पूर्वी दिल्ली का प्रीत विहार बना ‘ओपन एयर शो-रूम’: पार्किंग पर अवैध कार डीलरों का कब्जा, निवासी और ऑफिसकर्मी परेशान
दिल्ली के प्रीत विहार कम्युनिटी सेंटर में अवैध सेकंड हैंड कार डीलरों ने सार्वजनिक पार्किंग स्थलों पर कब्जा कर रखा है. ये डीलर बिना अनुमति सड़कों, फुटपाथों और खुले स्थानों को ‘ओपन एयर शो-रूम’ में बदल चुके हैं, जिससे स्थानीय निवासियों और ऑफिस कर्मचारियों को भारी परेशानी हो रही है. इलाके में ट्रैफिक जाम, पैदल यात्रियों के लिए खतरा और अव्यवस्थित पार्किंग जैसी समस्याएं आम हो गई हैं. स्थानीय लोगों की शिकायतों के बावजूद प्रशासन की कार्रवाई केवल औपचारिक रही है - डीलर निरीक्षण के दौरान कारें हटाकर बाद में वापस ले आते हैं.;
पूर्वी दिल्ली का प्रीत विहार कम्युनिटी सेंटर इन दिनों अवैध कार डीलरों के कब्जे में है. सेकंड हैंड कार बेचने वाले कारोबारी बिना अनुमति के सड़कों, फुटपाथों और पार्किंग स्थलों को अपने निजी ‘ओपन एयर शो-रूम’ में बदल चुके हैं. इस अवैध अतिक्रमण ने इलाके के दफ्तरों, दुकानों और आसपास के रिहायशी इलाकों में आने-जाने वाले लोगों की जिंदगी मुश्किल कर दी है.
सीबीएसई बिल्डिंग और उसके आस-पास का इलाका भी इसी समस्या से जूझ रहा है. पार्किंग की कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं होने के कारण वाहन सड़कों और फुटपाथों पर खड़े कर दिए जाते हैं, जिससे भारी ट्रैफिक जाम और पैदल यात्रियों को परेशानी होती है. कार ट्रेडर्स और ठेलेवाले स्थायी रूप से पार्किंग एरिया पर कब्जा जमाए बैठे हैं. बिना प्लानिंग के बने टैक्सी स्टैंड और टूटी फुटपाथों ने समस्या को और बढ़ा दिया है. न ड्रॉप-ऑफ जोन हैं, न पैदल गेट - नतीजा यह कि ऑफिस और दुकानों के बाहर दिनभर जाम लगा रहता है.
कई बार लोगों ने यहां बेसमेंट और स्टैक पार्किंग बनाने के प्रस्ताव रखे ताकि लगभग 450 गाड़ियों की व्यवस्था हो सके, लेकिन अब तक किसी स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. उम्मीद की जा रही है कि नई सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी और अवैध कार डीलरों को हटाएगी.
प्रशासन की आंखों में धूल
स्थानीय लोगों का कहना है कि डीलर अक्सर निरीक्षण के दौरान कारें हटा देते हैं और जैसे ही अधिकारी चले जाते हैं, वापस कब्जा जमा लेते हैं. यह “चूहा-बिल्ली का खेल” लंबे समय से जारी है. नतीजा - आम नागरिक को पार्किंग की सुविधा से वंचित रहना पड़ता है और कई निवासी अब यह इलाका छोड़कर जा चुके हैं.
बिल्डरों की मनमानी और फ्रीहोल्ड में देरी
इसी के साथ बिल्डरों की लापरवाही ने स्थिति और खराब कर दी है. कई इमारतों की छतों पर बिना अनुमति मोबाइल टॉवर और जेनरेटर लगाए गए हैं, जिससे संरचना को नुकसान पहुंचा है. बिल्डर रूटीन मेंटेनेंस नहीं करते, जिससे इमारतों की हालत बिगड़ती जा रही है. सबसे गंभीर मामला यह है कि ज्यादातर इमारतों को फ्रीहोल्ड में कन्वर्ट नहीं किया गया. बिल्डर जानबूझकर प्रक्रिया में देरी कर रहे हैं ताकि प्रॉपर्टी ट्रांसफर और अन्य सौदों से वित्तीय लाभ उठाते रहें. इस देरी से असली मकान मालिक लोन, बिक्री या खरीद जैसे कानूनी अधिकारों का प्रयोग नहीं कर पा रहे. सरकार ने हाल में फ्रीहोल्ड कन्वर्जन की प्रक्रिया तेज करने की योजना बनाई है, जिससे पारदर्शिता और जिम्मेदारी बढ़ सकेगी.
कैसे मिलेगा समाधान?
- नियमित निगरानी और जुर्माना: पार्किंग नियमों के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई और जुर्माना वसूली.
- जनजागरूकता: नागरिकों को अवैध पार्किंग की शिकायत दर्ज कराने के तरीके बताए जाएं.
- टेक्नोलॉजी का उपयोग: पार्किंग स्पेस की निगरानी के लिए सीसीटीवी और डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लगाया जाए.
- पुलिस सहयोग: स्थानीय थानों के साथ समन्वय कर अतिक्रमण हटाया जाए.
प्रीत विहार और उसके आस-पास के इलाकों में बढ़ता अतिक्रमण और बिल्डरों की मनमानी न केवल शहर की सूरत बिगाड़ रही है, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा और सुविधा पर भी सवाल खड़े कर रही है. निवासियों ने प्रशासन और मीडिया से अपील की है कि इस गंभीर समस्या को उजागर किया जाए ताकि जिम्मेदार विभाग कार्रवाई करने के लिए मजबूर हों.