कोहरे में कैसे उड़ान भरते हैं विमान, ऐसे मौसम के लिए कितने तैयार हैं भारत के आधुनिक एयरपोर्ट?

तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. धुंध की वजह से ट्रांसपोर्ट सर्विस काफी प्रभावित हो रही हैं. सैंकड़ों उड़ानों और ट्रेनों को देरी से संचालित किया जा रहा है. शनिवार को कोहरे की स्थिति को देखते हुए, एक एडवाइजरी जारी की गई है. जिसमें कैट-3 नियमों का पालन करने के लिए कहा गया है. यह सिस्टम उड़ानों को प्रभावित होने से बचाता है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 4 Jan 2025 1:39 PM IST

Weather Forecast: दिल्ली-एनसीआर में कोहरे के सड़कों पर कुछ भी साफ-साफ नहीं नजर आ रहा है. चारों ओर कोहरा छाया हुआ है. तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. धुंध की वजह से ट्रांसपोर्ट सर्विस काफी प्रभावित हो रही हैं. सैंकड़ों उड़ानों और ट्रेनों को देरी से संचालित किया जा रहा है. अलग-अलग जगहों से दिल्ली आने वाली फ्लाइट प्रभावित हो रही हैं.

जानकारी के अनुसार, शनिवार को कोहरे की स्थिति को देखते हुए, एक एडवाइजरी जारी की गई है. जिसमें कैट-3 नियमों का पालन करने के लिए कहा गया है. यह सिस्टम उड़ानों को प्रभावित होने से बचाता है. आज हम आपको इस कैट-3 के बारे में बताएंगे कि कैसे यह तकनीक कोहरे में भी विमानों के संचालन में मदद करती है.

उड़ानों पर कोहरे का असर

जानकारी के अनुसार, सुबह 8 बजे तक इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 37 मिनट देरी से फ्लाइट लैंड हुई. करीब 100 उड़ानों में देरी हुई, जबिक दिल्ली जाने वाली 6 फ्लाइट के रूट को डायर्वट किया गया. शुक्रवार 3 जनवरी को खराब मौसम की वजह से 400 से ज्यादा उड़ानों के संचालन में देरी हुई.

क्या है कैट-3?

जानकारी के मुताबिक, कैट-3 एक इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) है, जो बेहद खराब विजिबिलिटी में फ्लाइट को लैंड करने में मदद करता है. इसके लिए पायलटों को विमान के रनवे संरेखण और ग्लाइड पथ के बारे में ग्राउंड-बेस्ट रेडियो नेविगेशन प्रदान करता है.सिस्टम दो रेडियो बीम का उपयोग करता है जो लैंडिंग के दौरान हॉरिजॉन्टल और वर्टिकल सहायता प्रदान करते हैं. कैट-3 ए सिस्टम रनवे विजुअल रेंज (आरवीआर) तक विमान को उतरने की परमिशन देता है जो 200 मीटर से कम नहीं है. बता दें कि जब आरवीआर 200 मीटर से कम लेकिन 50 मीटर से कम न हो, तभी भी कैट विमान को उतरने में सपोर्ट करता है.

ऐसे काम करते है सिस्टम

जबकि कैट-3 सी जीरो विजिबिलिटी में भी विमान को उतरने की अनुमति देता है. इन स्थितियों में बर्फबारी, बारिश या दिल्ली के मामले में कोहरे से उत्पन्न होने वाली स्थितियां शामिल हैं. कैट-3 एप्रोच ट्रैजेक्टरी और टचडाउन जोन पर भी डेटा प्रदान करता है. इसके अलावा रनवे से कितनी दूरी पर रहना है, फ्लैप कब खोलना है और ब्रेक कब लगाना है, इस बारे में भी गाइड करता है. कैट-2 सिस्टम विमान को RVR 350 मीटर से कम न हो और कैट-1 सिस्टम 550 मीटर से ज्यादा RVR के लिए लैंडिंग में सहायता करता है. RVR वह दूरी है जहां तक पायलट रनवे की लाइट या मार्कर देख सकता है. 

कितने एयरपोर्ट पर है कैट सिस्टम

भारत में छह हवाई अड्डे हैं जिनके रनवे को कैट-3 बी सिस्टम की सुविधा मिलती है. जिनमें दिल्ली, लखनऊ, जयपुर, अमृतसर, बेंगलुरु और कोलकाता शामिल हैं. कैट सिस्टम को पहली बार वर्ष 2001 में दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के रनवे 28 पर स्थापित किया गया था. फिर 2005 में 55 करोड़ रुपये की लागत ASMGCS के साथ कैट-3 बी आईएलएस में अपग्रेड किया गया था. 

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