बेतिया राज की संपत्ति पर अब बिहार सरकार का अधिकार, जानें राजा हरेंद्र और उनके परिवार का इतिहास
बिहार सरकार की ओर से बताया गया कि बेतिया महाराज की अंतिम रानी की कोई संतान नहीं थी. इसलिए सरकार ने लंबे समय से अटके हुए इस मामले को लेकर विधेयक पेश किया. बिहार में बेतिया राज की करीब 15,000 एकड़ जमीन है. केवल बेतिया में करीब एक हजार एकड़ जमीन है.;
Bihar News: बिहार विधानसभा मंगलवार 26 नवंबर को बेतिया राज संपत्ति बिल पास किया गया. जिसके तहत पूरी संपत्ति पर बिहार सरकार का अधिकार हो गया है. 15 हजार एकड़ जमीन है. अब इस मुद्दों को लेकर सियासत तेज हो गई है.
बिहार सरकार की ओर से बताया गया कि बेतिया महाराज की अंतिम रानी की कोई संतान नहीं थी. इसलिए सरकार ने लंबे समय से अटके हुए इस मामले को लेकर विधेयक पेश किया. आगे पर आपको इस पूरी कहानी के बारे में बताएंगे.
क्या है बेतिया महाराज संपत्ति विवाद?
जानकारी के अनुसार बिहार में बेतिया राज की करीब 15,000 एकड़ जमीन है. बेतिया में करीब एक हजार एकड़ जमीन है. राजस्व पर्षद अध्यक्ष केके पाठक के निर्देक पर बेतिया राज के अतिक्रमण भूमि को बहुत जल्द अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा. इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है. बता दें कि हाल ही में डीएम दिनेश कुमार राय ने खुद बेतिया राज सचिवालय का निरीक्षण किया था. एक-एक बिंदुओं पर जांच की और रिपोर्ट तैयार करने के बाद उसे बिहार सरकार को भेजना है.
इतनी एकड़ जमीन पर अतिक्रमण
एक रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम चंपारण में बेतिया राज 9759 एकड़ जमीन है. इसमें से 6505 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण पर लिया गया है. पूर्वी चंपारण में बेतिया राज की 5320 एकड़ जमीन है. लगभग 3221 एकड़ जमीन पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है. इन जगहों के अलावा बेतिया की जमीनें गोपालगंज, सिवान, सारण और पटना में भी है. अतिक्रमण पर एक्शन लेने के लिए बिहार सरकार ने यह कदम उठाया है.
कितनी है जमीन की कीमत?
बेतिया राज का कोई भी वारिस नहीं है. जिस कारण बेतिया राज की संपत्ति करीब 100 वर्षों से कोर्ट ऑफ वार्ड्स के अधीन है. बेतिया राज की इस संपत्ति की कीमत करीब 7,960 रुपये है.
बेतिया नरेश की मृत्यु
बेतिया नरेश राजा हरेंद्र किशोर सिंह की 26 मार्च 1893 को मृत्यु हो गई थी. उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं था. बता दें कि राजा हरेंद्र किशोर सिंह की दो पत्तियां-महारानी शिव रत्ना कुंवर और महारानी जानकी कुंवर थीं. दूसरी रानी का नाम शिव रत्ना कुंवर की मृत्यु 1896 में हो गई. महारानी जानकी कुंवर संपत्ति का प्रबंधन करने में सक्षम नहीं था. इसलिए इसका प्रबंधन कोर्ट ऑफ वार्ड्स द्वारा किया गया. महारानी जानकी तक फैली थी.