ा आदेश दिया है. पंजाब पुलिस के इंस्पेक्टर बलबीर सिंह को डीएसपी के पद पर प्रमोट करने का निर्देश दिया है. बता दें कि साल 2015 में यह आतंकी हमला हुआ था.
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करके हुए आदेश दिया कि सभी हमले के बाद सभी कर्मचारियों को एक प्रमोशन देने का फैसला किया था. बलबीर सिंह भी इसके हकदार हैं. सरकार ने अन्य पुलिसकर्मी, बिक्रमजीत सिंह बरार को भी डीएसपी पद के लिए प्रमोट किया गया है.
मान सरकार को कोर्ट ने दिया निर्देश
बलबीर सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. दीनानगर ऑपरेशन में उन्होंने SSP को बचाने में अहम भूमिका निभाई थी. आतंकवादियों ने AK-47 से उन पर गोलियां दाग दी थी, जिससे वे घायल हो गए थे. हालांकि सही समय पर उन्हें अमृतसर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी सर्जरी की गई और उनकी जान बच गई.
पंजाब सरकार ने दीनानगर आंतकी हमले की निंदा की थी. हमले में शहीद पुलिसकर्मियों के परिवार के सदस्यों को नौकरी देने का एलान किया गया था. साथ ही घायलों को प्रमोशन देने की भी घोषणा की गई थी, जिसमें एक नाम बलबीर सिंह का भी शामिल है.
प्रमोशन के हकदार बलबीर- कोर्ट
कोर्ट ने कहा, हमले में बलबीर सिंह को गोली लगी थी. सरकार ने कहा था सभी कर्मचारियों को प्रमोशन दिया जाएगा. यह फैसला कभी बदला नहीं गया. इसलिए बलबीर सिंह को भी प्रमोशन मिलना चाहिए. सरकार ने एक पुलिस वाले बिक्रमजीत सिंह बरार को डीएसपी बनाया था. इससे दिखता है कि सरकार इंस्पेक्टर को भी प्रमोशन दे सकती है.
कौन हैं बलबीर सिंह?
बलबीर सिंह पंजाब पुलिस की स्पेशल ऑपरेशंस सेल में हैं. वह 1992 में पंजाब पुलिस में ASI के रूप में भर्ती हुए थे. साल 2011 में इंस्पेक्टर बने. कोर्ट ने कहा कि डीएसपी के पद पर नियुक्ति के 1959 नियमों के 14 नियम के तहत सरकार को किसी भी नियम में छूट देने क अधिकार है. इसके लिए बस लिखित में कारण बताना होगा. उन्हें पदोन्नति से पूर्व की अवधि के लिए वित्तीय लाभ नहीं मिलेगा. यह निर्णय राज्य सरकार की जिम्मेदारी और न्याय की रक्षा के रूप में देखा जा रहा है.