BJP-JDU विधायकों की हॉर्स-ट्रेडिंग! नीतीश सरकार को गिराने के लिए हवाला डील? आरोपों पर अब ED की जांच

Horse Trading Bihar: जेडीयू विधायक सुधांशु शेखर ने एफआईआर में कहा है कि उन्हें फ्लोर टेस्ट से पहले आरजेडी में शामिल होने के लिए 10 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. नीतीश सरकार के पास 128 विधायक थे और फ्लोर टेस्ट में इनकी संख्या 130 हो गई.;

Nitish Kumar(Image Source:  ANI )
Edited By :  सचिन सिंह
Updated On : 11 Dec 2025 6:20 PM IST

Horse Trading Bihar: कहते हैं सत्ता के लालच में इंसान आज कुछ भी करने के लिए तैयार बैठा है. इसके लिए कानून क्या और गैर-कानूनी गतिविधि ही क्या? बिहार से ऐसा ही एक मामला सामने आया है , जहां आरोप है कि नीतीश सरकार को गिराने के लिए हॉर्स ट्रेडिंग का सहारा लिया गया.

सीएम नीतीश को विश्वास मत हासिल करने से रोकने के लिए ये चाल चली गई थी. मामले में जो खुलासे सामने आए हैं, वो आपके पैरों तले जमीन खिसका देगी. बिहार गरीबी में जी रहा है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन सत्ताधारी दल के विधायकों को हवाला के जरिए एडवांस पैसे भेजे गए. इन आरोपों के साथ जेडीयू विधायक सुधांशु शेखर ने FIR भी दर्ज करवाई है. 

जांच के दौरान कई खुलासे

मीडिया रिपोर्ट में ये भी कह गया कि अगर एनडीए सरकार विश्वास मत हासिल करने में हार जाती तो विधायकों को मोटी रकम देने का वादा किया गया था. यह खुलासा आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की जांच में हुआ है. पहले मामले से जुड़ी शिकायत पटना के कोतवाली थाने में दर्ज की गई.

इसमें पैसों के लेन-देन से जुड़ी जांच के दौरान आर्थिक अपराध इकाई (EOU) को हैरान करने वाले सबूत मिले हैं. EOU ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सौंपी है. हॉर्स ट्रेडिंग से जुड़े इस केस की जांच अब ईडी अपने तरीके से करने वाली है.

10 करोड़ रुपये का ऑफर

जेडीयू विधायक सुधांशु शेखर ने एफआईआर में कहा है कि उन्हें फ्लोर टेस्ट से पहले आरजेडी में शामिल होने के लिए 10 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनकी अपनी पार्टी के कई नेता आरजेडी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जो सीएम नीतीश कुमार के साथ बीजेपी के फिर से गठबंधन से नाराज है.

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विश्वास मत से पहले 'खरीद-फरोख्त' के आरोपों के संबंध में की गई जांच के दौरान सामने आए वित्तीय लेन-देन की जांच शुरू कर दी है. आर्थिक अपराध इकाई के डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि इस साल फरवरी में पटना के कोतवाली पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच शुरू हुई. 

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