अकाल तख्त ने किन गलतियों के लिए सुखबीर बादल को सुनाई सजा? तनखैया लिस्ट में ये बड़े चेहरे भी हैं शामिल
Sukhbir Singh Badal: अकाल तख्त ने अगस्त में सुखबीर सिंह बादल को 'तनखैया' (धार्मिक दुराचार का दोषी) घोषित किया था. अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा भी अपनी उम्र के कारण व्हीलचेयर पर बैठे सजा को पूरा किया, जबकि पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने बर्तन धोए.;
Sukhbir Singh Badal: अकाल तख्त पर सिख धर्मगुरुओं ने 2007 से 2017 के बीच पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (SAD) और सरकार की 'गलतियों' के लिए पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल के लिए 'तनखैया' (धार्मिक सजा) जारी की है. सजा के तहत उन्हें अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में बर्तन और जूते साफ करते हुए 'सेवादार' के रूप में काम करना होगा.
सुखबीर सिंह बादल ने नीले रंग के 'सेवादार' कपड़े पहने और पैर में फ्रैक्चर के कारण व्हीलचेयर पर बैठकर स्वर्ण मंदिर के प्रवेश की ओर पर अपनी सजा पूरी की. सेवा के दौरान उन्होंने एक हाथ में भाला भी थामा हुआ था. वहीं पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने बर्तन धोए. बादल और ढींडसा के गले में छोटे-छोटे बोर्ड लटके हुए थे, जिन पर उनके 'गलत कामों' की बात लिखी हुई थी.
अकाल तख्त की सजा
सिख धर्मगुरुओं ने अकाली नेताओं सुच्चा सिंह लंगाह, हीरा सिंह गाबड़िया, बलविंदर सिंह भूंदर, दलजीत सिंह चीमा और गुलजार सिंह रानिके को 3 दिसंबर को दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक स्वर्ण मंदिर में शौचालय साफ करने और स्नान करने के बाद सामुदायिक रसोईघर में बर्तन साफ करने का निर्देश दिया.
बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, सुरजीत सिंह रखड़ा, बिक्रम सिंह मजीठिया, महेश इंदर सिंह ग्रेवाल, चरणजीत सिंह अटवाल और आदेश प्रताप सिंह कैरों समेत अन्य अकाली नेताओं को भी एक घंटे के लिए स्वर्ण मंदिर में शौचालय साफ करने का निर्देश दिया गया. इसके अलावा उन्हें पास के गुरुद्वारों में बर्तन साफ करने और एक-एक घंटे कीर्तन सुनने का काम भी सौंपा गया.
पहले किन्हें मिल चुकी है सजा?
सुखबीर सिंह बादल पहले नेता नहीं, इससे पहले भी कई बड़े लीडर्स के लिए तनखैया की घोषणा की गई है. इनमें पूर्व गृह मंत्री बूटा सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला, महाराजा रणजीत सिंह, पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को सजा मिल चुकी है. इसमें कोई कठोर सजा तो नहीं रहती है, लेकिन सजा मिले लोगों को सामाजिक तौर पर बहिष्कार का सामना करना पड़ता है.
क्या है अकाल तख्त?
अकाल तख्त सिखों की सर्वोच्च राजनीतिक संस्था है, जिसका अर्थ है 'अमर का सिंहासन' है. 'अकाल' का अर्थ है 'कालहीन', जो ईश्वर का दूसरा नाम है, जबकि 'तख्त' फारसी शब्द है जिसका अर्थ है 'सिंहासन.'
अकाल तख्त की स्थापना गुरु हरगोबिंद ने 15 जून, 1606 को की थी (अब यह 2 जुलाई को मनाया जाता है) यह 17वीं सदी के राजाओं के उत्पीड़न के खिलाफ़ विद्रोह का प्रतीक है. इसे सिख समुदाय की आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों तरह की चिंताओं को संबोधित करने के लिए बनाया गया था. ऐसा कहा जाता है कि गुरु ने एक छोटे बच्चे के रूप में यहीं खेला था.