100 दिनों में होगा समस्या का समाधान! CM बनते ही Rekha Gupta का रहेगा दिल्ली के इन 5 बड़े मुद्दों पर फोकस
Rekha Gupta: रेखा गुप्ता गुरुवार को दिल्ली की के नए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाली है. बुधवार को भाजपा ने उनके नाम की घोषणा की. सीएम बनते ही दिल्ली में सालों में बड़ी समस्याओं का समाधान किया जाएगा. इन मुद्दों में यमुना नदी की सफाई और सीवर समेत कई मुद्दे शामिल हैं. पार्टी ने लोगों के विश्वास पर खरा उतरने के लिए योजना बनाई जा रही है.;
Delhi New CM Rekha Gupta: दिल्ली की जनता को आज नया मुख्यमंत्री मिलने वाला है. बीजेपी की रेखा गुप्ता मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाली है. इस कार्यक्रम की तैयारी पूरी हो गई है सुबह से ही भाजपा कार्यालय में चहल-पहल देखने को मिल रही है. रेखा ने चुनाव में शालीमार बाग सीट से करीब 30,000 वोटों के अंतर से जीत हासिल की.
न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली की सीएम बनने के बाद रेखा गुप्ता को जमीनी स्तर पर काम करना होगा. क्योंकि पार्टी और केंद्र सरकार 100 दिन के अंदर दिल्ली की सड़कों पर बेहतर करने का टारगेट लेकर चल रही है. पार्टी के सूत्रों ने बताया कि 27 साल बाद राजधानी में भाजपा की वापसी हुई है, इसलिए लोगों के विश्वास पर खरा उतरने के लिए योजना बनाई जा रही है. जिससे काम को बेहतर किया जाए और जनता की समस्या का समाधान हो.
भाजपा ने बनाया काम के लिए एजेंडा
रिपोर्ट में बताया गया कि रेखा गुप्ता सीएम पद की शपथ लेने के बाद से वह काम करने शुरू कर देगीं. प्रदेश में बड़े मुद्दों पर फोकस किया जाएगा. सीएम के एजेंडे में पांच मुद्दे सबसे ऊपर हैं. इनमें आयुष्मान भारत चिकित्सा बीमा योजना की शुरुआत, यमुना नदी की सफाई, मानसून के मौसम से पहले सड़कों और सीवरों की सफाई, शहर के कोनों और गलियों से कूड़ा-कचरा हटाने के लिए बड़े पैमाने पर सफाई अभियान और सड़कों की मरम्मत शामिल हैं. सूत्रों का कहना है कि शपथ ग्रहण समारोह के बाद नए मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ये सभी मुद्दे शामिल हो सकते हैं.
भाजपा ने रेखा गुप्ता क्यों चुना दिल्ली का सीएम?
रेखा गुप्ता पहली बार विधायक बनी हैं, लेकिन वे आरएसएस की पुरानी सदस्य हैं. गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा महिला मुख्यमंत्रियों की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है. दिल्ली ने कई महिला मुख्यमंत्री देखी हैं, जिनमें कांग्रेस की शीला दीक्षित का 15 साल का शासन भी शामिल है.
आप की आतिशी भी 5 महीने के लिए सीएम पद पर रहीं. वहीं भाजपा की सुषमा स्वराज 12 अक्टूबर 1998 से 3 दिसंबर 1998 तक दिल्ली की सीएम रहीं. उन्हें विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा नेतृत्व द्वारा लाया गया था, जिसमें पार्टी हार गई. हार के पीछे प्याज की बढ़ती कीमतें भी बड़े कारणों में शामिल थी. जिनकी वजह से भाजपा को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.