छत्तीसगढ़ शराब घोटाले को लेकर पूर्व सीएम भूपेश बघेल के घर पर ईडी की रेड
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घर पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने छापा मारा है. कई लोकेशंस पर एक साथ छापेमारी जारी है. जांच एजेंसी के अधिकारी वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामलों में सबूत जुटाने की कोशिश कर रहे हैं. इससे पहले भी बघेल सरकार के कई करीबी नेताओं और अधिकारियों पर ED की कार्रवाई हो चुकी है.;
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल के घर पर छापा मारा है. ईडी की टीम भिलाई स्थित उनके निवास सहित कुल 14 स्थानों पर छापेमारी कर रही है. यह कार्रवाई वित्तीय अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले से जुड़ी है. बताया जा रहा है कि इस छापेमारी में बघेल के करीबी चैतन्य बघेल का ठिकाना भी शामिल है.
ईडी छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच कर रही है, जिसमें 2000 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का आरोप है. इस मामले में एसीबी और ईडी ने पहले ही एफआईआर दर्ज कराई थी. जांच में सामने आया है कि भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के तत्कालीन एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट ने इस घोटाले को अंजाम दिया था.
भूपेश बघेल ने क्या कहा?
उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "सात वर्षों से चले आ रहे झूठे केस को जब अदालत में बर्खास्त कर दिया गया तो आज ED के मेहमानों ने पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल के भिलाई निवास में आज सुबह प्रवेश किया है. अगर इस षड्यंत्र से कोई पंजाब में कांग्रेस को रोकने का प्रयास कर रहा है, तो यह गलतफहमी है."
राज्य को हुआ भारी नुकसान
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच लगातार जारी है, जिसमें राज्य सरकार के अधिकारियों और व्यापारियों की संलिप्तता उजागर हो रही है. ईडी का दावा है कि इस घोटाले के कारण राज्य सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हुआ, जबकि शराब सिंडिकेट ने 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की. जांच एजेंसी ने इस मामले में पहले ही कई अधिकारियों और व्यापारियों को गिरफ्तार किया है. घोटाले से जुड़े पैसों की हेराफेरी और अवैध लेन-देन को ट्रैक करने के लिए ईडी ने कई छापेमारी भी की है. इस मामले की जड़ें राज्य के आबकारी विभाग और ठेकेदारों के बीच हुए अवैध समझौतों से जुड़ी बताई जा रही है.
राजनीतिक बयानबाजी हुई शुरू
इस पूरे मामले को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है. पूर्व भूपेश सरकार के कार्यकाल में हुए इस घोटाले को लेकर विपक्ष लगातार कांग्रेस पर हमलावर है. बीजेपी इसे भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण बताते हुए कांग्रेस सरकार पर निशाना साध रही है, जबकि कांग्रेस इस जांच को राजनीतिक प्रतिशोध करार दे रही है.