यमुना का जलस्तर बढ़ते ही उजड़ने लगे दिल्ली के निचले इलाके, घर छोड़कर जा रहे हजारों लोग; क्या तोड़ देगी 63 साल पुराना रिकॉर्ड?
दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर 206.76 मीटर पहुंच गया है, जो खतरे के निशान से ऊपर है. भारी बारिश और बाढ़ के खतरे ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. निचले इलाकों में पलायन, ट्रैफिक एडवाइजरी और राहत कार्य तेज़ी से जारी हैं. इसके साथ ही लोगों का पलायन शुरू हो गया है. अब सवाल उठता है कि आखिर इसका जिम्मेदार कौन है?;
दिल्ली, जो देश की राजधानी और सबसे व्यस्त शहरों में से एक है, इस समय गंभीर बाढ़ संकट से जूझ रही है. लगातार हो रही बारिश और यमुना नदी का बढ़ता जलस्तर राजधानी की रफ्तार पर ब्रेक लगाने लगा है. बुधवार सुबह 6 बजे यमुना का जलस्तर 206.76 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान से ऊपर है. इससे पहले 2023 में यमुना का जलस्तर रिकॉर्ड 208.66 मीटर तक पहुंच चुका था. ऐसे में एक बार फिर इतिहास खुद को दोहराने की आशंका जताई जा रही है.
मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों तक भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है. अनुमान के अनुसार बुधवार को न्यूनतम तापमान 22 और अधिकतम 32 डिग्री सेल्सियस रहेगा. गरज-चमक के साथ बारिश होने की संभावना है, जिससे यमुना का जलस्तर और अधिक बढ़ सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बारिश इसी तरह जारी रही तो राजधानी के निचले इलाकों में हालात और बिगड़ सकते हैं.
निचले इलाकों से लोगों का पलायन
यमुना के किनारे बसे इलाकों के लोग अब सुरक्षित जगहों की ओर पलायन करने लगे हैं. घरों से सामान निकालकर लोग प्रशासन द्वारा बनाए गए राहत शिविरों में जा रहे हैं. जिनके पास साधन नहीं हैं, वे ऊंचे इलाकों में रिश्तेदारों के घर शरण ले रहे हैं. बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं इस स्थिति से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. कई परिवारों को अपने मवेशी और रोजमर्रा का सामान भी छोड़ना पड़ा है.
बारिश ने तोड़ा दशकों का रिकॉर्ड
दिल्ली में इस बार का मानसून सामान्य से कहीं ज्यादा सक्रिय रहा. राजधानी ने 1000 मिलीमीटर से अधिक बारिश का आंकड़ा छू लिया है, जबकि औसत सालाना बारिश केवल 774 मिमी होती है. 14 अगस्त तक ही 774.4 मिमी बारिश दर्ज हो चुकी थी. सितंबर की शुरुआत में यह आंकड़ा 1000 मिमी पार कर गया, जिससे यह मानसून पिछले कई वर्षों में सबसे ज्यादा बारिश वाला बन गया है.
बारिश से तापमान में गिरावट
लगातार हो रही बारिश ने दिल्ली के तापमान को भी प्रभावित किया है. बीते दिन अधिकतम तापमान 29.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 5 डिग्री कम रहा. वहीं न्यूनतम तापमान 21.7 डिग्री सेल्सियस रहा. इससे गर्मी और उमस से परेशान लोगों को राहत मिली है, लेकिन राहत के साथ-साथ बाढ़ का खतरा उनके सिर पर मंडरा रहा है.
हवा हुई साफ, लेकिन बाढ़ का डर कायम
बारिश का एक फायदा यह भी हुआ कि दिल्ली की हवा अब प्रदूषण मुक्त हो गई है. CPCB के अनुसार मंगलवार शाम को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 52 दर्ज हुआ, जो संतोषजनक श्रेणी में है. साफ हवा और ठंडे मौसम ने थोड़ी राहत दी है, लेकिन यमुना का बढ़ता जलस्तर अब भी लाखों लोगों के लिए बड़ा संकट है.
