आख़िर कैसे सब पर भारी पड़ गईं पहली बार की MLA रेखा गुप्ता, BJP चाह क्या रही है?
बीजेपी ने रेखा गुप्ता को दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनाकर महिला वोटर्स, वैश्य समुदाय और परिवारवाद विरोधी राजनीति को साधने की रणनीति अपनाई है. रेखा गुप्ता गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि से आती हैं, जिससे पार्टी ने योग्यता आधारित नेतृत्व का संदेश दिया है. यह फैसला बीजेपी के महिला सशक्तिकरण एजेंडे और चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है.;
दिल्ली की सियासत में पिछले कई दिनों से नए मुख्यमंत्री को लेकर जबरदस्त सस्पेंस बना हुआ था. आखिरकार, बीजेपी ने बुधवार को इस सस्पेंस से पर्दा उठा दिया और रेखा गुप्ता को दिल्ली की कमान सौंपने का ऐलान कर दिया.
शालीमार बाग से जीतकर आईं रेखा गुप्ता अब दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं. वह आज 20 फरवरी को दोपहर 12 बजे शपथ लेंगी.
CM बनने की रेस में कैसे जीतीं बाज़ी?
दिल्ली के सीएम की रेस में प्रवेश वर्मा, सतीश उपाध्याय, विजेंद्र गुप्ता और शिखा राय जैसे दिग्गजों का नाम चर्चा में था. लेकिन रेखा गुप्ता ने अपनी मजबूत रणनीति और पार्टी हाईकमान के विश्वास से बाज़ी मार ली. जानकारी के अनुसार, जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को आए थे, उसी दिन से हाईकमान ने रेखा गुप्ता के नाम पर मोहर लगाने का मन बना लिया था. उनके संघ से मजबूत कनेक्शन और महिला चेहरा होने के कारण उन्हें यह पद दिया गया है.
सीएम बनने की बड़ी वजहें?
- महिला फैक्टर: बीजेपी दिल्ली में पहली बार महिला सीएम बना रही है, जो महिलाओं को पार्टी से जोड़ने की एक रणनीति का हिस्सा है.
- संघ कनेक्शन: रेखा गुप्ता का आरएसएस से जुड़ाव बीजेपी के लिए एक मजबूत फैक्टर साबित हुआ.
- 90-दिन का प्लान: बीजेपी हाईकमान ने संभावित मुख्यमंत्री और मंत्रियों से 90 दिन की कार्ययोजना मांगी थी. सूत्रों के अनुसार, रेखा गुप्ता का प्लान सबसे मजबूत और प्रैक्टिकल माना गया.
- स्थानीय और संगठन स्तर पर मजबूत पकड़: रेखा गुप्ता दिल्ली बीजेपी में एक जाना-पहचाना चेहरा हैं और उनका ग्राउंड कनेक्शन मजबूत है.
सीएम बनाने के पीछे बीजेपी की रणनीति
महिला वोटर्स को साधने की कोशिश
रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने महिला वोटर्स को सीधा संदेश देने की कोशिश की. इससे पहले AAP सरकार ने आतिशी को सीएम बनाया था, जिसके जवाब में बीजेपी ने यह कदम उठाया. बीजेपी की कई राज्यों में सरकारें हैं, लेकिन अब तक किसी महिला को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था.
वैश्य समाज को लुभाने की रणनीति
रेखा गुप्ता वैश्य समुदाय से आती हैं, जो बीजेपी का कोर वोट बैंक माना जाता है. दिल्ली में वैश्य समुदाय की जनसंख्या लगभग 8% है और उनका राजनीति में प्रभाव भी काफी मजबूत है. साथ ही केजरीवाल भी इसी समाज से आते हैं. सीएम बनाकर बीजेपी ने वैश्य वोटर्स पर अपनी पकड़ और मजबूत करने का प्रयास किया.
परिवारवाद से दूरी दिखाने की कोशिश
बीजेपी ने रेखा गुप्ता को चुनकर परिवारवाद के आरोपों से बचने की रणनीति अपनाई. अगर पार्टी ने प्रवेश वर्मा को चुना होता, तो उन पर पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे होने का तंज कसा जाता. रेखा गुप्ता किसी राजनीतिक परिवार से नहीं आतीं, जिससे पार्टी ने संदेश दिया कि वह योग्यता को प्राथमिकता देती है, न कि वंशवाद को.
कौन हैं रेखा गुप्ता?
रेखा गुप्ता शालीमार बाग विधानसभा सीट से विधायक हैं. उन्होंने AAP की प्रत्याशी वंदना कुमारी को हराकर जीत दर्ज की. दिलचस्प बात यह है कि पिछले दो चुनावों में रेखा गुप्ता वंदना कुमारी से हार गई थीं, लेकिन इस बार उन्होंने दमदार वापसी की और जीत दर्ज की. रेखा गुप्ता का बीजेपी संगठन में भी काफी प्रभाव है. वह पार्टी की कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुकी हैं. उनकी कार्यशैली, जमीनी पकड़ और पार्टी के प्रति निष्ठा उन्हें इस पद तक ले आई.
अब दिल्ली में क्या बदलेगा?
बीजेपी की रणनीति इस बार पूरी तरह से अलग है. रेखा गुप्ता को सीएम बनाने के पीछे बीजेपी का मिशन दिल्ली फतह भी छिपा हुआ है. अब देखना होगा कि नई मुख्यमंत्री के तौर पर रेखा गुप्ता दिल्ली के जमीनी मुद्दों को कैसे सुलझाती हैं और अपनी सरकार को मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाती है.