सोशल मीडिया के महारथी चुनाव में फिसड्डी, मिलियन में फॉलोअर्स फिर भी क्‍यों नहीं मिलते वोट?

सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स होने के बावजूद कई बार लोग चुनाव में हार जाते हैं. सोशल मीडिया फैंस वोटर्स में तब्दील नहीं हो पाते. उदाहरण के तौर पर, दिल्ली में अवध ओझा और महाराष्ट्र में एजाज खान को सोशल मीडिया पर बड़ी फैन फॉलोइंग होने के बावजूद हार का सामना करना पड़ा. एजाज को केवल 155 वोट मिले, जबकि अवध को 45,988 वोट मिले. स्थानीय मुद्दे और उम्मीदवार की छवि ज्यादा महत्वपूर्ण होती है.;

Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 8 Feb 2025 9:16 PM IST

अक्सर देखा जाता है कि सोशल मीडिया पर जिनके लाखों फैन होते हैं वो चुनाव के मैदान में बुरी तरह हर जाते हैं. उस शख्स को लगता है कि जितने उनके फैंस हैं, सब वोट देकर उसे जीता देंगे लेकिन नतीजा इसके ठीक उलट होता है. ये उदहारण दिल्ली विधानसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में देखने को मिला.

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की सीट पर पटपड़गंज सीट से शिक्षक और मोटिवेशनल स्पीकर अवध ओझा चुनाव लड़ रहे थे. वहीं, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी एक्टर एजाज खान ने चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के टिकट पर वर्सोवा सीट से चुनाव लड़ा था और बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा.

यह सच है कि सोशल मीडिया पर बड़ी फैन फॉलोइंग होने के बावजूद लोग चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं

सोशल मीडिया का असर असल जिंदगी पर नहीं होता

सोशल मीडिया पर लोग आपको लाइक्स और फॉलो करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे आपको वोट भी देंगे. कई बार सोशल मीडिया पर फैंस केवल आपकी पोस्ट्स को पसंद करते हैं या आपके कंटेंट से जुड़े रहते हैं, लेकिन वोट देने का फैसला कहीं ज्यादा गहरे और सोच-समझकर किया जाता है. इसमें स्थानीय मुद्दे, उम्मीदवार की छवि, कार्यक्षमता और क्षेत्रीय समीकरण ज्यादा मायने रखते हैं.

लोकल पोलिटिकल डाइनामिक्स

चुनाव में उम्मीदवार की स्थानीय छवि और उसके द्वारा किए गए कार्यों का बहुत महत्व होता है. अगर उम्मीदवार ने अपने क्षेत्र में अच्छा काम किया है, तो स्थानीय जनता उसे वोट देने में ज्यादा विश्वास रखती है. सोशल मीडिया पर बनी छवि और असल जमीन पर किए गए कार्यों में फर्क हो सकता है.

उम्मीदवार की असल उपस्थिति और प्रभाव

चुनावों में उम्मीदवार की वास्तविक उपस्थिति और लोगों से संवाद बहुत महत्वपूर्ण होता है. सोशल मीडिया पर स्टारडम होने के बावजूद, अगर उम्मीदवार स्थानीय मुद्दों पर सही तरीके से बात नहीं कर पाता या वोटर्स से जुड़ने में असफल रहता है, तो वह चुनाव हार सकता है.

दोनों को कितने मिले वोट

एजाज खान और अवध ओझा जैसे उदाहरणों में भी यही हुआ. दोनों के पास सोशल मीडिया पर बड़ी फैन फॉलोइंग थी, लेकिन चुनाव के समय उन दोनों को अपनी चुनावी रणनीति और क्षेत्रीय जनता से संपर्क स्थापित करने में कठिनाई हुई. एजाज खान को महज 155 वोट मिले जबकि सोशल मीडिया पर उनके 57 लाख फॉलोअर्स हैं. हालांकि अवध ओझा की स्थिति एजाज से काफी अच्छी रही. उन्हें चुनाव में 45988 वोट मिले जबकि उनके सोशल मीडिया पर 22 लाख फॉलोअर्स हैं.

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