यमुना का जलस्तर: इतिहास के पन्नों में दर्ज
दिल्ली सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के अनुसार, पिछले 63 वर्षों में यमुना नदी ने 43 बार 205 मीटर का स्तर, 14 बार 206 मीटर का स्तर, और केवल 4 बार 207 मीटर से अधिक का स्तर पार किया है. 2023 में नदी का जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुंचा था. मौजूदा हालात को देखते हुए एक बार फिर उस स्तर के करीब पहुंचने की संभावना जताई जा रही है.
ट्रैफिक जाम से जूझ रही राजधानी
बढ़ते जलस्तर के कारण दिल्ली पुलिस ने ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की है. बुधवार को सुबह 8:30 बजे से 11:30 बजे तक ITO चौक, बहादुरशाह ज़फर मार्ग, राजघाट, शांति वन क्रॉसिंग और प्रगति मैदान टनल जैसे इलाकों में यातायात पर रोक और डायवर्जन रहेगा. पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे वैकल्पिक मार्ग अपनाएं और अनावश्यक यात्रा से बचें.
क्या दिल्ली तैयार है ऐसे संकट के लिए?
लगातार बढ़ते जलस्तर और भारी बारिश के बीच यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या दिल्ली की व्यवस्थाएं इस तरह के संकट से निपटने के लिए तैयार हैं? राहत शिविर, ट्रैफिक व्यवस्था और जलभराव से निपटने के उपाय कितने कारगर होंगे, यह आने वाले दिनों में साफ होगा. लेकिन एक बात तय है – अगर बारिश का सिलसिला जारी रहा तो राजधानी को बड़े मानवीय संकट का सामना करना पड़ सकता है.
आखिर क्यों आई बाढ़?
यमुना के विकराल रूप और दिल्ली में बाढ़ जैसे हालात सिर्फ़ प्राकृतिक आपदा का नतीजा नहीं हैं. इसके पीछे कई मानवीय और प्रशासनिक लापरवाहियाँ भी जिम्मेदार मानी जाती हैं. आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
- अनियंत्रित शहरीकरण: दिल्ली के निचले इलाकों में बिना प्लानिंग के निर्माण कार्य और अवैध कॉलोनियों का फैलाव बाढ़ संकट की बड़ी वजह है. यमुना बाढ़ क्षेत्र (floodplain) में अतिक्रमण और कंक्रीट संरचनाओं ने नदी के प्राकृतिक बहाव को बाधित किया है.
- जल निकासी की कमजोर व्यवस्था: राजधानी में जल निकासी (drainage system) की हालत बेहद खराब है. नालों की सफाई समय पर नहीं होती और भारी बारिश होते ही वे ओवरफ्लो करने लगते हैं. ऐसे में थोड़ी ज्यादा बारिश भी सड़कों को दरिया बना देती है.
- यमुना की सफाई और गाद प्रबंधन: नदी की तलहटी में गाद (silt) का स्तर बढ़ता जा रहा है, लेकिन इसकी समय पर सफाई नहीं होती. इससे नदी की जलधारण क्षमता कम हो गई है. नतीजतन, थोड़े से ज्यादा पानी आने पर ही जलस्तर खतरे के निशान को पार कर जाता है.
- राज्यों के बीच समन्वय की कमी: यमुना में पानी छोड़े जाने का सीधा असर दिल्ली पर पड़ता है. हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से जब अचानक पानी छोड़ा जाता है, तो राजधानी में बाढ़ का खतरा और बढ़ जाता है. इस स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली और हरियाणा सरकारों के बीच बेहतर तालमेल की कमी साफ दिखाई देती है.
- जलवायु परिवर्तन का असर: मौसम का बदलता मिजाज भी बड़ी वजह है. इस बार मानसून सामान्य से ज्यादा सक्रिय रहा, जिससे रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई. अचानक तेज बारिश (cloud burst जैसी स्थिति) ने यमुना में पानी का दबाव और बढ़ा दिया.
- प्रशासनिक लापरवाही: बारिश से पहले ही हर साल बाढ़ की आशंका जताई जाती है, लेकिन राहत कैंप, जलनिकासी की सफाई, और ट्रैफिक प्रबंधन जैसे कदम आखिरी वक्त पर उठाए जाते हैं. यही वजह है कि लोगों को बार-बार भारी परेशानी झेलनी पड़ती है.