नक्सलगढ़ पर भारी पड़ेगा बस्तर ओलंपिक, जानिए ग्रामीण खेलों के इस महाकुंभ की क्यों हो रही है चर्चा?
Bastar Olympics 2024: बस्तर ओलंपिक 2024 दिव्यांगों और आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए एक खेल का मंच होगा, जो उन्हें मुख्यधारा की जिंदगी जीने की प्रेरणा देगा. इसका उद्देश्य नक्सल प्रभावित और संवेदनशील जिलों की खेल की भावना को जगाना है. इन खेलों में हॉकी, फुटबॉल, कबड्डी, वॉलीबॉल, भारोत्तोलन और रस्साकशी शामिल हैं.;
Bastar Olympics 2024: बस्तर ओलंपिक 2024 की घोषणा छत्तीसगढ़ सरकार ने क्षेत्र में नक्सलियों को मुख्यधारा की जिंदगी में वापस लाने के लिए किया है. इसका उद्देश्य नक्सल प्रभावित और संवेदनशील जिलों की खेल प्रतिभाओं को सामने लाना है. इसका आयोजन 1 नवंबर से किया जाना है. यह खेल स्थानीय युवाओं में खेल भावना को बढ़ावा देने के साथ-साथ उन्हें पढ़ाई के अलावा मनोरंजन गतिविधियों में शामिल होने के लिए आयोजित की जा रही है.
बस्तर ओलंपिक 2024 जूनियर और सीनियर ग्रुप की चार उप-श्रेणियों के तहत आयोजित किए जाएंगे, जिसमें छात्र, वयस्क, आईईडी विस्फोटों या माओवादी हिंसा में घायल हुए लोग और आत्मसमर्पण करने वाले कैडर शामिल होंगे. इन चार श्रेणियों में 14 से 17 वर्ष की आयु के जूनियर और 17 वर्ष से अधिक आयु के सीनियर शामिल हैं. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साई ने बस्तर ओलंपिक 2024 की घोषणा की है.
माओवादी और लोगों के बीच घटेगी दूरियां
बस्तर ओलंपिक के जरिए नक्सली हिंसा के शिकार और आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी जो एक दूसरे से आंख नहीं मिला पाते थे, वह अब में आमने-सामने आ सकते हैं या टीम बना सकते हैं . यह अपनी तरह का अनूठा ग्रामीण खेल है जिसका उद्देश्य माओवादी प्रभावित क्षेत्र में दूरियां पाटना और उम्मीद जगाना है. इन खेलों में हॉकी, फुटबॉल, कबड्डी, वॉलीबॉल, भारोत्तोलन (केवल पुरुष) और रस्साकशी (केवल महिलाएं) शामिल हैं.
अधिकारियों ने बताया कि शुरुआत में यह चार दिवसीय कार्यक्रम होगा और बस्तर संभाग के सात जिलों के प्रतिभागी जगदलपुर में कार्यक्रम के लिए एकत्रित होंगे. वहीं राज्य के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि यह कार्यक्रम बस्तर के बच्चों और युवाओं पर केंद्रित है, खासकर उग्रवाद से पीड़ित लोगों पर. उन्होंने कहा कि अपने-अपने जिलों में अच्छा प्रदर्शन करने वालों को सम्मानित किया जाएगा और उनकी रुचि के क्षेत्र में आगे बढ़ने में सहायता की जाएगी. उन्होंने कहा कि गृह विभाग बस्तर ओलंपिक का आयोजक है.
माओवादी के खौफ में जीते हैं ग्रामीण
बस्तर संभाग के माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में ग्रामीण माओवादियों के डर से बहुत खौफ खाते हैं. इतना कि जब माओवादी उनके किसी प्रियजन की हत्या कर देते है तो परिवार पुलिस को सूचित करने की हिम्मत नहीं करते. अधिकारियों को उम्मीद है कि ये ओलंपिक पिछले दो दशकों से युद्ध के मैदान में अच्छा महसूस कराएगा.